मरीजों के लिए टोकन व्यवस्था हो तो कतार से मिले मुक्ति

घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है मरीजों को

मरीजों के लिए टोकन व्यवस्था हो तो कतार से मिले मुक्ति

वर्तमान में जिले के सभी अस्पतालों में मरीजों को पर्ची कटाने के लिए पहले पर्ची काउंटर पर लाइन में लगना होता है।

कोटा। कोटा के अस्पतालों में कोटा जिले सहित संभाग के मरीज भी अपना इलाज कराने के लिए आते हैं। इन सभी अस्पतालों की रोज हजारो की संख्या में ओपीडी रहती है। लेकिन अस्पतालों में इतनी संख्या में मरीजों के आने के बाद भी उनके लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे मरीजों को परेशानी का सामना न करना पड़े। मरीजों को अभी भी हर कदम पर लंबी लंबी कतारों में लगना पड़ता है। जिससे मरीजों को दोहरी मार झेलनी पड़ती है। वहीं सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में ये मौजूद होने के बाद भी वहां की एलईडी खराब हो गई हैं।

वर्तमान में यह है व्यवस्था
वर्तमान में जिले के सभी अस्पतालों में मरीजों को पर्ची कटाने के लिए पहले पर्ची काउंटर पर लाइन में लगना होता है। उसके बाद डॉक्टर को दिखाने के लिए फिर से लाइन में लगना होता है। अगर डॉक्टर दिखाने के समय जांच लिख दे तो मरीज को फिर लाइन में लगना होता है वहीं जांच मिल जाने के बाद उसे डॉक्टर को दिखाना हो तो फिर लाइन में लगना पड़ता है। 

टोकन व्यवस्था में मिले सुविधा
जिले के सभी अस्पतालों में वर्तमान में सिर्फ जांच काउंटरों पर ही टोकन की सुविधा उपलब्ध है, जहां पहले आपको जांच के लिए एंट्री कराकर टोकन नंबर लेना होता है जिसके अनुसार आपका नंबर आने पर आप जांच करा सकते हो। सही सुविधा मरीज को ओपीडी में दिखाने के समय मिले तो उसे लाइन में नहीं लगना पड़े। क्योंकि अस्पतालों में पर्ची काउंटर के बाद सबसे ज्यादा भीड़ विभागों की ओपीडी में देखने को मिलती है। जहां टोकन व्यवस्था लागू करने से लाइन व भीड़ दोनों से निजात मिल सकती है।

लोगों का कहना है
अस्पतालों में ओपीडी में दिखाते समय कोई व्यवस्था नहीं है, कोई भी कहीं से भी लाइन में घुस जाता है। ऐसे में लंबी कतारों में लगने वाले मरीजों को बार बार परेशानी उठानी पड़ती है। टोकन व्यवस्था हो तो मरीज अपना नंबर आने तक आराम से एक स्थान पर बैठ सकता है जिससे मरीज को खड़े रहने से निजात मिल सकती है।
- दीपक जैन, स्वामी विवेकानंद नगर

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असपतालों में ओपीडी की समय मरीज का नंबर आने के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। एक बार अस्पताल में घुसने के बाद हर जगह लाइन में लगना होता है। अस्पतालों में टोकन व्यवस्था होनी चाहिए ताकि मरीज को कम से कम घंटों लाइन में खड़ा न रहना पड़े।
- बुद्धि प्रकाश गोचर, आर के पुरम

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इनका कहना है
अस्पताल में एक दिन की में हजार से ज्यादा मरीज आते हैं जिनमें कई समझदार होते हैं कुछ नहीं। जिससे व्यवस्थ बिगड़ जाती है, अगर ऐसी जरूरत है तो टोकन व्यवस्था लागू करने पर विचार करेंगे। साथ ही भीड़ कम करने के भी प्रयास करेंगे।
- धर्मराज मीणा, अधीक्षक, एमबीएस

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नवीन चिकित्सालय में मरीज भार ज्यादा है ऐसे में एक साथ इतने मरीजों में टोकन व्यवस्था लागू करना मुश्किल हो सकता है। क्योंकि कई बार किसी मरीज की गंभिरता को देखते हुए नियम तोड़ने पड़ जाते हैं। लेकिन टोकन व्यवस्था को लागू करने पर विचार करेंगे। 
- आरपी मीणा, अधीक्षक, नवीन चिकित्सालय

जेके लोन में केवल प्रसूति और शिशु से संबंधित रोगों की ही ओपोडी चलती है। मरीज भार कम होने से अव्यवस्था नहीं होती है। कभी कभार मरीज ज्यादा आने से व्यवस्था बिगड़ने पर संभाल लिया जाता है। टोकन व्यवस्था अच्छा विकल्प है जिससे लागू करने की संभावनाएं देख कर इसे चालू करने की कोशिश करेंगे।
- निर्मला शर्मा, अधीक्षक, जेके लॉन

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