बहाव क्षेत्रों में कब्जों से 30 फीसदी बांध खाली विभाग के पास अतिक्रमणों के आंकडे़ नहीं
भारी बरसात के बाद भी 20 फीसदी बांधों में गर्मी के शुरू होते ही खड़ा हो जाता हैं संकट
विभाग के अनुसार वहीं दूसरी ओर गंगनहर के माध्यम से पंजाब से प्रदेश में आने वाले प्रदूषित पानी को रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से हाल ही पंजाब सरकार को पत्र लिखा गया हैं।
जयपुर। प्रदेश में करीब 691 छोटे-बडे़ बांध बने हुए हैं, जिनसे पेयजल और सिंचाई के लिए पानी सप्लाई हो रहा हैं। राजधानी जयपुर के रामगढ़ बांध जैसे कई ऐसे बांध व एनीकट हैं, जिनके बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण की शिकायतें आती रहती हैं। इन बांधों में कितने अतिक्रमण हैं, इसके आंकडे़ जल संसाधन विभाग के पास मौजूद नहीं हैं। अर्थात इन अतिक्रमणों से हर साल अच्छी बारिश के बाद भी 30 फीसदी बांध तो खाली रह जाते हैं। ऐसे में इन अतिक्रमणों पर कार्यवाही किस कदर तक हो सकती हैं, इसका इसी से अंदाजा लगाया जा सकता हैं। विधानसभा में विधायक हरीश चौधरी की ओर से एनीकट और बांधों के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमणों को लेकर चाही गई सूचना के सवाल के जवाब में विभाग की ओर से बताया गया है कि प्रदेश में स्थित बांधों की बांधवार, जिलेवार अतिक्रमण की सूचना संकलित नहीं होने से वर्तमान में उपलब्ध कराया जाना संभव
नहीं हैं।
अतिक्रमण हटाने की किसकी जिम्मेदारी
विभाग के अनुसार जल बांधों के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण होने से जल भराव पर विपरित प्रभाव पड़ता हैं, इस संदर्भ में सुमोटो डीबी सिविल रिट राजस्थान हाईकोर्ट के आदेशों की पालना में प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से 30 जुलाई 2012 को जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है, कमेटी की ओर से समय-समय पर चिह्नित अतिक्रमणों को नियमानुसार हटाए जाने की कार्रवाई की जाती हैं।
बांधों को लेकर क्या है भविष्य की योजना
प्रदेश में जल संसाधन विभाग की ओर से एनिकटों व बांधों के पुनर्निर्माण एवं नए बांध के निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं तथा बजट घोषणा 2024-25 अन्तर्गत 100 एनिकटों का निर्माण, मरम्मत एवं जीर्णोद्धार तथा 100 बांधों व नहरों के जीर्णोद्धार के कार्य राजस्थान इरिगेशन वाटर ग्रिड, संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना तथा रनऑफ वाटर ग्रिड के कार्य करवाए जाना प्रस्तावित हैं, जिनकी फिजिबिलिटी अनुसार कार्य योजना में सम्मिलित किया जाना प्रस्तावित हैं।
दूषित पानी रोकने के लिए पंजाब को लिखा पत्र
विभाग के अनुसार वहीं दूसरी ओर गंगनहर के माध्यम से पंजाब से प्रदेश में आने वाले प्रदूषित पानी को रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से हाल ही पंजाब सरकार को पत्र लिखा गया हैं। यह पत्र राज्यों के नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए हरित प्राधिकरण नई दिल्ली की ओर से सुझाए गए उपयों के क्रियान्वयन को लेकर लिखा हैं। राज्य की ओर से प्रदूषित पानी की रोकथाम के लिए राज्य सरकार की ओर से अंतर्राज्य स्तर पर होने वाली विभिन्न बैठकों में एवं समय-समय में उठाया जा रहा हैं। नहरबंदी के बाद हरिकै के बैराज से नहरों में पुन: पानी प्रवाहित किए जाने के दौरान, पौण्डस में एकत्रित प्रदूषित पानी को नहरों में जाने से रोकने के लिए स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर गाइडलाइन जारी की गई है, जिसकी पालना की जा रही है।
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