कोटा के 10 कॉलेजों में उधारी की फैकल्टी ने करवाए मिड टर्म एग्जाम

उच्च शिक्षा के बुरे हाल : जिले के पांच कॉलेजों में 13 विषयों के शिक्षक नहीं

कोटा के 10 कॉलेजों में उधारी की फैकल्टी ने करवाए मिड टर्म एग्जाम

सेमेस्टर परीक्षा की तैयारी तो छोड़िए प्रायोगिक परीक्षा करवाने में भी पसीने आ गए। सबसे ज्यादा खराब स्थिति ग्रामीण इलाकों के पांच राजकीय महाविद्यालयों की है।

कोटा। उच्च शिक्षा में कोटा जिला बुरे हालातों से गुजर रहा है। शिक्षा नगरी होने के बावजूद सरकारी कॉलेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। सेमेस्टर परीक्षा की तैयारी तो छोड़िए प्रायोगिक परीक्षा करवाने में भी पसीने आ गए। सबसे ज्यादा खराब स्थिति ग्रामीण इलाकों के पांच राजकीय महाविद्यालयों की है। यहां 13 से ज्यादा विषयों की कक्षाएं लगती ही नहीं हैं। ऐसे में मिडटर्म एग्जाम करवाना इन कॉलेजों के लिए जंग जीतने जैसे रहा। हालात यह हैं, कोटा रे-सेंटर से जिले के 10 राजकीय महाविद्यालयों में उधारी की 27 फैकल्टी भेजी गई, तब जाकर यहां मिडटर्म एग्जाम हो सके। जबकि, अगले महीने बीए, बीएससी व बीकॉम के पहले सेमेस्टर की परीक्षा होनी है, लेकिन अभी तक 60 फीसदी कोर्स अधूरा है। ऐसे में विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा है। 

फैकल्टी के लिए तरस रहे यह कॉलेज 
कॉलेज आयुक्तालय ने इस बार सरकारी कॉलेजों में विद्या संबल पर शिक्षक नहीं लगाए। जबकि, राजसेस सोसायटी द्वारा संचालित नए कॉलेजों में लगा दिए हैं। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में चल रहे गवर्नमेंट कॉलेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। इनमें राजकीय महाविद्यालय इटावा, सांगोद, कनवास, रामगंजमंडी शामिल हैं। वहीं, संभाग का सबसे बड़ा वाणिज्य महाविद्यालय कोटा में लंबे समय से बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन विषय का शिक्षक ही नहीं है। इसी तरह रे-सेंटर का नोडल प्रभारी गवर्नमेंट साइंस कॉलेज कोटा में जूलॉजी पढ़ाने वाला शिक्षक ही नहीं है। वहीं जेडीबी आर्ट्स कॉलेज भी उर्दू व दर्शनशास्त्र विषयों के शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है।

क्या है रे-सेंटर
रे-सेंटर प्रभारी डॉ. अंजू कपूर ने बताया कि कॉलेज आयुक्तालय ने वर्ष 2019 में रिसोर्स असिस्टें एंड कॉलेज विद एक्सीलेंस (रे-सेंटर) का गठन किया था। यह सेंटर  प्रदेशभर में जिले वाइज बनाया गया। कोटा में 11 राजकीय महाविद्यालय है, इनमें गवर्नमेंट साइंस कॉलेज रे-सेंटर का नोडल प्रभारी है। इस सेंटर से जिले के सभी सरकारी कॉलेज  जुड़े हुए हैं। सेंटर का मुख्य उद्देश्य महाविद्यालयों को साधन-संसाधन उपलब्ध करवाकर सहायता करना है। सेमेस्टर स्कीम के तहत सभी कॉलेजों में मिडटर्म एग्जाम करवाना जरूरी है। ऐसे में जहां फैकल्टी की कमी है, वहां रे-सेंटर की मदद से शिक्षक भेजकर इंटरनल एसेसमेंट करवाए गए हैं। वहीं, 6-6 दिन के लिए फैकल्टी भेजकर शिक्षण कार्य भी करवाया जाता है। 

