40 फीट ऊंचे पेड़ों से बना हुआ है खतरा, छंगाई के नाम लीपापोती
थर्मल कॉलोनी में पेड़ों के बीच से गुजर रही विद्युत लाइन
बारिश में अक्सर डाल टूटने से होती है बिजली बाधित।
कोटा। शहर की थर्मल कॉलोनी में जो कि करीब 40 साल से पहली की बनी हुई है। यहां पर सभी मकान पुराने ढर्रे पर ही निर्मित है। ऐसे में कॉलोनी में ऊंचे-ऊंचे और गहरे पेड़ों से मकान पर गिरने का खतरा बारिश के मौसम में ज्यादा बढ़ गया है। इतना ही नहीं इन पेड़ों के बीच में से गुजर रही विद्युत लाइनों से करंट आने और हवा के साथ बार-बार बिजली बाधित होने की स्थिति बन जाती है। अभी कुछ दिन पहले हुई बारिश से पूर्व आए तेज तूफान में इस कॉलोनी में खड़े गहरे पेड़ों की बड़ी-बड़ी डालियां टूटकर घरों की छतों पर गिर गई है। हालांकि उससे जान-माल का तो नुकसान नहीं हुआ, मगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो पुराने मकानों में रहने वालों की जान तक जा सकती है।
छत पर पेड़ गिरने से मकान में आई दरारें
मानसून से पूर्व गत 21 जून को हुई बारिश से पहले आए तूफान में यहां एक मकान की छत पर पेड़ की डाल टूटकर गिर गई थी जिससे उस मकान की दीवारों में दरारें आ चुकी है। थर्मल कॉलोनी में ऐसी दुर्घटनाएं पहले भी हो चुकी है। जिससे थर्मल प्रशासन भली-भांति अवगत है। इसके अलावा थर्मल कर्मचारी संघ (इंटक) के पदाधिकारियों ने भी थर्मल प्रशासन को कई बार समस्याओं के समाधान को लेकर मौखिक व लिखित में अवगत करवाया है।
पेड़ों के बीच से ही गुजर रही है बिजली की तारें
कॉलोनी के घरों में विद्युत सप्लाई के लिए बिछाई गई बिजली की तारें इन पेड़ों के बीच में से ही गुजर रही है। थोड़ी सी तेज हवा चलने के साथ ही इन तारों के पेड़ों से टकराने पर बिजली बाधित हो जाती है। इसके अलावा कभी-कभी स्पार्किंग होने से करंट भी चलने लगता है। ऐसे में यहां पर रहने वाले लोगों को करंट आने का डर बना रहता है। इतना ही नहीं तारों के खींचने से विद्युत पोल भी टेढ़े तक हो जाते हैं, जिनके गिरने का खतरा रहता है।
30-40 फीट ऊंचे है नीम के पेड़
थर्मल कॉलोनी में अधिकतर नीम के पेड़ है, जिनकी ऊंचाई 30 से 40 फीट है। जबकि यहां पर बन मकानों की ऊंचाई मात्र 20 फीट ही है जो कि लगभग 40 साल पहले निर्मित किए गए थे, कई बारिश झेल चुके ये मकान अब दीवारों से कमजोर हो चुके हैं। जिससे इनमें रहने वाले लोगों को वैसे ही बरसात आते ही डर लगने लगता है। उस पर से मकानों से दुगने ऊंचे पेड़ों के गिरने से भय और बढ़ जाता है। अभी तो बारिश के मौसम की शुरुआत हुई है। अब अगर तेज तूफान आता है तो स्थिति बिगड़ भी सकती है।
कॉलोनियों में रहने वाले लोगों का कहना है
थर्मल कॉलोनी में खड़े पेड़ों की छंगाई व सौंदर्यकरण के लिए हर साल लाखों रुपए का टेंडर थर्मल प्रशासन की ओर से किए जाते हैं। लेकिन इसके नाम पर केवल लीपापोती कर दी जाती है। समस्या ज्यों की त्यों आज भी खड़ी है।
- गिरधारीलाल नागर
अभी कुछ दिन पहले आए तूफान में एक मकान की छत पर पेड़ की डाल टूटकर गिर गई थी। धमाके के कारण उस घर में रहने वाले सभी लोग बाहर आ गए थे। हम भी दौड़कर वहां आए और देखा। तब से मन में डर सा बैठ गया है।
- निर्मला मीणा
जैसे ही बारिश का मौसम शुरू होता है। पेड़ों के घर पर गिरने और मकान टूटने या कोई हादसा होने की चिंता हर साल ही सताती रहती है। मगर अब जाएं तो कहां जाएं। थर्मल प्रशासन को कई बार समस्या के बारे में बता चुके हैं।
- रामेश्वर कुमार मीणा
थोड़ी सी तेज हवा चलने पर पेड़ों के बीच से गुजरने वाले तारों के टूटने से बिजली चली जाती है। गर्मी और उमस से लंबे समय तक परेशान होना पड़ता है। इसको लेकर कई बार शिकायत कर चुके हैं, मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
- संगीता, मोनिका
अभी तो गिरे हुए पेड़ों को हटवा दिया है
थर्मल कॉलोनी में पिछले दिनों बारिश से पहले आए तूफान के कारण जिन घरों पर पेड़ गिरे थे, उनको हटवा दिया है। इतना ही नहीं दूसरे पेड़ जो भी टूट गए थे, उनको हटाकर सफाई करवा दी गई है। हर साल टेंडर पेड़ों की छंगाई को लेकर नहीं सफाई के लिए होता है। प्रतिदिन 20 श्रमिक लगाकर तीनों कॉलोनियों में सफाई कराई जाती है। पेड़ों की छंगाई का काम इलेक्ट्रिक विभाग का है। बल्कि उनके श्रमिक जो भी कचरा फैलाते हैं उसे भी हम भी हटवाते हैं। पेड़ों के सौंदर्यकरण व छंगाई को लेकर कोई अलग से टेंडर नहीं होता है।
- अशोक चालाना, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, सिविल, कोटा थर्मल पॉवर स्टेशन, कोटा
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