सत्य, सेवा, साहस और सिद्धान्त पर चलने की परिभाषा है नवज्योति : नरेन्द्र चौधरी

सत्य, सेवा, साहस और सिद्धान्त पर चलने की परिभाषा है नवज्योति :  नरेन्द्र चौधरी

दैनिक नवज्योति कोटा संस्करण की स्थापना के 43 वर्ष पूर्ण ।

कोटा। सत्य, सेवा, साहस, और सिद्दान्त पर अडिग रह कर अपार पाठक वृन्द के परिवारों का अभिन्न हिस्सा बन चुके दैनिक नवज्योति अखबार के कोटा संस्करण ने आज 43 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। इस शुभ मंगल बेला में हम समग्र पाठकों के लिए ह्रदय के अंतरतल से मंगल कामनाएं प्रेषित करते हैं। 43 बरस की इस अनवरत यात्रा में स्नेहिल पाठकों की अपार समर्थन शक्ति  और संबल हमारे साथ खड़ा रहा। इस यात्रा में हमारे सहभागी बने रहे सभी एजेन्ट, संवाददाता बंधु और विज्ञापनदाताओं का भी हम शुक्रिया अदा करते हैं। ऐसे मजबूत सहयोगियों की बदौलत ही दैनिक नवज्योति निष्पक्ष, निर्भीक, निरलिप्त होकर विश्वास के साथ उन्नयन की डगर पर लगातार अग्रसर होता जा रहा है। मैं इस अवसर पर कहना चाहता हूं कि सोशल मीडिया की उपस्थिति, अखबारों की खबर बेचने की प्रवृति और गला काट स्पर्धा के इस माहौल में भी नवज्योति ने कभी भी एक तरफा, सनसनीखेज और मसालेदार पत्रकारिता को नहीं अपनाया। जो सही था, जैसे था, उसे  बिना लाग लपेट निष्पक्ष तरीके से पाठकों तक पहुंचाया। शिक्षा नगरी में हुए विकास कार्यों के सकारात्मक पक्ष और उसकी जरूरत के साथ विशेषता को लेकर  वर्ष भर नवज्योति ने सैकड़ों स्टोरीज प्रकाशित की। हमने हमेशा सकारात्मक कार्य को तवज्जो दी। यही कारण रहा कि इस वर्ष 150 से अधिक खबरों का प्रशासन पर तुरन्त असर पड़ा और उन्हें  कार्रवाई करने पर मजबूर होना पड़ा। वर्ष 2024 में  केन्द्र और राज्य दोनों के ही चुनाव हुए। 9 अक्टूबर 2023 को आचार संहिता लागू होने के साथ ही चुनावी माहौल बनने लगा । इसके साथ ही आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।  लेकिन दैनिक नवज्योति ने सत्य,साहस,और अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता को कायम रखते हुए समाज हित की खबरों का ही प्रकाशन किया। मैं इस अवसर पर बताना चाहता हूं कि यह सभी कार्य मेरे पिता, दैनिक नवज्योति के प्रधान संपादक आदरणीय दीन बंधु चौधरी जी की दूरदर्शिता और मार्गदर्शन के कारण ही फलीभूत हो सके। हमने हर विधानसभा क्षेत्र की तीन-तीन बार ग्राउन्ड रिपोर्ट प्रकाशित कर शिक्षा, स्वास्थ्य,रोजगार, विकास कार्य सहित क्षेत्र के लोगों की वास्तविक स्थिति, आर्थिक,सामाजिक, राजनीतिक  हालात पेश कर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की अपनी भूमिका को तो बखूबी निभाया ही साथ ही महिलाओं को सुरक्षा की गारंटी देने जैसे गंभीर मुद्दे को भी चुनाव के माध्यम से राजनीतिकों के व्यक्तिगत  एजेंडे में  पहुंचाने की कोशिश की। लोकसभा चुनाव आते-आते कोटा का राजनीतिक परिदृश्य एकदम बदल गया। लेकिन हमने  पाठक के प्रति समर्पण और निष्पक्षता के अपने सिद्दान्त को अपनाए रखा। हमने बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन क्यों नहीं मिल पा रही श्रंखला चला कर गंभीरता के साथ स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों  के वास्तविक  हालात  पाठकों के सामने रखे। सकारात्मक सोच के साथ ऐसी खबरों का प्रकाशन किया जिससे विश्वविद्यालय केवल कागज की डिग्री देने तक सीमित नहीं रहे अपितु छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहभागी बन सकें। शहर और गांव में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर भी हमने ना केवल पौधरोपण पर काम किया अपितु इनका रियलिटी चैक भी करवाया। इससे लोगों ने ना केवल पौधे लगाए अपितु उनकी सार संभाल की जिम्मेदारी भी ली। इसके साथ बेजुबानों की सांसों में घुल रहा जहर, राम तेरी चंबल मैली, पेट्रोल सोलर,बोट से हो चंबल में सफारी, इंसेन्टिव बेस हो जंगल का काम ,इलेक्ट्रिक बसों की दरकार, पब्लिक ट्रांसपोर्ट में चले सोलर, जैसी खबरों की श्रंखला से पर्यावरण रक्षा की जरूरत पर लोगों को सोचने को मजबूर किया। हमने दुनिया डिजीटल पर और हम कागज पर श्रंखला के माध्यम से डिजीटलाइजेशन व शहर को ई बसों की जरूरत जैसे मुद्दे पर भी अभियान रूप में काम किया। ई बसों को लेकर हम पिछले कई वर्ष से लगातार काम कर रहे हैं। यही कारण रहा कि कोटा को 100 ई -बस मिलने की संंभावना बनी है। महिला सशक्तीकरण को लेकर हम साल दर साल अभियान रूप में काम कर रहे हैं। हमने सामाजिक सरोकार के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखते हुए ना केवल खबरों पर काम किया अपितु लोगों के बीच जाकर काम करने का भी सार्थक प्रयास  शुरू किया। इसी  क्रम के तहत नवज्योति कार्यालय में प्रति माह एक परिचर्चा का आयोजन शुरू किया गया है। परिचर्चा में  विषय से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के कई विशेषज्ञ हिस्सा लेते हैं और एक निष्कर्ष समाज के सामने रखते हैं। विश्वविद्यालयों में एडमिशन, रिजल्ट, फीस वसूली, समय पर एक्जाम नहीं होने, परिणाम जारी नहीं करने जैसी ढेरों समस्याएं बनी रहती हैं। इनके लिए यूजीसी ने लोकपाल की व्यवस्था की है। विश्वविद्यालय इस बात को प्रचारित करने का ज्यादा पक्षधर नहीं रहता। लेकिन नवज्योति ने कोटा के सभी छह विश्वविद्यालयों के नव-नियुक्त लोकपाल के साक्षात्कार प्रकाशित किए ताकि लोगों को जानकारी मिल सके।  साथ ही लोगों को यह भी बताया कि लोकपाल के पास किस प्रकार से शिकायत की जा सकती है और कैसे समाधान पाया जा सकता है। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि कोचिंग नगरी के नाम से ख्यात कोटा शहर की छवि पिछले कुछ वर्षों में बच्चों के लगातार आत्महत्या करने से दागदार होने लगी। कुछ संस्थानों ने संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पार कर कोचिंग स्टूडेंट को पैसा कमाने की फैक्ट्री मान लिया। ऐसे समय में देश भर में केवल नवज्योति ही  पहला अखबार बना जिसने इन संस्थानों के छदम ढिंढोरे को जनता की अदालत के सामने लाने की ताकत दिखाई।  

