ट्रक, ट्रेलर और टैंकर चालकों की नही होती है नींद पूरी, न ही कभी आंखों की जांच, 20-20 घंटे दौड़ाते हैं भारी वाहन

कंपनियों ने लगा रखे हैं जीपीएस

ट्रक, ट्रेलर और टैंकर चालकों की नही होती है नींद पूरी, न ही कभी आंखों की जांच, 20-20 घंटे दौड़ाते हैं भारी वाहन

कट बचाने के फेर में तेज रफ्तार और असुरक्षित यू-टर्न लेने से भी नहीं चूकते हैं भारी वाहन चालक, नतीजा- हादसे

जयपुर। अजमेर हाईवे पर टैंकर-कन्टेनर ब्लास्ट के दिल दहला देने वाले हादसे जैसी जानलेवा घटनाओं की बड़ी वजह ट्रक, ट्रेलर और टैंकर चालकों की नींद पूरी न होना भी है। कंपनियों ने इन पर जीपीएस लगा रखे हैं और वे उन्हें 20-24 घंटे दौड़ाते हैं। कहीं रुकते हैं तो कॉल आ जाती है। पैसा भी कटता है। विमान का पायलट तो छह घंटे से अधिक समय होते ही ड्यूटी छोड़कर चला जाता है, लेकिन ट्रकों के ड्राइवरों को कहीं बार तो दो-दो दिन लगातार वाहन चलाने पड़ते हैं। इनकी आंखों की जांच भी नहीं होती। हजार-हजार किलोमीटर लंबे रूट पर कोई रिलीवर ड्राइवर भी नहीं होत। कई बार खलासी भी गाड़ियों के स्टेयरिंग थामते हैं। दैनिक नवज्योति ने इस मामले में ग्राउंड पर जाकर ड्राइवरों से बातचीत की और उनके दु:ख-दर्द का पता लगाया। कंपनियां ड्राइवरों की कभी नहीं सुनती। वहीं कट बचाने और असुरक्षित यू-टर्न करने  के पीछे छिपी हुई गलत मंशाएं भी सामने आई है। डीजल बचाने के फेर में भी तेज रफ्तार और कम दूरी को टारगेट कर लेते हैं। ट्रक चालकों को जल्दी पहुंचने के लिए टारगेट दिए जाते हैं। 1500 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए इन वाहनों पर एक ही चालक होता है। एक दिन में चालक 16 से 18 घंटे तक वाहन को चलाता है। यदि तनख्वाह देखी जाए तो 10 हजार से लेकर 20 तक होती है।यदि इस दौरान वाहन से कोई पार्ट या सामान चोरी हो जाता है तो तनख्वाह से काट लिया जाता है।

1 टैंकर चालक: अब्दुल खान
निवासी: काशीपुर, उत्तरप्रदेश
सुबह 5 से शाम 7 बजे तक ही चलाते हैं वाहन
गुजरात के खांडला से एलपीजी गैस का टैंकर लेकर आ रहे चालक अब्दुल ने बताया कि वह गाड़ी पर अकेला ही चालक है। हर माह हमारी कम्पनी की तरफ से हेल्थ चेकअप होता है। हर साठ किलोमीटर के बाद टैंकर को रोक कर आधे घंटे का रेस्ट अनिवार्य है। चालक वाहन को 45 से 50 की स्पीड पर ही चला सकता है। गाड़ी की लोकेशन के लिए जीपीएस ट्रैकर लगाया जाता है। अगर कोई चालक टैंकर को 50 किलोमीटर से अधिक गति से चलाता है तो चालक के साथ-साथ टैंकर को भी एक माह के लिए कम्पनी से हटा देते हैं।

2 ट्रेलर चालक: दुर्गालाल
निवासी: देवली टोंक
24 घंटे के दौरान तय करनी होती है 400 किमी की दूरी, दो-तीन घंटे ही सो पाते हैं
पिछले डेढ़ माह से बिना घर गए वाहन चलाने वाले ट्रेलर चालक दुर्गालाल ने बताया कि हम ड्राइवर लोगों को समय की पाबंदी होती है। 24 घंटे में चार सौ किलोमीटर तक गाड़ी चलानी पड़ती है। सोने के लिए सिर्फ दो-तीन घण्टे का समय मिलता है। दुर्गालाल से पूछा कि नींद के चलते अगर कोई हादसा हो गया तो...? बात काटते हुए वह बताने लगा कि हमारा तो ऊपर वाला ही रखवाला है। मुझे दस हजार वेतन मिलता है, परिवार चलाने के लिए और कोई साधन नहीं।

3 ट्रेलर चालक: राजू
निवासी: मकराना
अवैध वसूली, मारपीट, लूट के भी शिकार, टोल से भी मिल जाती है बदमाशों को सूचना
राजू अपने ट्रेलर में किशनगढ़ से मुरादाबाद यूपी के लिए मार्बल लेकर रवाना हुए। इन्होंने बताया कि ट्रक चालक रात को हमेशा असुरक्षित महसूस करता है। कई बार लोग मदद के बहाने ट्रेलर रुकवा लेते हैं और उसके बाद मारपीट पर लूट ले जाते हैं। इसके अलावा रिंग रोड पर अवैध वसूली करने वालों से भी ड्राइवरों को जूझना पड़ता है। कई बार टोल वाले भी बदमाशों को सूचना देकर लूटपाट करवा देते हैं। 

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4 टैंकर चालक: सुरेश योगी, निवासी: भरतपुर
दस हजार रुपए वेतन में हर दिन 16 घंटे चलाते हैं वाहन
ट्रेलर में कोयला लेकर जा रहे चालक सुरेश योगी ने बताया कि उनकी तनख्वाह दस हजार रुपए है और उन्हें हर दिन करीब 16 घंटे वाहन चलाना पड़ता है। गाड़ी पर एक ही चालक होता है, खलासी भी नहीं होता। 15 साल पहले ड्राइवरी शुरू की थी, उस समय तनख्वाह आठ हजार रुपए थी अब 10 हजार हो गई है। अवैध वसूली से परेशान हैं, कई बार पता पूछने के लिए भी रुपए देने पड़ते हैं। 

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5 टैंकर चालक: भंवरलाल, निवासी: बाड़मेर
हादसों का बड़ा कारण, नींद और टारगेट
कन्टेनर चालक भंवर ने भावुक होते हुए बताया कि वह आए दिन हो रहे हादसों को देखकर परेशान हैं। भांकरोटा में हुए हादसे ने उसे व्यथित किया है। पेट पालने के लिए ड्राइवरी करनी पड़ती है। एक राज्य का नाम लेते हुए कहा कि अवैध वसूली के लिए ड्राइवर का हाथ तोड़ दिया था। जब 20 रुपए अवैध वसूली के नहीं देते हैं तो 70-70 रुपए की कई लाइट तोड़ देते हैं।

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