कचरे से अटी नहरें, खेतों में कैसे पहुंचेगा पानी?

क्षतिग्रस्त होने से जलप्रवाह में आएगी बाधा

कचरे से अटी नहरें, खेतों में कैसे पहुंचेगा पानी?

शहरी क्षेत्र में मुख्य नहरों के धोरों की जमीन पर अतिक्रमण हो गया है। वहीं नहरों में जगह-जगह घुमाव दे दिए। इस कारण टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता है।

कोटा। चम्बल की दायीं व बायीं मुख्य नहर में आगामी दिनों में जल प्रवाह शुरू होने वाला है, लेकिन अभी तक सफाई का काम शुरू नहीं हो पाया है। नहरों की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपए का बजट खर्च हो चुका है, लेकिन नहरों की सेहत पूरी तरह से नहीं सुधर पाई है। नहरों की जो पक्की लाइनिंग की गई थी, वह जगह-जगह से दरक गई। इस कारण प्रतिदिन 800 क्यूसेक पानी व्यर्थ बह जाता है। दायीं मुख्य नहर से कोटा और बारां जिले के अलावा मध्यप्रदेश के किसानों की भी जमीन सिंचित होती है। साठ के दशक में बनी नहरों की समुचित मरम्मत नहीं होने से जल प्रवाह के वक्त बार-बार नहर टूट जाती है। इससे खेतों में समय पर पानी नहीं पहुंच पाता। शहरी क्षेत्र में मुख्य नहरों के धोरों की जमीन पर अतिक्रमण हो गया है। वहीं नहरों में जगह-जगह घुमाव दे दिए। इस कारण टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता है। 

घास और झाड़ियों ने कर दी दुर्दशा
यहां पर जगह-जगह नहरें टूटी पड़ी हैं। नहरें घास व झाड़ियों से अटी हुई हैं। बोरखेडा, कन्सुआ, काला तालाब क्षेत्र की छोटी नहरों पर अतिक्रमण हो रहा है। छावनी और डाढ़देवी रोड पर दायीं मुख्य नहर में ही अतिक्रमण कर मकान खड़े कर लिए हैं। इटावा, अयाना आदि क्षेत्र में नहरें टूटी पड़ी हुई हैं। गणेशगंज लिफ्ट परियोजना की नहरें दुर्दशा की शिकार हो रही हैं। इस कारण खेतों में पानी नहीं पहुंचा पाता है। इससे किसानों को खासी परेशानी होती है। जल प्रवाह शुरू होने से पहले नहरों व लिफ्ट परियोजना की सफाई की जाए तो टेल तक पानी पहुंच सकता है। चार दशक पहले शुरू की गई इस परियोजना की नहरों की बरसों से सुध नहीं लेने के कारण दर्जनों स्थानों पर टूट पड़ी हैं।

किशनपुरा ब्रांच को बना दिया कचरा पात्र
चम्बल की दायीं मुख्य नहर की किशनपुरा ब्रांच की करीब पांच किमी लम्बी नहर कचरे से अटी हुई है। अर्से से इस नहर की सफाई नहीं हुई है। किसान जल प्रवाह से पहले नहरों की सफाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक ज्यादातर नहरों में सफाई का काम शुरू नहीं हुआ है। दायीं मुख्य नहर से थेगड़ा से किशनपुरा ब्रांच की करीब पांच किमी नहर जगह-जगह से टूटी पड़ी है। शहरी क्षेत्र में होने के कारण लोगों ने इस नहर को कचरा पात्र बना दिया है। आसपास के लोग नहर में ही कचरा डालते हैं। किसानों ने बताया कि किशनपुरा ब्रांच से करीब 20 गांवों के किसानों के खेत सिंचित होते हैं, लेकिन सीएडी के अधिकारियों की अनदेखी के कारण अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पाता है।

इस तरह का है हाड़ौती का नहरी तंत्र
965 किमी चम्बल नदी की कुल लंबाई
376 किमी तक बहती है राजस्थान में
2.29 लाख हैक्टेयर जमीन सिंचित होती है हाड़ौती की
2.29 लाख हैक्टेयर जमीन सिंचित होती है मध्यप्रदेश की
29 हजार हैक्टेयर में लिफ्ट परियोजनाओं से होती है सिंचाई
6656 क्यूसेक दायीं मुख्य नहर की जल प्रवाह क्षमता
1500 क्यूसेक बायीं मुख्य नहर की जल प्रवाह क्षमता
03 लाख कोटा, बूंदी व बारां के किसान लाभान्वित

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इनका कहना है
दायीं मुख्य नहर से जुड़े आधा दर्जन माइनरों की समय पर साफ-सफाई नहीं होने से उनका अस्तित्व ही नष्ट हो गया। मुख्य नहर की कई स्थानों से टाइलें उखड़ने से जल संचालन में बाधा उत्पन्न होती है। माइनर झाड़ियों व घास से अटे हुए हैं। इस कारण अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंचा पाता है।
- लक्ष्मीचंद नागर, किसान जाखडोंद

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 किशनपुरा ब्रांच पर प्रभावशाली लोगों ने जगह-जगह अतिक्रमण कर रखा है। धोरों को ही बंद कर दिया है। भ्किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने पिछले दिनों जिला कलक्टर और सीएडी के क्षेत्रीय आयुक्त को किशनपुरा ब्रांच में हो रहे अतिक्रमण को हटाने की मांग की थी, लेकिन अतिक्रमण नहीं हटा है।
- जगदीश कुमार, किसान नेता

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नहरों की सफाई का कार्य शुरू कर दिया है। मनरेगा श्रमिकों के माध्यम से सफाई करवाई जा रही है। इसके अलावा मशीनों के माध्यम से भी सफाई का कार्य हो रहा है। नहरों पर हो रहे अतिक्रमण हटाने के संबंध में भी अभियंताओं को निर्देश दिए जा चुके हैं। अभियंताओं को नहरों की मरम्मत कार्य पूरी गुणवत्ता से करवाने को कहा है।
- लखनलाल गुप्ता, अधीक्षण अभियंता, सीएडी कोटा 

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