विश्व में अस्थमा और सीओपीडी से मृत्यु की राजधानी बना भारत

मौतों के मामले में राजस्थान देश में अव्वल

विश्व में अस्थमा और सीओपीडी से मृत्यु की राजधानी बना भारत

इंटरनेशनल जर्नल लंग इंडिया में प्रकाशित जयपुर की सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शीतू सिंह की रिसर्च में हुआ खुलासा

जयपुर। देश में अस्थमा और सीओपीडी जैसी श्वसन संबंधित बीमारियों की स्थिति काफी खराब है। भारत में विश्व के सिर्फ 17 प्रतिशत मरीज हैं लेकिन मौतें 40 प्रतिशत से ज्यादा होती हैं। ऐसा इसीलिए क्योंकि भ्रांतियों के कारण 59 प्रतिशत मरीज दवाएं नहीं लेते और 10 प्रतिशत मरीज ही टीकाकरण करवाते हैं जिससे बीमारी गंभीर होने से मरीज की मृत्यु हो जाती है।

इंटरनेशनल जर्नल लंग इंडिया में अस्थमा और सीओपीडी से होने वाली मौतों के कारणों पर रिसर्च हुई जिसमें हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए। इस रिसर्च को जयपुर की सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शीतू सिंह और उनकी टीम ने पूरा किया। रिसर्च में राजस्थान की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। सीओपीडी और अस्थमा से होने वाली सबसे ज्यादा मौतों में राजस्थान पहले नंबर पर है। दूसरे राज्यों में हृदय रोग के बाद सीओपीडी से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं जबकि प्रदेश में सीओपीडी से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। चौंकानें वाली बात यह है कि बीमारी के इतने गम्भीर चरण तक पहुंचने के बावजूद राष्टÑीय चिकित्सा आयोग एनएमसी ने चेस्ट डिजीज विषय को एमबीबीएस के पाठ्यक्रम से ही हटा दिया है जिसके कारण नई पीढ़ी के डॉक्टर्स को इसकी सही जानकारी नहीं मिल पाती और सही इलाज का प्रशिक्षण भी नहीं हो सकेगा।

सीजनल वेव ऑफ  रेस्पोरेटरी डिजीज सर्वे में हुआ अध्ययन
डॉ. शीतू सिंह ने बताया कि इंडियन चेस्ट सोसाइटी द्वारा सीजनल वेव ऑफ रेस्पोरेटरी डिजीज सर्वे हुआ जिसमें भारत के 290 केंद्रों से श्वसन रोगियों का अध्ययन किया गया। अस्थमा और सीओपीडी से होने वाली वैश्विक मौतों में से 40 प्रतिशत से अधिक भारत में होती हैं, जबकि जनसंख्या सिर्फ 17 प्रतिशत है।

59 फीसदी मरीज नहीं करते इन्हेलर का इस्तेमाल
डॉ. शीतू ने बताया केवल 41% गंभीर अस्थमा रोगियों को इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स यानी आईसीएस से उचित उपचार मिलता है। 59% आईसीएस का उपयोग नहीं करते, जिससे उनकी मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है। वहीं सीओपीडी के ग्रुप-ए यानी हल्की बीमारी के 42% रोगी अनावश्यक रूप से आईसीएस का अधिक उपयोग करते हैं, जिससे उन्हें निमोनिया का अधिक खतरा होता है।

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Tags: asthma

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