चंबल के बूढ़े बांधों को फिर जवानी का इंतजार

मरम्मत को कोई संवेदक नहीं हो रहा तैयार

चंबल के बूढ़े बांधों को फिर जवानी का इंतजार

एक साल पहले ही स्वीक़ृत हो चुका बजट।

कोटा। चंबल नदी पर स्थित तीनों बांधों की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपए का बजट करीब एक साल पहले स्वीकृत हो चुका है, लेकिन इन बांधों की मरम्मत के लिए संवेदक कंपनियां साहस नहीं जुटा पा रही हैं। हालात ऐसे हैं कि तीन बार टेंडर करने के बावजूद कोई भी कंपनी उसमें भाग लेने ही नहीं पहुंची। चंबल वैली प्रोजेक्ट के तहत राणा प्रताप सागर (आरपीएस), जवाहर सागर (जेएस) बांध और कोटा बैराज के जीर्णोद्धार का काम होना है। इसके लिए वर्ल्ड बैंक से डैम रिहैबिलिटेशन इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट (ड्रिप) के तहत राशि भी स्वीकृत हो गई थी, लेकिन पहले जरूरी प्रक्रियाओं में समय लग गया और बाद में संवेदक मरम्मत के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाए। इसके चलते अब इसके जीर्णोद्धार की राशि का बजट बढ़ाया गया है। यह राशि लाखों में नहीं करोड़ों में बढ़ गई है। पहले जहां पर तीनों डैम का काम 182.78 करोड़ में होना था, अब यह राशि 53.45 करोड़ रुपए बढ़ाई गई है, जिसके तहत 236.23 करोड़ रुपए में रिनोवेशन का काम करवाया जाना प्रस्तावित किया है।

उम्रदराज बांध, इसलिए आ रही दिक्कत   
विभागीय अधिकारियों के अनुसार कोटा बैराज, बूंदी के जवाहर सागर और रावतभाटा के राणा प्रताप सागर करीब 60 से 65 साल पुराने बने हुए हैं। हाइड्रो मैकेनिकल वर्क में पुराने गेट व स्लूज गेट बदलने हैं। इस तरह के काम करने वाले संवेदकों को बुलाकर बातचीत भी की गई और उन्हें पूरे काम के संबंध में समझाया भी गया है। बैठक में संवेदकों की क्वेरीज को भी बताया गया, इसके बावजूद कोई संवेदक नहीं आया है। नए निर्माण कार्यों के लिए तो संवेदक आगे आ जाते हैं, लेकिन पुराने बांधों की मेंटेनेंस के काम के लिए काफी दिक्कत आती है, संवेदक इसलिए भी सामने नहीं आ रहे हैं। क्योंकि बांध में पानी काफी भरा रहता है और इस दौरान ही गेट और अन्य उपकरणों की मेंटेनेंस होनी है, जो हर कोई नहीं कर सकता है।

फैक्ट फाइल
3 साल में आया 53.45 करोड़ का अंतर
बांध                        पूर्व मेें स्वीकृत राशि       वर्तमान राशि        राशि में अंतर
कोटा बैराज                      44.26                        72.1                 27.84
राणाप्रताप सागर              65.72                        85.45               19.73
जवाहर सागर                   72.8                         78.68                 5.88
कुल राशि                       182.76                       36.23                 3.46

तीन बार निविदा निकाली, फिर भी हाथ रहे खाली
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार तीनों बांधों की मरम्मत के लिए जल संसाधन विभाग ने 14 अगस्त 2023 को निविदा जारी की थी, लेकिन किसी भी संवेदक फर्म ने इसमें टेंडर नहीं डाले। इसके बाद 28 सितंबर 2023 को एक बार फिर निविदा जारी की गई थी, इसमें भी यही हालात रहे। इसके बाद विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई थी, जिसके चलते निविदा जारी नहीं कर पाए। आचार संहिता हटते ही 22 दिसंबर 2023 को दोबारा निविदा जारी कर दी गई थी। हालांकि इसमें हाइड्रो मैकेनिक के लिए कोई नहीं आया, दो फर्म सिविल वर्क के लिए पार्टिसिपेट करने आई, लेकिन इन कार्यों को करने के लिए अनुभव उनके पास नहीं था। साथ ही जिन मापदंड के जरिए बांधों में काम होना है। उसके अनुरूप वो सक्षम नहीं पाए गए थे, ऐसे में वो डिसक्वालीफाई हो गए थे। 

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कोटा बैराज के गेट बदलने से बढ़ी राशि  
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तीन बार निविदाएं आमंत्रित करने के बाद भी संवेदक इसमें रुचि नहीं दिखा रहे थे। ऐसे में सेंटर वाटर कमीशन ने संवेदकों को बुलाकर बातचीत की थी। इसके बाद उन्होंने दरों को कम बताया। साथ ही यह भी कहा था कि यह नए बांध नहीं है, पुराने बांध के रिनोवेशन का काम है, इसलिए इसमें ज्यादा पैसा लगेगा। ऐसे में ज्यादातर राशि कोटा बैराज में बढ़ी है। पहले इसके 19 गेटों का मेटलाइजेशन करने का कार्य होना था, लेकिन अब गेटों को ही बदलने का निर्णय किया गया है। इसके चलते नई बीएसआर की वजह से भी राशि बढ़ी है। इसके अलावा अन्य दोनों बांधों के कार्यो में कुछ बदलाव होने से राशि में इजाफा करना पड़ा है। 

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रोबोटिक अंडरग्राउंड वॉटर सर्वे में मिली थी खामियां
ड्रिप योजना से पैसा मिलने की उम्मीद के पहले राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग के चंबल नदी के तीनों बांध का अंडरवाटर सर्वे करवाया था। इसमें रोबोट के जरिए अंडर ग्राउंड वाटर वीडियोग्राफी करवाई गई थी, जिसके अंदर डैम बॉडी की पूरी पिक्चर रोबोट ने ली थी, उनका पूरा एसेसमेंट बनाकर सर्वे करने वाली कंपनी ने रिपोर्ट दी थी। इसमें कोटा बैराज, जवाहर सागर बांध और राणा प्रताप सागर बांध की बॉडी के स्ट्रक्चर में खामियां सामने नहीं आई हैं। जिनके लिए भी अब काम किया जाएगा। इसके अलावा बांधों के दरवाजों का हेल्थ असेसमेंट अल्ट्रासाउंड तकनीक व मशीनरी के जरिए करवाया गया था, जिसमें कई गेट को बदलने और दुरुस्त करने का पैसा पास हुआ था।

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नए बांध के लिए संवेदक को काम करना आसान होता है, लेकिन पुराने बांधों की मरम्मत के काम दिक्कत रहती है। यह कार्य पानी के अन्दर करना होता है, जो हर किसी के लिए संभव नहीं है। इसलिए कोई संवेदक नहीं आया है। अब देश के बड़ी संवेदकों से इस सम्बंध में सम्पर्क किया जा रहा है। अभी वित्त विभाग से रिवाइज बजट की फाइल स्वीकृत होने का इंतजार है।
- संजय कुमार सिंह, अधिशासी अभियंता, जल संसाधन विभाग कोटा

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