एक साल से सिर्फ ढांचों के हो रहे दर्शन

ना स्वर्ण महल चालू हुआ, ना पक्षी शाला में आए पक्षीे

एक साल से सिर्फ ढांचों के हो रहे दर्शन

करोडों के विकास कार्यों का अभी तक नहीं हुआ उपयोग।

कोटा। स्मार्ट सिटी कोटा को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने के लिए नगर विकास न्यास(वर्तमान में केडीए) ने करोड़ों रुपए खर्च करके देखने लायक चीजें तो बना दी। लेकिन उनका लाभ अभी तक भी न तो शहर वासियों को मिल रहा है और न ही बाहर से आने वाले पर्यटकों को। करीब एक साल से लोग उन ढाचों के ही दर्शन कर रहे हैं। तत्कालीन कांग्रेस सरकार में शहर के विकास की कई योजनाएं बनाई। स्वायत्त शासन मंत्री के निर्देशन में नगर विकास न्यास ने शहर में विकास कार्यों के साथ ही पर्यटन स्थलों के विकास पर करोड़ों रुपए खर्च किए थे। विधानसभा चुनाव से पहले उनके पूरा होने पर उद्घाटन भी कर दिया गया था। जिससे उनका उपयोग किया जा सके। हालत यह है कि सभी पर्यटन स्थलों के उद्घाटन को एक साल का समय होने को है। लेकिन अभी तक भी वे उद्घाटन वाली स्थिति में ही हैं। 

स्टेडियम के संचालन का भी निर्णय नहीं
नगर विकास न्यास की ओर से ही जे.के. पेवेलियन खेल मैदान नयापुरा में अंतरराष्ट्रीय स्तर का इनडोर स्टेडियम तो बना दिया। लेकिन अभी तक उसके संचालन का ही निर्णय नहीं किया जा सका है।  करीब 19 करोड़ रुपए की लागत से इस विशालकाय स्टेडियम में इनडोर खेलों की हर सुविधा बनाई गई है। दर्शकों के बैठने से लेकर खिलाड़ियों व कोच तक की सुविधा का ध्यान रखा गया है। गेस्ट हाउस भी बनाया गया है। इसका उद्घाटन हुए भी करीब एक साल का समय हो गया है। लेकिन इस स्टेडियम का अधिकृत रूप से अभी तक उपयोग नहीं हुआ है। वैसे स्टेडियम में आने वाले खिलाड़ी अपनी स्तर पर इसका उपयोग कर रहे हैं लेकिन इस स्टेडियम का सचालन न्यास करेगा या क्रीड़ा परिषद या कई संवेदक। इस बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं किया जा सका है। 

चीज बनी हैं तो उपयोग किया जाए
शहर वासियों मनीष, विष्णु रश्मि, सुधा का कहना है जब करोड़ों रुपए खर्च कर विकास कार्य करवाए गए हैं। खास तौर से पर्यटन स्थल के रूप में उनका उपयोग होना ही चाहिए। छावनी निवासी महेश खत्री का कहना है सरकार आती-जाती रहती है लेकिन काम नहीं अटकते। सरकार बदल गई तो क्या हुआ। 9 माह का समय हो गया अब तो निर्णय कर पर्यटन स्थलों को चालू करना चाहिए। गुमानपुरा निवासी संजय विजय का कहना है कि  पर्यटन स्थलों का उपयोग नहीं होने पर उनकी दुर्दशा हो जाएगी। जिससे उन्हें सही करने पर फिर से लाखों रुपए खर्च करने पड़ेंगे। यदि केडीए उनका संचालन नहीं कर सकता तो उन्न्हें ठेके पर देकर ही संचालन किया जाए। जिससे लोग तो उन्हें देख सके। 

पक्षी शाला को देशी विदेशी पक्षियों का इंतजार
नगर विकास न्यास की ओर से करीब 72 एकड़ जमीन में आॅक्सीजोन पार्क बनाया गया है। आईएल की जमीन पर 100 करोड़ की लागत से बने इस पार्क में जहां विभिन्न प्रजातियों के देशी विदेशी लाखों पौधे लगाए गए हैं। वहीं कई अन्य आकर्षण भी यहां हैं। उनमें से एक आकर्षण का केन्द्र बनाया गया है पक्षी शाला। बर्ड एवियरी के नाम से बनाए गए लोहे के इस अंडाकार विशाल आकार में देशी विदेशी पक्षियों को रखा जाना है।  इस आॅक्सीजोन का उद्घाटन पिछले साल 13 सितम्बर 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था। उस समय से लेकर एक साल होने को है लेकिन अभी तक पार्क में तो लोग रोजाना घूमने आ रहे हैं लेकिन पक्षी शाला में पक्षियों को नहीं देखकर सिर्फ ढांचा ही दिख रहा है। हालांकि रात के समय इस पर की गई लाइटिंग से इसका आकर्षण बढ़ाने का प्रयास किया गया है लेकिन बिना पक्षी के पक्षीशाला नहीं लग रही है। 

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7.50 करोड़ का स्वर्ण महल
किशोर सागर तालाब की पाल पर सीबी गार्डन की तरफ 7.35 करोड़ रुपए की लागत से जैसलमेर की सालिम सिंह हवेली की तर्ज पर यहां उसका प्रतिरूप बनाया गया। 17 फीट ऊंची 5 मंजिला इस इमारत में चारों तरफ झरोखे बनाए गए हैं। इसकी तीसरी मंजिल से तालाब व आस-पास के दृश्यों को देखा जा सकेगा। व्यू पाइंट के रूप में बनाई गई इस हवेली को बाद में स्वर्ण महल नाम दिया गया। जिसका उद्घाटन पिछले साल 28 सितम्बर 2023 को हो गया था। उसके बाद से एक साल का समय हो गया है लेकिन अभी तक भी इस पर ताला ही लगा हुआ है। केएसटी पर घूमने आने वाले लोग इसके ऊपर से आस-पास का व्यू देखना चाहते हैं लेकिन उन्हें वहां जाने नहीं दिया जा रहा। गार्ड तैनात होने से रोका जा रहा है। ऐसे में लोग से बाहर से ही देखकर उसके साथ सेल्फी लेकर ही खुश हो रहे हैं। हालत यह है कि अभी तक तो इसके संचालन का ही निर्णय नहीं हो सका है। 

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इनका कहना है
नयापुरा स्थित अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम और स्वर्ण महल के संचालन के लिए टेंडर किए गए हैं। टेंडर प्रक्रियाधीन हैं। शीघ्र ही उनका निर्णय हो जाएगा। उसके बाद उनका संचालन भी किया जा सकेगा। 
- सुमित चित्तौड़ा, एक्सईएन, कोटा विकास प्राधिकरण 

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आॅक्सीजोन पार्क का संचालन तो संवेदक के माध्यम से किया जा रहा है। यहां बनी पक्षी शाला में पक्षी लाने के लिए सेंट्रल जू अथोरिटी से स्वीकृति भी मिल चुकी है। अब पक्षी शाला की प्रक्रिया की जाएगी। पक्षी कब तक आ सकेंगे अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। 
- रविन्द्र माथुर, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, कोटा विकास प्राधिकरण

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