आखिर बढ़े ईंधन के दाम

आखिर तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों में फिर से बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू कर दिया है।

आखिर बढ़े ईंधन के दाम

पेट्रोल के दाम 88 पैसे और डीजल के दाम 83 पैसे प्रति लीटर तक बढ़ाए गए हैं, तो वहीं रसोई गैस सिलेंडर 50 रुपए और महंगा हो गया है।

आखिर तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों में फिर से बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू कर दिया है। पेट्रोल के दाम 88 पैसे और डीजल के दाम 83 पैसे प्रति लीटर तक बढ़ाए गए हैं, तो वहीं रसोई गैस सिलेंडर 50 रुपए और महंगा हो गया है। देश के अलग-अलग राज्यों में वृद्धि का असर अलग-अलग ही पड़ा है। कुछ राज्य ऐसे हैं जिनके पड़ोसी राज्यों में पेट्रोल-डीजल सस्ता बिक रहा है। जैसे कि राजस्थान का ही हाल जाने तो यहां पेट्रोल 88 पैसे से बढ़कर अब 107.94 रु. प्रति लीटर हो गया है, वहीं डीजल 83 पैसे बढ़ने से 91 रु. 53 पैसे प्रतिलीटर हो गया है। वहीं पड़ोसी राज्य हरियाणा, पंजाब आदि में पेट्रोलियम ईंधन के दाम सस्ते हैं। पेट्रोल और डीजल के दाम आखिरी बार 17 नवम्बर 21 को यानी 124 दिन पहले बढ़े थे। वहीं रसोई गैस के दाम 6 अक्टूबर 21 को यानी 166 दिन पहले बढ़े थे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आॅयल का भाव इस समयावधि के दौरान लगातार बढ़ रहा है तो पहले से ही अनुमान था कि पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्यों में निश्चित रूप से बढ़ोतरी की जाएगी। बढ़Þोतरी की पहले भी लागू हो सकती थी, लेकिन पांच राज्यों में चुनावों की वजह से यह रूकी हुई थी। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी दामों में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण माना जा रहा है। इस बीच, डीजल की  थोक खरीददारी में एक साथ पच्चीस रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी। यह सोचा भी नहीं गया कि इस बढ़ोतरी का महंगाई वृद्धि में कितना बड़ा असर पड़ेगा। तब सरकार ने कहा था कि बढ़ोतरी केवल थोक खरीददारी पर की गई है, इसका असर खुदरा बिक्री पर नहीं पड़ेगा, लेकिन अब खुदरा बिक्री के दाम भी बढ़ा दिए गए हैं। रसोई गैस सिलेंडर एक साथ 50 रुपए महंगा करने से हर परिवार के बजट पर इसका प्रभाव पड़ेगा। पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि या बाजार में बढ़ती महंगाई का सम्पन्न लोगों पर कोई असर नहीं पड़ता, लेकिन भारत की बड़ी आबादी मुश्किलों में जुझती हुई दिन गुजारती है। पिछले कुछ समय से रोजमर्रा की जरूरतों के सामान की कीमतें आम लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही हैं। ऐसे में सरकार की कोशिश यह होनी चाहिए थी कि वह लोगों को महंगाई से राहत दिलाने के लिए ऐसे उपाय निकाले, ताकि आम आबादी के बीच आय और खर्च को लेकर संतुलन बना रहे। कोरोना व लॉकडाउन की वजह से बड़ी आबादी की आय तो  रुक गई है, काफी लोगों की तो खत्म हो गई है। करोड़ों लोगों के रोजगार पर आफत आई हुई है। सरकार को सारे हालात का पता है फिर भी सरकार पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस के दामों में बढ़ोतरी करके लोगों के सामने और मुश्किलें पैदा कर रही हैं। कोई वैल्पिक उपाय नहीं कर रही है।

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