खेलों में भी मिले पीएलआई सुविधा..!
दैनिक नवज्योति ने खिलाड़ियों से उनकी राय को जाना
घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात बिल कम करने के लिए मार्च 2020 में पीएलआई योजना की शुरूआत की गई थी।
कोटा। हाल ही में संपन्न हुए एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। लेकिन पदक प्राप्त करने में चीन नंबर वन रहा। चीन का खेलों में मुकाबला नहीं है। सभी खेलों की स्पर्धाओं में चीन सर्वाधिक गोल्ड मेडल प्राप्त करता है। भारत और चीन दोनों पड़ोसी देश है। आबादी में भी दोनों समान है। दोनों देश तेजी से आगे भी बढ़ रहे हैं पर बात जब खेलों की हो तो चीन से तुलना में हम पिछड़ जाते है। ओलंपिक हो या एशियन गेम्स सभी में चीन का वर्चस्व रहता है। चीन से ही तुलना हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह हमारा प्रतिद्वंद्वी है। आबादी अधिक होने से अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं। हालांकि अन्य देशों में भी खेलों को महत्व दिया जाता है। छोटे-छोटे देश भी अच्छा प्रदर्शन कर ज्यादा मेडल ले जाते हैं। हमारे यहां टेलेंट की कमी नहीं हैं, कमी है तो यह कि खेलों को प्राथमिकता के तौर पर नहीं लिया जाता। हाल के एशियाई खेलों में ही देखें भारत का शानदार प्रदर्शन करने वाले एथलीट्स में से एक पारूल चौधरी जो एक खेत में दौड़ लगाकर प्रैक्टिस करती थी वहीं भाला फेंक में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली अन्नू रानी गन्ने का भाला बनाकर अभ्यास करती थी। यह सब इन दोनों ने अपने संघर्ष व कड़ी मेहनत के दम पर किया । खिलाड़ियों के पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं है। क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों के लिए धन और बुनियादी ढांचें की कमी अक्सर खेल के विकास और सफलता में बाधक होती है। जिस तरह इंडस्ड्रीज को मैन्युफैक्चरिंग हब के लिए पीएलआई स्कीम सुविधा दी जाती है वैसी ही सुविधाएं भारत में स्पोर्ट्स में भी दी जानी चाहिए। जिससे भारत भी चीन की टक्कर का खेलों में मुकाम हासिल कर सकें। भारत, चीन से मुकाबला करके उसके बराबर खेलों में आ सकें। मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के साथ ही स्पोर्ट्स हब भी देश को बनाया जाना चाहिए। खेलों के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए, उनके सुधार के लिए खेलों में इंसेन्टिव दिए जाने चाहिए। ओलंपिक खेलों के प्रति चीन जब से सक्रिय हुआ तब से लेकर आज तक रिकॉर्ड रहा है पदक तालिका में वह मेडल्स के ढ़ेर लगाता रहा है। जब हर चीज में चीन से प्रतियोगिता करते हैं तो खेलों का स्तर क्यों नहीं चीन की तरह किया जाता? खेल और खिलाड़ियों के स्तर को बेहतर करने के लिए पीएलआई स्कीम हो जाए तो उन्हें बेहतरीन सुविधाएं मिल सकेगी। क्रिकेट की तरह पैसा व सुविधाएं अन्य खेलों के खिलाड़ियों को भी मिलनी चाहिए। खेलों पर नजर डाले तो देश में क्रिकेट को छोड़कर किसी और खेलों में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई जाती है। हमारे यहां लचर खेल सुविधाएं प्रतिभाओं की राह में रोड़ा है। जब कोई खिलाड़ी मेडल जीतता है तो कुछ समय तक उसकी उपलब्धियों पर प्रशंसा की जाती है उसके बाद कोई सुध नहीं लेता। क्रिकेट के समान निवेश और स्पॉन्सर्ड को आकर्षिक करने के लिए अन्य खेलों के खिलाड़ी संघर्ष करते है। हालांकि अन्य खेलों के ढांचें में सुधार की सरकार ने पहल तो की लेकिन प्रतिस्पर्धा को देखते हुए बहुत कम है। पीएलआई स्कीम के तहत जिस तरह इनवेस्ट व सुविधाएं उद्योगों को देते हैं यदि खेलों में भी शुरू कर दी जाए तो अन्य खेलों व उनके खिलाड़ियों को सुविधाएं भी मिलेगी, आर्थिक लाभ भी प्राप्त होगा, प्रोत्साहन मिलेगा तो देश के संपूर्ण विकास में मदद मिलेगी। इस तरह खेलों में हम चीन के या तो समकक्ष हो जाएंगें या चीन से आगे निकलने की संभावना रहेगी।
पीएलआई स्कीम क्या हैं?
घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात बिल कम करने के लिए मार्च 2020 में पीएलआई योजना की शुरूआत की गई थी। इस योजना के तहत सरकार कंपनियों को भारत में बने प्रोडक्ट की बिक्री के आधार पर इंसेंटिव देती है। योजना का उद्देश्य घरेलू कंपनियों को देश में अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इन सबके अलावा, यह विदेशी कंपनियों को भारत में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए आमंत्रित भी करती है।
पीएलआई स्कीम क्या स्पोर्ट्स में भी लागू होनी चाहिए इस मुद्दे पर दैनिक नवज्योति ने खेल अधिकारी, कोच, शहरवासियों और खिलाड़ियों से उनकी राय को जाना। उन्होंने इस बारे में क्या कहा जानिए।
पीएलआई स्कीम खेलों में भी होनी चाहिए। सुविधाएं मिलेगी तो बच्चे मोटीवेट होंगे। इस वर्ष एशियन खेलों में भारत का काफी अच्छा प्रदर्शन रहा। कंपनियों के लिए जिस तरह पीएलआई स्कीम चला रखी है यदि खेलों में भी हो जाए तो बहुत अच्छा रहेगा जिन खिलाड़ियों के पास इक्विपमेंट्स नहीं है या जिन्हें डाइट की समस्या आती है उन खिलाड़ियों के लिए बहुत अच्छा रहेगा।
- अब्दुल अजीज पठान, जिला खेल अधिकारी कोटा
पीएलआई स्कीम स्पोर्ट्स में लेकर आना चाहिए। लेकिन वह सेमीगवर्नमेंट करनी चाहिए पूरी तरीके से प्राइवेट को देगें तो वह निरंकुश हो जाएगा। यह स्कीम अच्छी है बशर्ते सरकार के साथ जो-जो विभाग है उनको भी कॉर्डिनेट किया जाना चाहिए। स्पोर्ट्स में पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी है। पीएलआई स्कीम से सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर पर इनवेस्ट कर सकती है। इस स्कीम के तहत उन क्वालिफाइड कोच को चीजें मुहैया कराए उनके साथ सरकारी कोच को भी लगाएं। क्रिकेट में जो पैसा खिलाड़ियों को मिलता है वह सरकार नहीं देती है उनको बोर्ड पैसा देता है। बोर्ड मार्केटिंग से पैसा कमाता है। अन्य खेलों में मार्केटिंग नहीं हो पाती इसका कड़वा सच है कि हम जीत नहीं पाते है। इसके लिए सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना चाहिए। जब यह डेवलप होगा तो बच्चे आएंगें और जीतेगे। वहीं अन्य खेलों में मार्केटिंग करने के लिए क्रिकेट की तरह एडमिनिस्ट्रेटर भी चाहिए।
- हर्षवर्धन चूंडावत, हॉकी कोच, कोटा
