वर्ल्ड हार्ट डे आज: दैनिक नवज्योति ने जयपुर के हृदय रोग विशेषज्ञों से ली जानकारी
कोरोना के बाद क्षमता से अधिक फिजिकल एक्टिविटी कार्डियक डेथ का बड़ा कारण
आंकड़ों के अनुसार राज्य में लगभग 20 प्रतिशत मृत्यु दर हृदय की स्थिति के कारण ही होते हैं।
जयपुर। पिछले कुछ समय से 20 से 30 वर्ष की आयु वाले व्यक्तियों में भी साइलेंट हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कई वजह हैं। जिनमें अत्यधिक तनाव, जिम में जरूरत से ज्यादा करसत, स्टेरॉयड, शराब, धूम्रपान आदि प्रमुख हैं। हार्ट अटैक के मामले में राजस्थान के आंकड़े चिंताजनक हैं। आंकड़ों के अनुसार राज्य में लगभग 20 प्रतिशत मृत्यु दर हृदय की स्थिति के कारण ही होते हैं। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत 31.6 प्रतिशत से थोड़ा कम है, लेकिन यह एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता का संकेत देता है। रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के शहरी क्षेत्रों में कोरोनरी हृदय रोग की व्यापकता दर 6 प्रतिशत से 10 प्रतिशत के बीच है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 3 प्रतिशत से 5 प्रतिशत के बीच।
जिम में व्यायाम, क्रिकेट, रनिंग के दौरान हो रहे हार्ट अटैक
जिम में व्यायाम के दौरान, क्रिकेट खेलते हुए या रनिंग करते हुए हार्ट अटैक से कम उम्र में मौत की खबरें आम हो गई हैं। वर्ल्ड हार्ट डे के मौके पर दैनिक नवज्योति ने शहर के हृदय रोग विशेषज्ञों से बात की तो सामने आया कि समस्या हमारी फिटनेस एक्टिविटी में नहीं, बल्कि क्षमता से अधिक फिजिकल एक्टिविटी में है। जबकि हमारी उम्र और अभ्यास के अनुसार ही व्यायाम करना चाहिए। नेशनल सेंटर आॅफ बायोटेक्नोलॉजी इनफॉर्मेशन में प्रकाशित हुई रिसर्च में यह जानकारी सामने आई।
कोरोना के बाद अचानक बढ़ी फिजिकल एक्टिविटी है बड़ा कारण
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राहुल सिंघल ने बताया कि हृदय की नसों में ब्लॉकेज रूपी प्लाक जमना जवानी से ही शुरू हो जाता है। ये नसों में जगह-जगह जमता है और इससे नसों की दीवारों की अंदरूनी सतह में चिकनापन कम होता जाता है और इसमें से खून को प्रवाहित होने में घर्षण उत्पन्न होता है। कोरोना के समय जब फिजिकल ऐक्टिविटी बहुत कम हो गई तो प्लाक जमने की प्रक्रिया तेज हो गई और नसों के रास्ते जगह-जगह खुरदुरे हो गए। ऐसे में अब हमने बिना अभ्यास के अचानक अपनी फिजिकल एक्टिविटी बढ़ा दी है तो व्यायाम के दौरान तेज रक्तप्रवाह के घर्षण की वजह से प्लाक वाली खुरदुरी सतह फट जाती है। हमारी प्लेटलेट्स वहां तुरंत थक्का जमाती हैं और आर्टरी ब्लॉक हो जाती है। यही कारण है कि उससे अचानक हार्ट अटैक होता है। कम उम्र में हार्ट इसके लिए तैयार नहीं होता इसलिए व्यक्ति की तुरंत मौत हो जाती है।
अगर अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं और जिमिंग, रनिंग या और कोई स्पोर्ट्स एक्टिविटी कर रहे हैं तो धीरे धीरे अपनी क्षमता बढ़ाएं। दिल पर जोर नहीं पड़ेगा और नसों में अंदरूनी घाव होने पर थक्का जमने जैसी स्थिति भी नहीं होगी।
-डॉ. रुद्रदेव पांडेय, कार्डियोलॉजिस्ट
हर ब्लॉकेज खतरनाक नहीं होता। आपके हार्ट की नसों में ब्लॉकेज है और वो खतरनाक स्थिति तक तो नहीं पहुंचा, यह जानने के लिए एफएफआर, आईवीयूएस या ओसीटी की जांच काफी कारगर है।
-डॉ. कुश कुमार भगत, कार्डियोलॉजिस्ट
40 की उम्र के बाद हार्ट से जुड़ी जांचों की सलाह दी जाती है लेकिन अब बढ़ते मामलों को देखते हुए युवा वर्ग के लोगों के लिए भी जांच आवश्यक है। प्रारंभिक जांच कॉलेज में प्रवेश के तुरंत बाद या 30 वर्ष की आयु से शुरू होनी चाहिए।
-डॉ. देवेन्द्र श्रीमाल, कार्डियोलॉजिस्ट
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