साइबर ठगी : वीओआईपी कॉल से लोग रहें सावधान, जानकारी शेयर नहीं करें

साइबर ठग आपका परिचित बनकर उसके नम्बर को स्क्रीन पर दिखाकर कर सकते हैं ठगी

साइबर ठगी : वीओआईपी कॉल से लोग रहें सावधान, जानकारी शेयर नहीं करें

यह कॉल ज्यादातर विदेशी इंटरनेट का उपयोग कर की जाती है। लोग आपको फोन कर बीमारी में मदद करने, डराकर आपको ठगी का शिकार बना सकते हैं। 

जयपुर। साइबर ठग हर रोज ठगी करने के लिए नित नए तरीके अपना रहे हैं और लोगों के खातों से रुपए निकाल रहे हैं। कई बार साइबर ठग वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) कॉल के जरिए परिचित बनकर ठगी का शिकार बनाते हैं। इस ठगी के लिए साइबर ठग आपके परिचित का नम्बर स्क्रीन पर शो कराते हैं और ऑनलाइन रुपए मांगकर ठगी करते हैं। यह कॉल ज्यादातर विदेशी इंटरनेट का उपयोग कर की जाती है। लोग आपको फोन कर बीमारी में मदद करने, डराकर आपको ठगी का शिकार बना सकते हैं। 

साइबर ठग ऐसे करते हैं वीओआईपी कॉल
इंटरनेट पर कई ऐसे ऐप हैं, जिनके आधार पर साइबर ठग लोगों को वीओआईपी कॉल कर ठगी करते हैं। यह ऐप आधारित इंटरनेट कॉल होती है। साइबर फ्रॉड इन ऐप के जरिए अपनी इच्छा के अनुसार फोन नम्बर सलेक्ट करता है। उसके बाद उस फोन नम्बर के परिचित लोगों को फोन करते हैं। जब वह कॉल करते हैं तो उसके नम्बर स्क्रीन पर दिखते हैं। इस दौरान फोन कर्ता फोन रिसीव करने वाले से मदद के बहाने रुपए मांगता है या फिर उसकी निजी जानकारी ले लेता है। उसके बाद ठगी कर लेता है। 

विदेशों में हैं डेटा सेन्टर
वीओआईपी कॉल करने के लिए उपयोग में लिए जाने वाले डेटा सेन्टर ज्यादातर विदेशों में हैं। इन डेटा सेन्टरों में काम करने वाले लोग भी ज्यादातर भारतीय हैं। हजारों की संख्या में ऐसे ऐप हैं जो वीओआईपी कॉल के लिए उपयोग में आते हैं। ये ठग गैंग के रूप में काम करते हैं और फोन करने वाले क्षेत्रीय भाषा का उपयोग करते हैं। पहले मेवात के इलाके से ऐसे कॉल कर ज्यादातर ठगी की जा रही थी लेकिन अब ठगों ने अपना ठिकाना बदल लिया है और अब ये हरियाणा के नूंह में जाकर सक्रिय हो गए हैं। इस ठगी में शामिल लोग विदेशों में धंधा करने जाते हैं। उन लोेगों को वहां के स्थानीय निवासी उनका वीजा पासपोर्ट अपने पास रख लेते हैं। उसके बाद उन्हें एक तरह से बंधक बनाकर ठगी करवाई जाती है। ये लोग ठगी का कुछ हिस्सा उन्हें थमा देते हैं। 

ऐसे करें ठगों से बचाव
हैड कांस्टेबल और साइबर एक्सपर्ट जिला दक्षिण साइबर टीम के रामसिंह ने बताया कि वीओआईपी कॉल आने पर स्क्रीन पर शो होता है जबकि कॉल लॉग में यह कॉल दिखाई नहीं देता है। यही वीओआईपी कॉल की बड़ी पहचान होती है। ठग वीओआईपी कॉल के जरिए आपके किसी खास व्यक्ति के नम्बर का भी उपयोग कर आपको फोन कर सकते हैं और रुपए मांगकर ठगी का शिकार बना सकते हैं। ऐसे में जब भी ऐसा कॉल आए और संदेह लगे तो तुरंत फोन को काट दें और अपने परिचित से जानकारी लें। जब तय हो जाए कि वह आपका ही परिचित है तभी आगे कोई बातचीत करें। इसके अलावा इन फोन कॉल्स पर किसी भी तरह की व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करें। खासकर बैंक से संबंधित जानकारी बिल्कुल भी नहीं दें। 

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Tags: cyber

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