27 शिक्षकों ने करवाए मिडटर्म
राजकीय साइंस कॉलेज कोटा की प्राचार्य डॉ. प्रतिमा श्रीवास्तव ने बताया कि उनका कॉलेज रे-सेंटर का नोडल प्रभारी है। उच्च शिक्षा आयुक्तालय द्वारा राजकीय कॉलेजों की मदद के लिए जिले स्तर पर रे-सेंटर का गठन किया गया है। मिड टर्म एग्जाम करवाने के लिए जिले के 10 राजकीय महाविद्यालयों में रे-सेंटर से 27 शिक्षकों को भेजा गया था। इनमें सबसे ज्यादा 10 शिक्षक गवर्नमेंट इटावा कॉलेज में भेजे गए थे। क्योंकि, यहां एक ही शिक्षक हैं। जबकि, 7 विषय संचालित हैं। इसी तरह कनवास में 4, सांगोद में 4, रामगंजमंडी में 4, जेडीबी आर्ट्स में 3 तथा राजकीय वाणिज्य महाविद्यालय में 1 शिक्षक भेज इंटरनल एसेसमेंट एग्जाम करवाए गए। 

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ज्योग्राफी से इतिहास तक नहीं पढ़ पा रहे छात्र
कनवास आर्ट्स कॉलेज की प्राचार्य जयश्री राठौर ने बताया कि शिक्षकों की कमी से अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है। विद्यार्थियों की नाराजगी भी सहनी पड़ती है। वर्ष 2021 के बाद से ही यहां ज्योग्राफी और राजनेतिक विज्ञान की फैकल्टी नहीं है। ऐसे में इन विषयों की कक्षाएं नहीं लग पाती। हालांकि, जिले के रे-सेंटर को पत्र लिखने पर 6 दिन के लिए संबंधित विषय के शिक्षक लगा दिए जाते हैं लेकिन निर्धारित दिन के बाद वापस कक्षाएं खाली रह जाती है।

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 सरकार ने कॉलेज तो खोल दिए लेकिन शिक्षक उपलब्ध नहीं करवाए। पूर्व में विद्या संबल पर शिक्षक थे लेकिन इस बार तो वह भी नहीं लगाए। हालात यह हैं, ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों में आधे से ज्यादा विषयों की क्लासें ही नहीं लगती। पछले साल सांगोद, कनवास  व इटावा के अधिकतर विद्यार्थियों के सप्लीमेंट्री आई है। वहीं कुछ छात्र तो फेल हो गए। आयुक्तालय की लापरवाही से विद्यार्थियों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। प्रदेश में नई सरकार बनी है, ऐसे में इन महाविद्यालयों में शिक्षक लगाने की उम्मीद है।  
-आशीष गोचर, अध्यक्ष, ग्रामीण छात्र संगठन सांगोद 

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कर रहे हैं सुचारू अध्यापन के प्रयास
संभाग में राजसेस सोसायटी के अधीन संचालित कॉलेजों में विद्या सम्बल पर शिक्षक व प्राचार्य लगा दिए हैं। वहीं, गवर्नमेंट कॉलेजों में सरकार द्वारा आरपीएससी के माध्यम से शिक्षकों के रिक्त पद भरे जाएंगे। जिन महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी है, वहां रे-सेंटर के माध्यम से अध्यापन कार्य सुचारू करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। 
-डॉ. रघुराज सिंह परिहार, क्षेत्रिय सहायक निदेशक, कॉलेज आयुक्तालय 

कॉलेज में लंबे समय से 4 विषयों के शिक्षक नहीं है, लोक प्रशासन, उर्दू, चित्रकला, संस्कृत की कक्षाएं नहीं लगती। महीने में केवल 6 दिन के लिए कोटा से फैकल्टी आती है, जो फॉर्मल्टी पूरी कर जाती है। बिना तैयारी के मिडटर्म एग्जाम दिए हैं। यहीं हालात मुख्य परीक्षा के पहले सेमेस्टर की है। 
-राघव शर्मा, बीए प्रथम वर्ष

दूर-दराज क्षेत्र से कॉलेज आते हैं लेकिन यहां हिन्दी आॅफनल और चित्रकला पढ़ने को नहीं मिलती। ऐसे में कॉलेज जाने में समय व्यर्थ होता है। जनवरी में पेपर होने वाले हैं, परीक्षा की तैयारी कैसे करें, समझ में नहीं आ रहा। इंटरनल एसेसमेंट भी भगवान भरोसे ही दिए हैं।  
-कमल मीणा, द्वितीय वर्ष, सांगोद

गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज संभाग का सबसे बड़ा महाविद्यालय है, इसके बावजूद यहां बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन की क्लासें नहीं लगती। इस विषय का संभाग में मात्र दो ही शिक्षक हैं। एक बारां में तो दूसरे गर्ल्स वाणिज्य कॉलेज में हैं। रे-सेंटर से महीने में 6 दिन के लिए जेडीबी से फैकल्टी आती हैं, तब ही क्लास लग पाती है। 
-अर्पित जैन, छात्रसंघ अध्यक्ष, राजकीय वाणिज्य महाविद्यालय कोटा

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