दीवारों में सीलन और सिर पर करंट का खतरा

36 साल पुराना हॉस्टल हो चुका जर्जर, चारों तरफ गंदगी का ढेर

दीवारों में सीलन और सिर पर करंट का खतरा

जेकेलोन अस्पताल के पीछे नर्सिंग बॉयज हॉस्टल बरसों से जर्जर अवस्था में है, जिसकी बरसों से मरम्मत तक नहीं हुई।

कोटा। 36 साल पुराना नर्सिंग हॉस्टल जर्जर हो चुका है। दीवारें सीलन से सडांध मार रही है। कमरे का दरवाजा खुलते ही बिजली के तार सिर से टकराते हैं। बिजली पैनल में कबूतरों के घौंसले बने हुए हैं। जिनके उड़ते ही स्पार्किंग की तेज आवाज दिल में करंट का खौफ पैदा कर देती है। खिड़की दरवाजे टूटे हुए हैं। जहां से आती सर्द हवाएं हाड़ कंपकपा देती है। वहीं, हॉस्टल के पीछे उगे झाड़-झंकाड़ के जंगल से रात को जहरीले जीव जंतुओं से जान का खतरा बना रहता है।  दरअसल, जेकेलोन अस्पताल के पीछे नर्सिंग बॉयज हॉस्टल बरसों से जर्जर अवस्था में है। जिसकी बरसों से मरम्मत तक नहीं हुई। कॉरिडोर में लगे बिजली के पैनल क्षतिग्रस्त हो गए। बिजली के तार विद्यार्थियों के सर से टकरा रहे हैं। जिससे हादसे का खतरा बना रहता है। भवन के पीछे गंदा नाला है, दुर्गंध से विद्यार्थियों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है। 

कमरों के बाहर लटक रहे बिजली के तार
नर्सिंग एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हनुमान मीणा ने बताया कि  हॉस्टल कॉरिडोर में कमरों के बाहर बिजली के तार लटके पड़े हैं। तार जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं। बिजली पैनल कबूतरों का घोंसला बना हुआ है। तार लूज हो चुके हैं। वहीं दीवारों में अंडरग्राउड हो रही वायरिंग जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है, जिससे करंट का खतरा बना रहता है। वहीं, बरामदे की छतों के बड़े-बड़े पलास्टर आए दिन गिरता रहता हैं। पूर्व में भी सीलिंग के चलते दीवारों में करंट आने की घटना हो चुकी है। विद्यार्थियों ने इसकी शिकायत हॉस्टल इंचार्ज व कॉलेज प्रिंसिपल को लिखित व मौखिक रूप से कर चुक हैं, इसके बावजूद व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुआ। 

कबूतरों का घौंसला बना बिजली पैनल
पूर्व एसोसिएशन अध्यक्ष जांगिड़ ने बताया कि हॉस्टल में चार से पांच जगहों पर बिजली पैनल लगे हुए हैं, जिनमें कबूतरों का घौंसला बना हुआ है। जिसकी वजह से आए दिन स्पार्किंग होने से बिजली गुल रहती है। जिससे पानी की सप्लाई बाधित हो जाती है। हॉस्टल इनचार्ज, प्रिसिंपल व एमबीएस अस्पताल अधीक्षक को अवगत करवाने के बावजूद समाधान नहीं हो रहा। 

खिड़कियां टूटी, सर्द हवाओं से गल रहे कमरे
हॉस्टल के कमरों की खिड़कियां टूटी हुई है। जिनसे सर्द हवाओं के प्रवेश से कमरे में गलन रहती है, छात्र सर्दी से ठिठुर रहे हैं। वहीं, हॉस्टल के आसपास बड़ी-बड़ी झाड़- झाड़ियां उगी हुई हैं, जिनमें जहरीले जीव जंतुओं की मौजूदगी बनी हुई है। उनका टूटी खिड़कियों में से कमरों में पहुंचने का खतरा रहता है। भवन के पीछे नाला है, जिसकी सफाई नहीं होने से मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया। जबकि, विद्यार्थी कॉलेज के बाद 4 घंटे जेकेलोन व एमबीएस अस्पताल में ड्यूटी करते हैं। जहां दूसरों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाते हैं और हॉस्टल में खुद गंदगी व संक्रमण के बीच दिन गुजारने को मजबूर हैं। 

