भारत के विरोध के बाद थाईलैंड ने डब्ल्यूटीओ से राजदूत को हटाया

यूएई के प्रति नाराजगी भी जताई

भारत के विरोध के बाद थाईलैंड ने डब्ल्यूटीओ से राजदूत को हटाया

भारत ने औपचारिक रूप से थाईलैंड सरकार के सामने अपना विरोध दर्ज कराया और डब्ल्यूटीओ प्रमुख, कृषि समिति के प्रमुख केन्या और यूएई के प्रति नाराजगी भी जताई।

अबूधाबी। भारत के चावल खरीद कार्यक्रम को लेकर डब्ल्यूटीओ में थाईलैंड की राजदूत ने विवादास्पद टिप्पणी की थी। इस पर भारत ने विरोध दर्ज कराया था। इसके बाद थाईलैंड ने उन्हें हटा दिया है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि थाईलैंड की राजदूत पिमचानोक वॉनकोर्पोन पिटफील्ड को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी-13) से हटाकर वापस थाईलैंड आने के लिए कहा गया है। बताया जा रहा है कि थाईलैंड के विदेश सचिव ने उनका स्थान लिया है। मंत्रिस्तरीय वार्ता पांचवें दिन प्रवेश कर गई है।
अधिकारी ने कहा कि भारत ने मंगलवार को एक परामर्श बैठक के दौरान पिटफील्ड की टिप्पणियों पर गहरी निराशा जताई थी। उन्होंने भारत पर आरोप लगाया था कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चावल खरीद का कार्यक्रम लोगों के लिए नहीं, बल्कि निर्यात बाजार पर कब्जा करने के लिए है। इसके बाद भारत ने औपचारिक रूप से थाईलैंड सरकार के सामने अपना विरोध दर्ज कराया और डब्ल्यूटीओ प्रमुख, कृषि समिति के प्रमुख केन्या और यूएई के प्रति नाराजगी भी जताई।

अधिकारी ने कहा कि थाईलैंड की राजदूत को बदल दिया गया है। उन्होंने भारत के पीएसएच (सार्वजनिक भंडारण) कार्यक्रम का मजाक उड़ाया है। उन्होंने कहा कि थाई राजदूत की भाषा और व्यवहार अच्छा नहीं था। इस मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज कराने के बाद भारतीय वातार्कारों ने उन समूहों में भाग लेने से भी इनकार कर दिया था, जहां थाई प्रतिनिधि मौजूद थीं।

दुनिया के सामने रखे गलत तथ्य
सरकारी अधिकारी ने कहा कि उनके तथ्य गलत थे क्योंकि सरकार खाद्य सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए धान की उपज का केवल 40 फीसदी ही खरीदती है। उन्होंने बताया कि बाकी हिस्से को सरकारी स्वामित्व वाली एजेंसियां नहीं खरीदती हैं और इसे भारत से बाजार कीमतों पर निर्यात किया जाता है। भारत की तरह थाईलैंड भी एक प्रमुख चावल निर्यात देश है। विभिन्न मंचों पर कुछ विकसित और विकासशील देशों ने आरोप लगाया है कि भारत की ओर से चावल जैसी जिंसों का सार्वजनिक भंडारण वैश्विक बाजार में कीमतों को विकृत करता है। भारत 2018 से 2022 तक दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश था। उसके बाद थाईलैंड और वियतनाम थे।

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