तलवार चलाने से लेकर भाला घूमाने तक लौहा मनवा रही नारी शक्ति

अखाड़े में उतरती बालिकाओं का जौहर देख दंग रह जाते लोग

तलवार चलाने से लेकर भाला घूमाने तक लौहा मनवा रही नारी शक्ति

पीरामिड बनाना या मटकी फोड़ना हो इन लड़कियों को किसी भी करतब को करने में महारत हासिल है।

कोटा। अनंत चतुर्दशी नजदीक आने के साथ ही अखाड़ेबाजों का उत्साह जोश के साथ बढ़ रहा है। हर अखाड़ा अपने हैरतअंगेज करतब से शहरवासियों को रोमांचित करने की तैयारियों में जुटा है। सुभाष नगर द्वितीय स्थित मंगलेश्वर महादेव व्यायामशाला कि लडकियां भी अखाड़े की दुनिया में अपना लौहा मनवाने को पसीना बहा रही हैं। वहीं, करतब के बीच दांव-पेंच की कला निखारने में जुटी हैं। शाम ढलते ही अस्त्र शस्त्र के साथ अखाड़े में उतरती नारी शक्ति का जौहर देख हर कोई अचंभित रह जाता है। यहां 10 से लेकर 30 वर्ष तक कि लडकियां भाला, तलवार, चक्कर घुमाने के साथ ही कुश्ती और दंगल में भी लौहा मनवा रही हैं। वहीं, पीरामिड बनाना या मटकी फोड़ना हो इन लड़कियों को किसी भी करतब को करने में महारत हासिल है। संचालिका गायत्री सुमन ने बताया कि इस व्यायामशाला कि लडकियां वो सारे करतब करने में माहीर हैं जो किसी व्यक्ति को करने में सालों लग जाते हैं। बालिकाओ की दृढ़ इच्छा शक्ति और लगन का ही नतीजा है कि आज हम इतना बड़ा समूह चला रहे हैं और लड़कियां प्रतियोगिताओं में भी जा रही हैं।

2 से 40 लडकियों तक का सफर
मंगलेश्वर महादेव महिला व्यायामशाला कि संचालिका गायत्री सुमन ने बताया कि व्यायामशाला कि शुरुआत छावनी स्थित मंगलेश्वर महिला व्यायामशाला से निकलकर उनके द्वारा ही साल 2021 में की थी। तब व्यायामशाला में सिर्फ 2 ही लडकियां थी। शुरूआत में मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन धीरे-धीरे राह आसान होती चली गई। वर्तमान में व्यायामशाला में 40 लड़कियां हैं, जो हर दिन प्रैक्टिस करने आती हैं। इस व्यायमशाला को महज दो ही साल हुए हैं और इतनी लड़कियों को जुड़ता देख उम्मीद है कि ये और बढ़ा होगा और हम अखाड़ों के साथ साथ राज्य स्तरीय, राष्टÑीय स्तरीय और अंतररष्टÑीय स्तर पर लड़कियों को भेजेंगे। 

समाज के सहयोग से चल रहा अखाड़ा
संचालिका सुमन कहती हैं, पहले व्यायामशाला का संचालन घर से ही करती थीं। लेकिन, बाद में समाज के सहयोग से इसे सुभाष नगर में टंकी वाले पार्क में चलाया जाने लगा और आज वहीं संचालित है। व्यायामशाला में आने वाली अधिकतर बालिकाएं मध्यम परिवार से हैं, उनके खर्चे का सारा वहन सुमन खुद करती हैं। बालिका सपना ने कहा, वो पिछले साल से तलवारबाजी और कुश्ती सीखने आ रही हैं और आगे भविष्य में भारत के लिए कुश्ती खेलना चाहती हैं। अच्छा लगता हैं जब लोग उनके करतबों पर दंग रह जाते हैं और तारीफ करते हैं। ज्योति सुमन ने कहा, वो हर दिन शाम को सारे कामों से फ्री होकर अखाडेÞ में आ जाती हैं ताकि प्रैक्टिस के बाद कुछ नया सीख सकें। ज्योति  ने बताया कि वो पहले अन्य अखाड़े में प्रैक्टिस करती थी लेकिन पिछले साल से यहां अखाड़ा शुरू होने के बाद यहीं करती हैं। 

लाइसेंस मिले तो बात बने
संचालिका गायत्री कहती हैं, नया अखाड़ा होने कि वजह से उन्हें लाइसेंस नहीं मिला है। जबकि, इसके लिए नगर निगम में भी आवेदन किया है। पर्याप्त जगह के अभाव में व्यायामशाला को पार्क में चलाना पड़ रहा है और इस वजह से कई परेशनियों का भी सामना करना पड़ रहा है।

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