तिरुपति मंदिर प्रसाद में फिश ऑयल प्रकरण के बाद राजस्थान अलर्ट
मंदिरों में प्रसादी की होगी जांच
23 से 26 सितम्बर तक चलेगा विशेष अभियान, गुणवत्ता ठीक नहीं निकली तो कार्रवाई होगी
जयपुर। आन्ध्रप्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर के प्रसाद की जांच में फिश ऑयल मिलने की पुष्टि होने के बाद प्रदेश में चिकित्सा विभाग की खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण आयुक्तालय की ओर से प्रदेशभर में मंदिरों में आमजन को बंटने वाली प्रसादी की जांच कराने का फैसला किया है। इसे लेकर विभाग की ओर से प्रदेशभर के मंदिरों में 23 से 26 सितम्बर तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत खासकर उन मंदिरों में जांच होगी जहां भगवान के भोग लगने के बाद प्रसादी बांटी जाती है या फिर मंदिरों की तरफ से ही प्रसाद का वितरण किया जाता है।
प्रसाद की दुकानों, गोठ-सवामणि की सामग्री की जांच भी होगी
प्रसादी के साथ ही मंदिरों के बाहर दुकानों पर प्रसादी के लिए मिलने वाली मिठाईयां इत्यादि की जांच भी होगी। मंदिरों में जहां गोठ-सवामणि इत्यादि होती है, वहां बनने वाली खाद्य सामग्री की जांच भी होगी। मंदिरों में प्रसादी, गोठ, सवामणि इत्यादि भोज आयोजन में खाद्य सामग्री खराब मिलने पर मिलावट खोरों के खिलाफ जिस एक्ट में कार्रवाई होती है, उसी एक्ट में कार्रवाई होगी।
प्रसादी बनाने में हाईजेनिक प्रक्रिया नहीं तो भी कार्रवाई बेहतर क्वालिटी के 14 मंदिरों के पास सर्टिफिकेट
प्रदेश में बेहतर क्वालिटी की प्रसादी, हाइजिन तरीके से निर्माण करने वाले मंदिर फूड सेफ्टी स्टेंडर्ड एॅथोरिटी ऑफ इंडिया का इट राइट प्लेस ऑफ वर्शिप भी ले सकते हैं। अभी प्रदेश के 14 मंदिरों के पास यह प्रमाण पत्र है। 54 मंदिरों ने इसके लिए आवेदन कर रखा है। हालांकि प्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता नहीं है। यह प्रमाण पत्र दो साल के लिए मान्य होता है। प्रदेश का पहला ऐसा प्रमाण पत्र लेने वाला मंदिर जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर है। जिसे हाल ही में 6 सितम्बर 2024 को यह सर्टिफिकेट जारी किया गया है।
जयपुर में बड़े मंदिर
- मोती डूंगरी : गणेश मंदिर के महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि मंदिर में सवामणि नहीं होती। वहीं प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद सर्टिफाइड है।
- गोविंद देवजी : सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में सवामणि नहीं होती।
- खोले के हनुमान मंदिर : सालभर में लगभग 700 से 800 सवामणि होती है।
- जगदीश मंदिर गोनेर : सालभर में 400 सवामणि होती है जिसमें लगभग 100 श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके अतिरिक्त संस्थाएं अपने-अपने स्तरों पर मंदिर परिसर के बाहर हजारों की संख्या में धर्मशालाओं में सवामणि करवाती हैं।
- पापड़ के हनुमान मंदिर : मंदिर में केवल सावन और भादवे में सवामणि होती है। सालभर नहीं होती। सावन, भादवे महीने में 60-70 सवामणि होती है।
प्रदेशभर में यह अभियान चलाया जा रहा है। प्रसादी में मिलावटी पदार्थ मिलने पर फूड सेफ्टी स्टेंडर्ड एक्ट के तहत ही कार्रवाई होगी। मंदिर चाहें तो बेहतर गुणवत्तायुक्त प्रसादी के लिए सर्टिफिकेट भी ले सकते हैं। अभी 14 मंदिरों के पास यह सर्टिफिकेट है। यहां भी जांच होगी, प्रसादी ठीक नहीं मिली तो सर्टिफिकेट कैंसिल किए जा सकते हैं।
- पंकज ओझा, अतिरिक्त आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण
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