स्कूल के वाहनों में बैठाने की 10 बच्चों की मंजूरी, होते है इससे अधिक
तत्काल कार्ररवाई के आदेश देने चाहिए
कॉलेजों की जांच के आदेश देने चाहिए और नियम विरुद्ध पाए जाने वालों पर तत्काल कार्यवाही के आदेश देने चाहिए।
जयपुर। प्रदेश के निजी कोचिंगों के साथ ही स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की मनमानी भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में प्रदेश में भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, क्योंकि स्कूलों में चल रहे ट्रांसपोर्ट सिस्टम में हजारों बच्चों की जिंदगी खतरे में चल रही है, सालों से स्कूलों के ट्रांसपोर्ट गाड़ियों (बाल वाहिनियों) के ना इंश्योरेंस हो रखे है, ना पॉल्यूशन, ना फिटनेस हो रखी है। ऐसी गाड़ियां में जहां 10 बच्चों को बैठने की स्वीकृति है, उन्हीं गाड़ियों 20 से 30 बच्चों को बैठकर उनकी जिंदगी खतरे में डाला जा रहा है। जबकि परिवहन मंत्रालय और शिक्षा विभाग इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जबकि अभिभावक इस मामले पर भी जांच के आदेश देने चाहिए। प्रदेश के अभिभावकों ने राजस्थान सरकार से राजधानी जयपुर सहित प्रदेश में बेसमेंट, हाईटेंशन लाइन के नीचे और रिहायसी इलाकों के गली- मोहल्लों में चल रहे स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थानों की जांच कर कार्यवाही करने की मांग की है। अभिभावकों ने कहा है की सरकार को दिल्ली हादसे से सबक लेते हुए प्रशासन को सभी स्कूलों, कोचिंग संस्थानों और कॉलेजों की जांच के आदेश देने चाहिए और नियम विरुद्ध पाए जाने वालों पर तत्काल कार्ररवाई के आदेश देने चाहिए।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा की दिल्ली के कोचिंग सेंटर में घटी घटना बेहद दर्दनाक है, केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देशभर की सभी सरकारों को इस घटना से सबक लेना चाहिए और छात्र- छात्राओं की सुरक्षा पुख्ती करने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों को सभी नियमों की पालना के आदेश देने चाहिए। ऐसा नहीं है की ऐसी घटना पहली बार घटी है बल्कि पूर्व में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी है।
अभिभावकों का जो नुकसान होगा उसकी भरपाई कौन करेगा
संघ उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि सिरसी रोड पर एक स्कूल हाईटेंशन लाइन के नीचे चल रहा है और स्कूलों के ऊपर होटल चल रहा है, अनेकों बार शिक्षा विभाग को इस स्कूल की शिकायत दर्ज करवाई जा चुकी है, किंतु आजतक कोई कार्यवाही नहीं हुई, जब कोई घटना घट जाएगी, तब प्रशासन स्कूल पर कार्यवाही तो कर देगा, लेकिन अभिभावकों का जो नुकसान होगा उसकी भरपाई कौन करेगा।
जांच के बाद कार्रवई
परिवाहन विभाग के आरटीओ जयपुर प्रथम राजेश चौहान ने कहा कि विभाग के पर्वतन दस्ते की और से नियमित रूप से जांच करके कार्रवाई की जाती है।
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