गुलाबी नगरी में किले-महल और वाइल्ड लाइफ के साथ माउंटेनिंग भी
पहाड़ कहानी की तरह हैं, इन्होंने सिखाया डर के आगे जीत है
पहाड़ जीवन में संघर्ष करना, आत्मविश्वास पैदा करना सीखा देता है।
जयपुर। गुलाबी नगरी अपनी ऐतिहासिक इमारतों और आकर्षक हवेलियों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यहां हर साल लाखों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक इन्हें निहारने के लिए आते हैं। इस बीच ऐतिहासिक स्मारकों को निहारने के साथ ही जयपुर में माउंटेनिंग का एक नया ट्रेंड उभरकर सामने आया है। कई विदेशी पर्यटक यहां आकर इसमें दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं। वे ट्रेवल एजेंट्स के जरिए इस एक्टिविटी को अपने टूर पैकेज में विशेष रूप से जुड़वा रहे हैं। इतना ही नहीं खासकर युवाओं में इसका जबरदस्त रुझान देखने को मिल रहा है। जानकारी के अनुसार जयपुर में झालाना डूंगरी, रामगढ़ लेक के पास पहाड़ी एरिया, हथिनी कुंड, बह्मपुरी में कदम कुंड एरिया में लोगों को माउंटेरिंग कराई जाती है।
एक माह में मिल जाता है बेसिक नॉलेज
माउंटेनियरिंग एण्ड एडवेंचर इंस्टीट्यूट ऑफ राजस्थान के फाउंडर डायरेक्टर के.एन.सिंह ने बताया कि सीखने वाले लोगों को करीब महीने भर में इसकी बेसिल जानकारी मिल जाती है। कई बार ट्रेवल कम्पनियों के जरिए भी हमारे पास पर्यटक इस गतिविधि में हिस्सा लेने आते हैं।
मेरे लिए कहानी की तरह है पहाड़
जयपुर निवासी 26 वर्षीय माहेश्वरी शेखावत ने कहा कि साल 2015 से माउंटेनियरिंग कर रही हूं। इसकी शुरूआत झालाना से की। इसके अतिरिक्त उत्तराखण्ड के पहाड़ों सहित अन्य जगहों पर माउंटेनियरिंग कर चुकी हूं। कहा जाए तो पहाड़ एक तरह से शक्ति देता है। पहाड़ मेरे लिए एक कहानी की तरह है। जो सफलता के बाद सुखद अनुभव देती है। पहाड़ जीवन में संघर्ष करना, आत्मविश्वास पैदा करना सीखा देता है।
56 साल के आईएफएस अधिकारी फुर्ती से करते हैं माउंटेनियरिंग
वन विभाग के मुख्यालय अरण्य भवन में तैनात आईएफएस अधिकारी के.सी.मीणा माउंटेनियरिंग में भी अच्छे-अच्छों को पछाड़ देते हैं। पैरालाइसेस बीमारी होने के बाद डॉक्टरों ने साइक्लिंग करने के लिए मना कर दिया था लेकिन बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और आज पहाड़ों पर शानदार माउंटेनियरिंग करते हुए देखे जाते हैं। मीणा का कहना है कि इससे ना केवल शारीरिक प्रशिक्षण होता है, बल्कि मानसिक रूप से व्यक्ति मजबूत होता है। माउंटेनियरिंग सिर्फ शारीरिक चुनौती नहीं है, यह मानसिंह दृढ़ता, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की परीक्षा भी है।
पर्यटक करते हैं इंक्वायरी
पर्यटन विशेषज्ञ संजय कौशिक का कहना है कि अब पर्यटक भी माउंटेनियरिंग में रूचि ले रहे हैं। कई बार विदेशी पर्यटक भी इसकी पूछताछ करते हैं। कहा जाए तो जयपुर एक ऐसी पर्यटन नगरी कही जा सकता है, जहां पर्यटकों को किले-महल, वाइल्ड लाइफ के रोमांच के साथ ही माउंटेनिंग जैसी साहसिक गतिविधियों से रूबरू होने का मौका मिलता है।
किताबों की कहानी से भी सुंदर है पहाड़
जयपुर निवासी प्रवीण कुमार शर्मा ने बताया कि जब छोटे थे, तो किताबों में पहाड़ों के बारे में बहुत की बातें और कहानियां पढ़ी थी। बड़े होकर जब पहली बार पहाड़ देखा तो कहानियों से भी बेहतर पाया। पहाड़ों ने बहुत कुछ सिखाया है। इसके बाद रॉक और आईस क्लाइमिंग भी शुरू की। लद्दाख, हिमाचल और नॉर्थ ईस्ट में ये काम कर चुका हूं।
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