डीएनए फिंगर प्रिंट लैब 8 माह से चालू होने के इंतजार में
करोड़ों की लागत वाली लैब अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित
5.85 करोड़ की लागत से बन कर तैयार हुई इस लैब में 18 तरह की मशीनें स्थापित हैं।
कोटा। एमबीएस अस्पताल में आठ माह पहले बनकर तैयार हुई डीएनए फिंगर प्रिंट लैब पर अभी भी ताला लटका हुआ है। करोड़ों रुपए की लागत से बनकर तैयार हुई इस लैब में कई तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन साइंटिफिक आॅफिसर की नियुक्ति नहीं होने से दिसंबर माह में तैयार हो चुकी यह लैब किसी काम नहीं आ पा रही है। वहीं लैब के संचालन के लिए जिन वैज्ञानिकों को ट्रेनिंग दी जानी थी। उनकी ट्रेनिंग पर भी अभी तक कोई फैसल नहीं हो पाया है।
कोटा में ही हो सकेंगी डीएनए से संबंधित जांचें
1. लैब खुलने के बाद रेप, मर्डर या अन्य मामलों में कोटा में ही डीएनए टेस्ट हो जाएंगे।
2. गुमशुदगी में दो पक्षों द्वारा दावा करने की स्थिति पर भी डीएनए से पता लगाया जा सकेगा।
3. डीएनए फिंगर प्रिंटिंग का उपयोग आपराधिक जांच में साक्ष्य के लिए किया जा सकेगा।
4. अपराध स्थल से लिए गए डीएनए नमूने की तुलना संदिग्ध व्यक्ति के डीएनए से करने में आसानी होगी।
5. इसका उपयोग पितृत्व साबित करने के लिए भी किया जाता है।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस है लैब
5.85 करोड़ की लागत से बन कर तैयार हुई इस लैब में 18 तरह की मशीनें स्थापित हैं। जो इंसानी डीएनए से संबंधित कई तरह की जांच करने में सक्षम हैं। इस तरह की जांचों के लिए पहले सैंपल जयपुर एफएसएल भेजे जाते थे जहां से रिपोर्ट आने में कई दिनों का समय लग जाता था। लैब के शुरू होने के बाद ये जांचें कोटा में ही की जा सकेंगी। साइंटिफिक आॅफिसर की नियुक्ति के कारण बंद पड़ी है: पिछली सरकार की ओर से साल 2022 के बजट में प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेजों में ऐसी लैब बनाने की घोषणा की गई थी। इस दौरान एमबीएस अस्पताल की नई ओपीडी बन जाने से पुरानी ओपीडी की जगह खाली हो गई थी। जिसके बाद लैब को इसी खाली पड़े कमरों में बनाकर तैयार किया गया था। वहीं लैब के संचालन के लिए मेडिकल कॉलेज ने साइंटिस्ट की मांग भी की थी। अन्य तीन जिलों के साथ ही कोटा में इस लैब को शुरू करना था लेकिन इनके लिए जरूरी साइंटिफिक आॅफिसर की ट्रेनिंग देनी थी। जिसके लिए 4 साइंटिफिक आॅफिसर की नियुक्ति प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है।
लैब की अभी यह है स्थिति
वर्तमान में यह लैब एमबीएस अस्पताल के पुराने ओपीडी ब्लॉक के 8 कमरों में बनकर तैयार है। जिसमें सभी निर्माण कार्य और उपकरणों को स्थापित करने का कार्य पूरा हो चुका है। जिसे शुरू करने के लिए साइंटिफिक आॅफिसर, सूचना सहायक, स्टॉफ और सुरक्षा गार्ड नियुक्त करने की आवश्यकता है।
डीएनए फिंगर प्रिंट लैब बनकर तैयार है जिसके सांइटिफिक आॅफिसर और स्टॉफ की आवश्यकता है। ये कार्य सरकार के स्तर का है जिसके लिए चिकित्सा विभाग को अवगत कराया हुआ है। आॅफिसर की ट्रेनिंग के बाद ही इसे शुरू किया जा सकता है।
-संगीता सक्सेना, प्रधानाचार्य, मेडिकल कॉलेज कोटा
Comment List