नवरात्रि स्पेशल: 12 गांवों की आराध्य देवी होने से नाम पड़ा बारहखेड़ा माताजी
पेड़ की टहनी को तोड़ना यहां माना जाता है अपराध
गामछ नॉर्दन बाइपास के पास स्थित गामछ - भवानीपुरा प्राचीन शक्तिपीठ श्री बारहखेड़ा माताजी के मंदिर परिक्षेत्र में पेड़ काटना सख्त मना होने से आसपास सघन वन व हरियाली बनी हुई है।
गामछ। गामछ नॉर्दन बाइपास के पास स्थित गामछ - भवानीपुरा प्राचीन शक्तिपीठ श्री बारहखेड़ा माताजी के मंदिर परिक्षेत्र में पेड़ काटना सख्त मना होने से आसपास सघन वन व हरियाली बनी हुई है। मंदिर के पुजारी दुर्गालाल पाराशर का कहना है कि रियायत काल से ही मान्यता है कि मंदिर क्षेत्र में पेड़ काटने वालों का अनिष्ट हो जाता है। इस मान्यता को अभी तक कायम रखा हुआ है। पेड़ सूखने व टहनियां टूटने के बावजूद को घरेलू काम लेने के बजाए धार्मिक यज्ञ व संतों के धूणे, प्रसाद बनाने में काम ली जाती है। खेड़ा माता मंदिर क्षेत्र की 70 बीघा भूमि पर लगे पेड़ों की टहनी तक नहीं तोड़ सकते हैं। इसे मान्यता से कहीं पेड़ तो सैंकड़ों बस पुराने हैं। पेड़ पौधे देखकर श्रद्धालु प्रफुल्लित हो जाते हैं। 28 बीघा भूमि गौशाला व धार्मिक आयोजन के लिए विकसित कर ली गई है। क्षेत्र में सबसे अधिक चुरेल के पेड़ हैं। ऐसी मान्यता है कि इन पेड़ों पर माताजी की पाती चढ़ी है। इस वजह से इन्हें काटा नही जाता है। शक्तिपीठ खेड़ा माताजी के दर्शनों के लिए देशभर से दर्शनार्थी आते है। गामछ,भवानीपुरा, गुडली, गुडला,,पटोलिया,विजयनगर, गावड़ी,नयागांव, तीरथ, देहित, सेदरी, चानदनहेली, शुभ कार्य का श्री गणेश इस देवी मंदिर से करते है।
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