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दीवारों में सीलन, करंट का खतरा
नर्सिंग एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अरुण जांगिड़ ने बताया कि हॉस्टल की छतें जर्जर हो चुकी है। हाल ही में दो दिन हुई बारिश से कमरों की छतें टपकने लगी। दीवारों में सीलिंग आ रही है। बिजली के तार इतने नीचे लटक रहे कि कॉरिडोर में आते-जाते विद्यार्थियों के सिर से टकरा रहे हैं। कई बार स्पार्किंग होने से करंट का खतरा बना रहता है। बरामदे की छतों के बड़े-बड़े पलास्टर आए दिन गिरता रहता हैं। हॉस्टल के अंदर व बाहर कचरे का ढेर लगा रहता है। दुर्गंध से विद्यार्थियों का सांस लेना तक दुश्वार हो रहा है। 

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नलों की टूटियां टूटी, व्यर्थ बह रहा पानी
राजकीय नर्सिंग कॉलेज से जीएनएम कर रहे छात्र ने बताया कि हॉस्टल में सुविधाओं का आभाव है। सुविधा घर का फर्श टूटे हुए हैं। हॉस्टल में दो जगह नल लगे हुए हैं, एक की टूटियां टूटी हुई है तो दूसरे का पाइप लीकेज हो रहा है। जिससे दीवार से पानी झर रहता है। नाम न छापने की शर्त पर जीएनएम द्वितीय वर्ष के छात्र ने बताया कि रुम नम्बर 4 व 5 के बाद बाथरुम बना हुआ है, जिसका पाइप लंबे समय से लीकेज हो रहा है। जिससे पानी व्यर्थ बहता रहता है। कमरों का मेंटिनेंस भी छात्र खुद के खर्चें पर करवा रहे हैं। आए दिन छतों का प्लास्टर गिरने की घटनाएं होती है। 

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श्वान व सुअरों का आतंक 
विद्यार्थियों का कहना है, हॉस्टल परिसर में दिनरात आवारा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। सबसे ज्यादा परेशानी श्वान और सुअरों की है। भोजन की तलाश में यह कमरों तक पहुंच जाते हैं। वहीं, रात में हॉस्टल आने-जाने के दौरान काटने को दौड़ते हैं। हॉस्टल परिसर में सुरक्षा गार्ड की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। जबकि, इस परिसर में कुल पांच हॉस्टल व एक औषधीय भंडार है। पूर्व में यहां चोरी की कई वारदातें हो चुकी है। तीन रेजिडेंट डॉक्टरों की बाइक व कई कारों की बैट्रियां तक चुरा ले गए। वहीं, औषधीय  भंडार के बाहर लगे एयरकंडीशनर की तीन मशीनें भी चोरी हो चुकी है। जिसकी शिकायत नयापुरा थाने में दर्ज करवाई गई थी।

4.8 करोड़ से बन रहा नया जीएनएम हॉस्टल 
एमबीएस अस्पताल परिसर में जी-5 कैटगरी का 4.8 करोड़ की लागत से नया जीएनएम हॉस्टल बन रहा है। अगस्त-सितम्बर के बीच टैंडर हो गए थे। 7 से 8 माह में बिल्डिंग बनकर तैयार हो जाएगी। जिससे 180 जीएनएम विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। यहां गर्ल्स व बॉयज दोनों के अलग-अलग हॉस्टल बनाए जाने हैं। वहीं, वर्तमान में विद्यार्थी जिस हॉस्टल में रह रहे हैं, उनमें परेशानी तो है ही। पूर्व में शिकायत मिलने पर मेंटिनेंस का कुछ कार्य करवाया था। एमबीएस अस्पताल अधीक्षक से बात कर समस्याओं का समाधान करवाएंगे।
- विष्णुदत्त यादव, प्रिंसिपल राजकीय जीएनएम कॉलेज 

यह हॉस्टल सीएमएचओ के अधीन आता है। पूर्व में एमबीएस अस्पताल अधीक्षक के सहयोग से हमने मेंटिनेंस कार्य करवाया था। दो माह पहले ही हॉस्टल का निरीक्षण किया था। विद्यार्थियों की समस्याओं से जीएनएम कॉलेज प्राचार्य को भी अवगत कराया था। हालांकि, समय-समय पर समस्या का समाधान करवाते हैं। 
- राजेश सोनी, इनचार्ज, नर्सिंग बयॉज हॉस्टल

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