ताइक्वांडो विवादों के घेरे में, खिलाड़ियों का भविष्य अधर में !
स्थानीय कलह खेल का माहौल प्रभावित, मान्यता को लेकर खींचतान जारी
पैरेलल ताइक्वांडो बॉडियों की भरमार, वैध-अवैध फेर के पेच में फसा फेडरेशन विवाद
कोटा। राष्ट्रीय स्तर पर ताइक्वांडो के भविष्य पर अब अनिश्चितता के बादल छा हुए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 'इंडिया ताइक्वांडो' (विश्व ताइक्वांडो से मान्यता प्राप्त) और 'ताइक्वांडो फेडरेशन आॅफ इंडिया (टीएफआइ) के बीच चल रही खींचतान ने अब राजस्थान ताइक्वांडो एसोसिएशन को अपनी चपेट में ले लिया है। इस आंतरिक कलह के कारण स्थानीय स्तर पर खेल का माहौल बुरी तरह प्रभावित हुआ है, तीन से चार समानांतर गुट आमने-सामने खड़े हैं। विवाद की जड़ वर्तमान में किसी के पास भी मान्यता नहीं होना है। चूंकि यह तय नहीं हो पा रहा है कि कौन सी राष्ट्रीय इकाई वैध या अवैध है। समानन्तर में खूब सारी बॉडिया खड़ी है। अभी तक किसी को भी खेल मंत्रालय, भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) या वर्ल्ड ताइक्वांडो (डब्ल्यूटी) की मान्यता प्राप्त नहीं है। ऐसे में सबसे बड़ा नुकसान खिलाड़ियों, खासकर बच्चों के भविष्य को हो रहा है।
राष्ट्रीय महासंघ स्तर पर अदालती मुकदमों के तहत विवादों के संबंध में जल्द ही अदालत द्वारा दिए गए निर्देश के आधार पर राष्ट्रीय ताइक्वांडो महासंघ के एकीकरण का निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद, केवल वही राज्य स्तरीय ताइक्वांडो एसोसिएशन, जिन्हें 2019 और 2022 के पिछले चुनाव में मतदान का अधिकार प्राप्त था, 2026 के चुनाव में अपने मतदान के अधिकार का उपयोग करने के हकदार होंगे। बता दें कि कोटा में ताइक्वांडो एसोसिएशन 2017 से खेल अधिनियम 2005 के तहत पंजीकृत है। केवल खेल परिषद और जिला ओलंपिक संघ द्वारा मान्यता प्राप्त ताइक्वांडो संघ है।
जानकारी के अनुसार पहले आंतरिक विवादों के चलते अलग-अलग गुट बनते चले गए और पैरेलल बॉडियां खड़ी होती चली गईं। इसी कारण न तो यह स्पष्ट है कि देश में कुल कितने क्लब हैं और न ही यह तय हो पा रहा है कि कौन सी संस्था वैध है। राजस्थान की स्थिति और भी उलझी हुई है। यहां अब तक कोई भी ताइक्वांडो स्टेट बॉडी विधिवत रूप से रजिस्टर्ड नहीं है। इसी कारण हर कोई अपना झंडा उठाकर दावा कर रहा है। इंडिया ताइक्वांडो के तहत डब्ल्यूटीए को कुछ वर्ष पूर्व शर्तों के कारण मान्यता दी गई थी, जो 2026 तक वैध बताई जा रही है, लेकिन यह भी अंतिम नहीं है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब तक एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय फेडरेशन अस्तित्व में नहीं आती, तब तक किसी भी राज्य या जिला संघ को ओलंपिक या आधिकारिक प्रतियोगिताओं के लिए एफिलिएशन नहीं दिया जा सकता।
वर्तमान में जो भी टूनार्मेंट कराए जा रहे हैं और जो प्रमाणपत्र बांटे जा रहे हैं, वे एक तरह से कानूनी रूप से शून्य हैं। वहीं कोटा के खिलाड़ियों को भी यह बड़ी समस्या सामनो आ रही है कि वे किस एसोसिएशन के तहत प्रशिक्षण लें और किस टूनार्मेंट में भाग लें ताकि उनकी जीत राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर मान्य हो और खेल कोटे से नौकरी मिल सके। इस मान्यता संकट ने स्थानीय प्रतिभाओं के लिए आगे बढ़ने के दरवाजे बंद कर दिए हैं।
सभी गुट एकजुट हों, चुनाव कराए जाएं और एक मजबूत, मान्यता प्राप्त नेशनल बॉडी बने। तभी राज्य संघों का पंजीकरण, क्लबों की वैधता और खिलाड़ियों का भविष्य सुरक्षित हो पाएगा। फिलहाल ताइक्वांडो प्रशासन में पसरा यह असमंजस बच्चों के सपनों पर भारी पड़ता दिख रहा है। जब तक यह विवाद नहीं सुलझता है तब तक वो स्कूल स्तर के टूनार्मेंट और स्कूल गेम्स फेडरेशन आॅफ इंडिया के टूनार्मेंटों में खिलाकर अपने स्तर सुधार सकते है।
- दशरथसिंह शेखावत, अध्यक्ष, ताइक्वांडो एसोसिएशन आॅफ कोटा
फैडरेशन विवाद जब तक नहीं सुलझेगा तब तक सामानांतर चल रही कोटा ताइक्वांडो में प्रशिक्षण प्राप्त कर खिलाड़ियों का भविष्य में अधर में लटका हुआ है। दूसरी ओर इनसे मिलने वाले सर्टिफिकेट की कोई मान्यता नहीं है, ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वैध ताइक्वांडो एसोसिएशन में ही खिलाए ताकि बच्चों को आगे इनसे लाभ मिल सके।
- अशोक गौतम, कोच, कोटा
फैडरेशन को लेकर अभी कोई विवाद नहीं है। कोर्ट से आए निर्णय के अनुसार टीएफआई मान्य है। 2026 में चुनाव करवाएं जाएंगे, तभी स्थिति साफ हो सकेगी। 2022 में चुनाव हुए थे।
- लक्ष्मण सिंह हाड़ा, जनरल सेक्रेटरी राजस्थान ताइक्वांडो एसोसिएशन

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