असर खबर का - 80 लाख के बजट से बीमार पशुओं को मिली संजीवनी
दवाइयों का संकट झेल रहे पशुपालकों को राहत
टेंडर होने के बाद पशु चिकित्सालयों में पहुंचने लगी दवाइयां।
कोटा। जिले में बीमार पशुओं के उपचार के लिए दवाओं का संकट झेल रहे पशुपालकों को अब राहत मिल गई है। पशु चिकित्सालयों में आने वाले बीमार पशुओं को अब नि:शुल्क दवा योजना के तहत दवाएं मिल सकेगी। हाल ही में राज्य सरकार की ओर से कोटा जिले के लिए 80 लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया है। बजट मिलने के बाद अधिकांश दवाओं के टेंडर हो चुके हैं। इससे जिले के साढ़े छह लाख पशुओं को उपचार संभव होगा। नि:शुल्क दवा योजना में पशुओं के लिए सभी प्रकार के टेस्ट और टीके जैसे की एफएमडी, ब्रुसेला और पीपीआर आदि भी नि:शुल्क लगाए जाएंगे।
अटका था टेंडर
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नि:शुल्क दवा योजना के तहत 138 दवा नि:शुल्क दिए जाने की घोषणा की थी। इसके बाद से दवा नि:शुल्क मिल रही थी, लेकिन पिछले साल विधानसभा चुनाव व इस साल लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगने से दवाओं के टेंडर नहीं हो पाए थे। इसके चलते जिले के पशु चिकित्सा केंद्रों पर आने वाले पशुओं के लिए नि:शुल्क दवाएं नहीं मिल पा रही थी। पशुपालकों को बाहर की दुकानों से दवा खरीदनी पड़ रही थी। अब टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद दवा आनी शुरू हो गई है। इससे पशुपालकों को दवाएं मिल पाएंगी।
बरसात में ज्यादा बीमार
बारिश के मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में उन्हें दवाइयों की सख्त जरूरत होती है, लेकिन बजट नहीं होने के कारण जिले के पशु अस्पतालों में काफी समय से दवाइयों का टोटा बना हुआ था। बरसात के दौरान बकरियों में फूड प्वाइजनिंग के केस अधिक आ रहे थे। ऐसे में दवाएं समय पर मिलना जरूरी था। इसके साथ ही डी-वार्मिंग टेबलेट, टिक्स इनफेस्टेशन, एंटी फेयरेटिक, डैक्सोना जैसे दवाओं की मांग इस दौरान ज्यादा रहती है। पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
फैक्ट फाइल
- जिले में कुल पश 6.40 लाख
- जिले में पशु चिकित्सा इकाइयां 180
- प्रथम श्रेणी के पशु चिकित्सालय 16
- पशु चिकित्सालय 36
- पशु चिकित्सा उप केंद्र 124
नवज्योति ने प्रमुखता से उठाया था मामला
जिले के पशु चिकित्सालयों में दवाइयों की कमी से पशुपालकों को हो रही परेशानी को लेकर 30 जून के अंक में दैनिक नवज्योति में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया गया था। इसमें बताया था कि पशुपालकों को अपने बीमार मवेशियों के लिए नि:शुल्क दवा नहीं मिलने से परेशान होना पड़ रहा है। जिले में बड़ी संख्या में पशुपालन होता है। पशुओं के बीमार होने पर सरकारी चिकित्सालय में नि:शुल्क दवा नहीं मिलने से पशुपालकों को बाजार से महंगी दवा खरीदनी पड़ रही है। ऐसे में पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके बाद पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बजट उपलब्ध कराने के सम्बंध में रिमाइंडर भेजा था। अब दवाइयां उपलब्ध होने से पशुपालकों को राहत मिली है।
पूर्व में पशु अस्पतालों में दवाइयों का टोटा होने से चिकित्सकों द्वारा पशुपालकों को बैरंग लौटाया जा रहा था। सामान्य बीमारी की दवाइयां भी बाजार से खरीदनी पड़ रही थी। अब अस्पतालों में दवाइयां मिलने लगी है। इससे पशुओं का उपचार होने लगा है।
- सुल्तान मीणा, पशुपालक, शंकरपुरा
आचार संहिता के चलते पहले दवाओं के टेंडर नहीं हो पा रहे थे। सरकार ने जिले में दवाइयों के लिए 80 लाख का बजट जारी किया है। बजट मिलने के बाद अधिकांश दवाओं के टेंडर हो चुके हैं। दवाएं धीरे धीरे पशु चिकित्सालयों पर पहुंचाई जा रही है।
- डॉ. संजय मीणा, प्रभारी, नि:शुल्क दवा योजना, पशुपालन विभाग
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