डीआरएस के जरिए नो बॉल और वाइड चेक करने की मांग ने पकड़ा जोर.. जानिए किसने और क्यों कहीं ये बात......

कप्तान संजू सैमसन ने संभवत: अपना विरोध दर्ज कराने के लिए वाइड करार दी गई गेंद पर कैच आउट की अपील करते हुए डीआरएस के लिए चले गए।

 डीआरएस के जरिए नो बॉल और वाइड चेक करने की मांग ने पकड़ा जोर.. जानिए किसने और क्यों कहीं ये बात......

इमरान ताहिर जो खुद इस वक़्त एक सक्रिय खिलाड़ी हैं वह भी वेटोरी की इस दलील से सहमत दिखे।

मुम्बई। नो बॉल और वाइट का क्रिकेट में एक अलग ही महत्व है। नो बॉल आउट हुए गेंदबाज को भी जिवनदान और अतिरिक्त रन दे जाती है, उसी प्रकार वाइड से अतिरिक्त रन का इजाफा होता है। बदलते दौर में क्रिकेट नियमों में कई परिवर्तन हुए है। ऐसे में क्रिकइंफ़ो के विशेषज्ञ डैनियल वेटोरी और इमरान ताहिर ने मांग की है कि ऊंची हाइट नो बॉल (कमर से ऊपर की फुलटॉस) और वाइड का निर्णय भी डीआरएस के जरिए किया जाना चाहिए। एक्सपर्टस की नजर में भले ही इन गेंदों पर कोई विकेट न गिरे, इसके बावजूद हाइट नो बॉल और वाइड का फ़ैसला थर्ड अंपायर को करना चाहिए। वेटोरी ने यह बात पिछले हफ़्ते एक शो में भी कही थी, जिसे उन्होंने क्रिकइंफ़ो टाइम आउट पर सोमवार रात को एक बार फिर दोहराया। दरअसल अंपायर नितिन पंडित ने कोलकाता नाइट राइडर्स की पारी के 19वें ओवर में प्रसिद्ध कृष्णा की तीन गेंदों को तब वाइड करार दे दिया जब प्रसिद्ध कृष्णा द्वारा गेंद रिलीज किए जाने से पहले ही बल्लेबाज ने क्रीज में घूमना शुरु कर दिया था।

एक बार तो कप्तान संजू सैमसन ने संभवत: अपना विरोध दर्ज कराने के लिए वाइड करार दी गई गेंद पर कैच आउट की अपील करते हुए डीआरएस के लिए चले गए। संजू सैमसन के निर्णय पर कहा, मुझे नहीं लगता कि उस गेंद पर कैच आउट होने की कोई संभावना उन्हें लगी होगी, लेकिन खेल के निर्णायक पलों में खिलाड़यिों को वाइड करार की हुई गेंदों पर रिव्यू लेने की छूट मिलनी चाहिए।'

उन्होंने आगे कहा, 'आज परिस्थिति अलग थी क्योंकि शुरुआत से ही लग रहा था कि कोलकाता इस मुक़ाबले को जीतने वाली है, लेकिन हम कई बार इस मसले पर चर्चा कर चुके हैं जब अंपायर ने एकदम कऱीबी निर्णयों को गेंदबाजों के खलिाफ़ दिया हो। इसलिए खिलाड़यिों के पास उन ग़लतियों को सुधारने का मौक़ा मिलना चाहिए। डीआरएस भी इन्हीं ग़लतियों को सुधारने के लिए अमल में लाया गया था। मैं ऐसा होते देखना चाहूंगा।'

वेटोरी आईपीएल में बतौर कोच अपनी सेवा दे चुके हैं और इस वक़्त बीग बैश में भी कोच की भूमिका अदा कर रहे हैं। हालांकि इमरान ताहिर जो खुद इस वक़्त एक सक्रिय खिलाड़ी हैं वह भी वेटोरी की इस दलील से सहमत दिखे। ताहिर ने कहा, 'इस खेल में पहले से ही गेंदबाजों के पक्ष में बहुत कम चीजें होती हैं, जब बल्लेबाज आपकी गेंदों पर चौतरफ़ा प्रहार कर रहा हो तब आपके पास वाइड यॉर्कर और वाइड लेग ब्रेक डालने का ही विकल्प होता है। और अगर यह वाइड हो जाए तब आप मुश्किल में पड़ जाते हैं। लेकिन देखिए, वह एक करीबी मामला था, सैमसन थोड़े हताश भी दिखे। यह 50-50 था, इसलिए मुझे नहीं लगता कि यह कोई बड़ा मसला था। कोलकाता की टीम अच्छा खेल रही थी, वह इस मुक़ाबले को जीतने वाली थी। लेकिन हां, ऐसी गेंदों पर खिलाड़यिों के पास रिव्यू लेने की छूट होनी चाहिए।'

राजस्थान रॉयल्स के कोच कुमार संगकारा ने वाइड कॉल में निरंतरता बरते जाने की मांग की। उन्होंने पोस्ट मैच प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान कहा, 'मुझे लगता है कि वाइड करार दिए जाने के संबंध में निरंतरता सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। मुझे लगता है अब कुछ नए नियम हैं, आप वाइड बना नहीं सकते, लेकिन क्रीज के चारों ओर घूमकर आप उसे बर्बाद जरूर कर सकते हैं। गेंद डाली जाने से पहले आपका मूवमेंट वाइड लाइन के आगे बढऩे के लिए शुरुआती बिंदु माना जाता है। हालांकि हमने अच्छी क्रिकेट भी नहीं खेली। हालांकि दबाव वाली परिस्थितियों में यब सभी चीजें अपनी भूमिका निभाती हैं।हमें एक टीम के तौर पर सुधार करने की जरूरत है।'

यह चर्चा अब भी जारी है कि क्या हर टीम को दो अतिरिक्त रिव्यू लेने की छूट मिलनी चाहिए, लेकिन क्या इससे गेम धीमा नहीं हो जाएगा? या खिलाड़यिों को दो रिव्यू की सीमा में ही किसी भी निर्णय की समीक्षा की छूट मिलनी चाहिए? लेकिन लाइन एक सिफऱ् एक गाइड की तरह होती है जो गेंद डाली जाने से पहले बल्लेबाज के मूवमेंट के आधार पर वह भी खिसकती है। वेटोरी की राय में ऑन फ़ील्ड अंपायर को तमाम सूचनाओं से लैस किया जा सकता है कि बल्लेबाज गेंद की रिलीज के समय तक कितना मूवमेंट कर चुका था? विकेटों से गुजरते समय गेंद कितनी दूर थी? और इसके बाद ही अंपायर को रिव्यू में निर्णय लेने की अनुमति मिलनी चाहिए।

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