खेलों में पीएलआई स्कीम होनी चाहिए क्योंकि यह सबके लिए लाभदायी है। हर जगह क्रिकेट को प्रमोट किया जाता है तो अन्य खेल पिछड़ जाते हैं। सभी खेलों को आगे बढ़ाने के लिए सभी राज्य सरकारों को अपने -अपने राज्य में पहल करनी चाहिए । यदि हर राज्य पहल करेगा तो सभी खेलों तक पहुंच बढ़ेगी, खिलाड़ी भी आगे बढ़ेगें देश स्वयं ही खेलों में आगे आ जाएगा। जिस तरह राजस्थान में क्रिकेट की लीग शुरू की वैसी ही फुटबॉल, हॉकी एवं अन्य सभी खेलों में लीग शुरू करने में इनीशिएटिव लें तो अन्य स्टेट भी आगे आएंगें और खेलों के स्तर में सुधार होगा।
- प्रियंका गुप्ता, संस्थापक, अभिलाषा क्लब
ऐसी स्कीम होनी चाहिए यदि सरकार इस तरह से करती है तो इससे लाभ निश्चित रूप से होगा। स्पोर्ट्स को डेवलप करने के लिए पीएलआई योजना होनी चाहिए। सिर्फ चाइना ही नहीं अन्य दूसरे देश भी है जो हमसे सुपीरियर है। कोटा जिले में स्पोर्ट्स के जितने कोच उपलब्ध है वह सारे खेल शुरू होने चाहिए। स्टेडियम में कोच की पार्ट टाइम नियुक्ति होती है। वह सुबह व शाम तीन-तीन घंटे के लिए आते हैं दोनों ही समय ऐसे है कि वह अन्य कहीं काम नहीं कर सकते । या तो फुल टाइम कोच रखें या पार्ट टाइम भी रखते हैं तो समय ऐसा रखें कि वह अन्य कहीं जॉब कर सकें या बाउंडेशन बंद करें जिससे वह दूसरी जगह जॉब कर सकें। खेलों में सरकार निवेश तो कर रही है पर ग्राउण्ड लेवल तक नहीं पहुंच पाता और सही डायरेक्शन में नहीं पहुंच पाता। ग्रामीण व शहरी ओलंपिक शुरू करवाकर बच्चों में खेल भावना तो बढ़ा दी पर उसके बाद कुछ नहीं हुआ। कई गेम डिस्प्यूट में चल रहे हैं सरकार को इस तरह के इश्यू पर भी डील करना चाहिए। खिलाड़ियों को खेलने की जगह की समस्या है।
- जय कुमार सेन, कराटे कोच एवं जनरल सेके्रटरी कोटा कराटे एसोसिएशन
खिलाड़ियों का कहना
खेलों में ऐसी स्कीम शुरू की जानी चाहिए क्योंकि स्पोर्ट्स में सबसे जरूरी सपोर्ट होता है। अच्छा खेल मैदान, अच्छे कोच और प्रॉपर डिसिप्लीन हो कि खेलों में आगे बढ़ने के लिए क्या करना चाहिए इसके लिए विजन फोकस क्लियर हो। सभी खेलों में ही खिलाड़ियों को प्रमोट मिलना चाहिए।
- कल्पना कुशवाहा, हॉकी प्लेयर
बिल्कुल ऐसी स्कीम खेलों में आनी चाहिए। इससे सभी खेलों में हम आगे बढ़ेगें और जब सभी खेलों में सुविधाएं मिलेगी तो बेहतर प्रदर्शन होगा और देश आगे बढ़ेगा। क्रिकेट में खिलाड़ियों को जो पैसा व सुविधाएं दी जाती है। वह अन्य खेलों में भी होनी चाहिए।
- दिव्यांशी, वुशु एवं बॉक्सिंग, इंटरनेशनल प्लेयर
अगर ऐसी योजना लाई जाती है तो खेल प्रतिभाओं को निखारने का मौका मिलेगा। संसाधन व सुविधाएं नहीं मिलने से कई बार खिलाड़ी प्रतिभा होते हुए भी आगे नहीं बढ़ पाते हैं। अगर पीएलआई स्कीम सभी खेलों में मिल जाए कई खिलाड़ी देश का मान बढ़ा सकेंगे।
- कुश महावर, हॉकी प्लेयर
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