तलवार और अग्नि चक्कर के करतब से चौंकाने की कर रहे तैयारी
150 साल पुराना है पट्टा बुर्ज अखाड़ा
इस अखाड़े में करीब 100 लड़के हर दिन प्रैक्टिस करने आते हैं और हर साल अनंत चर्तुदशी से 1 महीने पहले प्रैक्टिस करना शुरू कर देते हैं।
कोटा। सारा शहर अनंत चर्तुदशी कि तैयारियों में जुट गया है जिसमें कहीं शोभायात्राओं के स्वागत के लिए गेट खड़े हो गए हैं तो कहीं पूरे बाजारों को सजा दिया गया है और इसी क्रम में अखाड़ों ने भी अपने प्रर्दशन को लेकर तैयारी तेज़ कर दी हैं। कोटा के सबसे पुराने अखाड़ों में से एक पट्टा बुर्ज अखाड़ा के लड़के भी दिन भर अपने प्रर्दशन और करतबों को निखारने में पूरे दम खम से जुटे हुए हैं। अखाड़े में कोई दोनों हाथों में तलवार लेकर करतब कि प्रैक्टिस कर रहा है तो कोई बनेठी को शरीर के चारों तरफ हैरतंगेज ढंग से चला रहा है। वहीं कोई अखाड़े में लौहे के बने पट्टे से रस्सी कूद खेल रहा है।
अग्नि चक्कर का होगा प्रदर्शन
अखाड़े के उस्ताद शम्भु सिंह ने बताया कि इस अखाड़े में करीब 100 लड़के हर दिन प्रैक्टिस करने आते हैं और हर साल अनंत चर्तुदशी से 1 महीने पहले प्रैक्टिस करना शुरू कर देते हैं। लड़के कीलों से बने पट्टे पर लेटकर सीने पर पत्थर फोड़ना, निम्बु को पेट पर रखकर तलवार से काटना या तलवारों को चलाते समय आपस में बदलना सभी तरह के करतबों कि यहां प्रैक्टिस कर रहे हैं। अनंत चर्तुदशी से 1 महीने पहले अखाड़े कि रौनक ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि इस महीने में नए लड़कों के साथ पुराने लड़के भी प्रैक्टिस करने के लिए आने लग जाते हैं। जो पुराने हैं वो नए लड़कों को करतब सिखाते हैं और उनका हौसला बढ़ाते हैं। सिंह ने आगे बताया कि इस बार प्रदर्शन में लड़के सिर्फ उनके अखाड़े के द्वारा किया जाने वाला करतब अग्नि चक्कर प्रदर्शन भी करेंगें जिसमें कलाबाज लड़का चक्कर पर लगे 16 गुट्टों को डीजल में भीगोकर उसे जलाकर उससे करतब दिखाएगा जो बहुत मुश्किल करतब है। वहीं कलाबाज धारिया, लौहे का पट्टा, दो हाथ कि बनेठी और लौहे के चक्कर के साथ करतब दिखाते हुए नजर आएंगे।
150 साल पुराना अखाड़ा
व्यवस्थापक प्रीतम सिंह ने बताया कि अखाड़ा अनंत चर्तुदशी पर अपनी झांकी और करतबों का प्रर्दशन साल 1984 से करते आ रहे हैं वहीं अखाड़ा लगभग 150 साल पुराना है। अखाड़े नाम के सवाल पर प्रीतम सिंह ने बताया कि अखाड़ा कोटा के पट्टा बुर्ज के पास है और इस अखाड़े कि शुरूआत करने वाले उस्ताद गणपत सिंह अंग्रेजों के जमाने में बुर्ज पर स्थित पतेह जंग तोप का संचालन किया करते थे। उन्होंने इस बुर्ज के पास मन्दिर और अखाड़े कि स्थापना बुर्ज के नाम पर ही की जो आज भी संचालित है। अखाड़े का संचालन अखाड़ा पट्टा बुर्ज समिति के द्वारा किया जाता है और सामिति के द्वारा ही पुरा खर्चा व्यय किया जाता है साल भर में सिर्फ एक बार ही समाज से सहयोग लिया जाता है।
12 मिनट बहुत कम समय
वहीं प्रशासन द्वारा तय किए गए पॉइन्टों और समय पर राय जानी जो उनके मुताबिक पॉइन्ट बनाना तो ठीक है लेकिन समय को सीमित करना जायज नहीं क्योंकि एक अखाड़े को लय बनाने और करतबों के लिए पर्याप्त जगह बनाने में ही 10 मिनट लग जाते हैं तो फिर कलाबाज करतब क्या दिखाएंगे। वहीं उनका कहना है कि कोरोना महामारी के बाद से ही निगम ने भी प्रोत्साहन राशि देना बंद कर दिया है जिससे अखाड़े चलाने में परेशानी भी आ रही है।
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