वेटरनरी मोबाइल यूनिट योजना बनी दिखावा
पांच माह बाद भी कॉल सेंटर नहीं हुआ शुरू
पशुओं के उपचार में हो रही परेशानी।
कोटा। गांव व घर तक पशुपालकों को बीमार पशुओं के उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाने को लेकर सरकार ने पांच महीने पहले वेटरनरी मोबाइल यूनिट योजना शुरू की थी, लेकिन आज तक टोल फ्री नम्बर (कॉल सेंटर)1962 को चालू नहीं किया है। इस कारण पशुपालकों को योजना का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। पशुओं के उपचार को लेकर उन्हें पहले की तरह ही परेशानियां उठानी पड़ रही है। उपचार में देरी पर पशुओं की होने वाली मौत से पशुपालकों को बेवजह हजारों रुपए आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। पशु चिकित्सा विभाग ने एक लाख पशुओं की संख्या पर एक मोबाइल वेटरनरी वैन चालू की है। ऐसे में कोटा जिले में छह मोबाइल वेटरनरी वैन संचालित की जा रही है, लेकिन पांच माह बाद भी टोल फ्री नम्बर शुरू नहीं हो पाया है। पशुपालकों को इसके चालू होने का इंतजार है।
जिले में छह मोबाइल वैन संचालित
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी आजीविका का मुख्य साधन पशुपालन है। इस पर पशुओं के बेहतर उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाने को लेकर प्रदेश सरकार ने पांच महीने पहले वेटरनरी मोबाइल यूनिट योजना प्रारंभ की थी। इसके तहत पशुओं के अधिक बीमार होने की सूचना पर मोबाइल यूनिट के वहां पहुंच उपचार उपलब्ध करवाने का प्रावधान है। कोटा में छह मोबाइल वैन तो शुरू कर दी, लेकिन कॉल सेंटर को अभी तक चालू नहीं किया गया। पशुपालन विभाग की ओर से सोमवार से शनिवार तक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार एक दिन में दो अलग-अलग समीप के गांव में सुबह शाम शिविर आयोजित कर पशुपालकों को उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है।
शिविरों की नहीं मिल पाती जानकारी
पशुपालकों ने बताया कि पशुपालन विभाग की ओर से अलग-अलग गांवों में शिविर लगाकर पशुओं का उपचार किया जाता है। कॉल सेंटर के अभाव में पशुपालकों को शिविर के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है। जिससे ज्यादा संख्या में पशुपालक इन शिविरों का लाभ नहीं ले पाते हैं। वहीं कई बार चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने के कारण शिविर को स्थगित कर दिया जाता है। जिससे पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्हें मजबूरी में बीमार पशुओं को उपचार के लिए पशु चिकित्सालय में ले जाना पड़ता है। इससे पशुपालकों को उपचार के लिए पहले की तरह दिक्कतें उठानी पड़ती है।
तकनीकी दिक्कत से अटकी सुविधा
पशुपालन विभाग के अनुसार गुजरात की एक फर्म को पूरे प्रदेश में मोबाइल वेटरनरी वैन के संचालन का जिम्मा दिया गया है। वैन और स्टॉफ भी निजी फर्म का है। निजी फर्म की ओर से पूरे प्रदेश में 536 वैन का संचालन किया जा रहा है। वर्तमान में कोटा जिले में फिलहाल छह वेटरनरी वैन संचालित हो रही है। वैन शुरू होने के बाद टोल फ्री नम्बर 1962 को भी शुरू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी, लेकिन तकनीकी दिक्कत आने के कारण यह सेवा अभी तक शुरू नहीं हो पाई।
सरकार की योजना अच्छी है, लेकिन पांच महीने बाद भी कॉल सेंटर शुरू नहीं करना सही नहीं है। इससे पशुपालकों को योजना का लाभ पूरा नहीं मिल रहा है। पशुओं के बीमार होने पर चिकित्सालय पहुंच उपचार कराना पड़ता है। चिकित्सकों व कंपाउण्डरों के रिक्त पद से भी बड़ी परेशानी होती है।
- भुवनेश्वर चौधरी, पशुपालक
ग्रामीण क्षेत्र के पशु चिकित्सालयों में चिकित्सक, कंपाउंडरों के पद पहले से ही रिक्त है। आधी अधूरी योजना संचालन से इसके लाभ से पशुपालकों को वंचित रहना पड़ रहा है। बीमार पशुओं का समय पर उपचार नहीं हो रहा। कॉल सेंटर की सुविधा जल्द शुरू होनी चाहिए।
- सोमाराम, पशुपालक
जिले में छह मोबाइल वैन संचालित की जा रही है। इनके माध्यम से प्रतिदिन दो गांवों में सुबह शाम शिविर आयोजित किए जाते हैं। निजी फर्म ने अभी तक टोल फ्री नम्बर 1962 चालू नहीं किया है। इसके शीघ्र शुरू होने की उम्मीद है। गांवों में कैम्प लगाकर बीमार पशुओं का उपचार किया जा रहा है।
- डॉ. गिरिश साळफले, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग
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