जानिए राजकाज में क्या है खास
सूबे की सबसे बड़ी पंचायत में एक दीर्घा में आने वालों की संख्या में अचानक इजाफा होने से हलचल तो मचनी ही थी, लेकिन उसका खुलासा हुआ, तो कइयों के पैरों तलों की जमीन खिसक गई।
दीर्घा में बढ़ी संख्या ने नींद उड़ाई
सूबे की सबसे बड़ी पंचायत में एक दीर्घा में आने वालों की संख्या में अचानक इजाफा होने से हलचल तो मचनी ही थी, लेकिन उसका खुलासा हुआ, तो कइयों के पैरों तलों की जमीन खिसक गई। इन दिनों गवर्नर गैलेरी में बैठने वालों की नफरी बढ़ी तो वहां तक पहुंचने वाले रास्तों की जानकारी हासिल की गई। चूंकि उन रास्तों से गुजरना इतना आसान नहीं है। पता चला कि पहले माले पर बैठने वाले नए साहब ने अपने स्तर पर ही राज्यपाल दीर्घा के पास छपवा कर बनाना चालू कर दिया। सचिवालय से विधानसभा पहुंचे नए साहब ने अपनी पुरानी आदत के मुताबिक फोन पर एंट्री कराने के साथ गेट वालों को हड़काना भी शुरू कर दिया। जब बात पंचायत के सरपंच साहब तक पहुंची, तो उनकी आंखें भी लाल हुए बिना नहीं रही। अब नए साहब को कौन समझाए कि यह एसेम्बली है, यहां सारे काम कायदे-कानूनों से होते हैंं, अपनी मनमर्जी से नहीं। अगर मनमर्जी चलती, तो मराठा की धरा वाले एक भाई साहब को गेट पर इतनी फजीहत का सामना नहीं कराना पड़ता।
एक कमरा न्यारा
सूबे की सबसे बड़ी पंचायत में इन दिनों एक कमरा सबसे न्यारा है। पहले माले पर बने इस कमरे के बाहर से जो भी गुजरता है, उत्सुकता से उसकी तरफ देखे बिना नहीं रहता। इस कमरे का नंबर 125 है जो खेती बाड़ी महकमा वाले मीनेश वंशज और राज के रत्न के नाम से आवंटित है। राज का यह खास रत्न इन दिनों पिंकसिटी से लेकर लालकिले वाली नगरी तक काफी चर्चा में हैं। चर्चा और किसी कारण से नहीं बल्कि राज के रत्न की कुर्सी से उनका मोह भंग होना है। कुर्सी से मोह भंग होने के कारण तो खुद डॉक्टर साहब ही जाने, लेकिन कमरा नंबर 125 उनका बेसब्री से इंतजार कर रहा है, चूंकि इस सत्र में बार एक भी उस कमरे में रखी कुर्सी की लालों के लाल, किरोड़ी भाई साहब ने शोभा नहीं बढ़ाई।
यह तो होना ही था
पिछले दिनों राज की नंबर दो कुर्सी पर बैठने वाली मोहतरमा की मौजूदगी में जो कुछ हुआ, उसका अंदाजा खुद उनको भी नहीं था। पिंकसिटी की वर्किंग कमेटी की मीटिंग में मोहतरमा ने जो कुछ बोला, उससे वर्कर्स का हाजमा बिगड़ गया। मोहतरमा ने सिर्फ इतना ही मुंह खोला था कि वर्कर्स बदलियां कराने के लिए नहीं बल्कि केवल वोट मांगने के लिए होता है। खैर आहत होकर भाटिया भवन में मौजूद हार्ड कोर वर्कर्स ने भी सांगानेर और विद्याधरनगर की आड़ में अपने मन की भड़ास निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वो तो भला हो, तुला राशि वाले पंडितजी का, जिन्होंने माहौल भांप कर बीच-बचाव कर दिया, वरना हार्ड कोर वर्कर्स तो तू थारी और म्है मारी करने में न आगा सोचते और न ही पीछा।
एक जुमला यह भी
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि दो पालों के बीच फुटबाल बने वर्कर्स को लेकर है। इस जुमले की चर्चा सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के दफ्तर में भी हुए बिना नहीं रहती। जुमला है कि पिंकसिटी के तीन विधानसभा क्षेत्रों के वर्कर्स की कहीं भी सुनवाई नहीं है। उम्मीदों के साथ भारती भवन की चौखट पर जाते हैं, तो वहां से भी टरका कर रवाना करने में थोड़ी भी देरी नहीं करते। और तो और नुमाइंदों ने पहले ही उनकी परवाह करना छोड़ दिया। संघ और भाजपा के फेर में फंसे बेचारे इन वर्कर्स के समझ में नहीं आ रहा कि आखिर जाएं तो कहां जाएं।
-एल एल शर्मा
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