 मेरे दादाजी कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी जी ने स्वतंत्रता आन्दोलन के दौर में 88 साल पहले जो ज्योति जलाई थी आप सभी के सहयोग से आज भी वह  निर्विघ्न, निरन्तर,समाज को नवज्योति से प्रकाशमान कर रही है। दैनिक नवज्योति समाचार पत्र की बुनियाद 2 अक्टूबर,1936 में अजमेर के केसरगंज में एक सप्ताहिक अखबार के रूप में रखी थी। आज वही नवज्योति वटवृक्ष के रूप  में समाचार जगत की बगिया में अपनी खुशबू बिखेर रहा है। स्वतंत्रता आन्दोलन में  एक मिशन के रूप में शुरू हुआ समाचार पत्र विभिन्न दौर देखता हुआ धीरे-धीरे प्रोफेशनल में बदला। देश के आजाद होते ही अजमेर संस्करण को दैनिक समाचार पत्र के रूप में लाया गया। वर्ष 1960 में इसका राजधानी जयपुर से संस्करण शुरू हुआ। कोटा में 1981 में और 21वीं सदी के शुरुआत में वर्ष 2004 में जोधपुर और 2013 में उदयपुर संस्करण शुरू हुए। मुद्रण की नवीनतम आधुनिक तकनीक को अपनाते हुए समाचारों और विचारों की नई विषय वस्तु के चयन और तेवर में समयानुकूल बदलाव लाकर हर रोज नई भोर की ज्योति में दैनिक नवज्योति घर-घर सच को पहुंचा रहा है।
अचल रही, अटल रही,अखंड ज्योति जलती रही, प्रकाश पथ पर प्रति सहर, नवज्योति बिखरती रही।
पुन: सभी का आभार और सादर अभिनन्दन

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