करीब छह माह से नहीं बह रही चम्बल माता से जलधारा
बैराज साइड से लगातार गायब हो रहे व्यू कटर के हिस्से
रिवर फ्रंट के आकर्षणों में से एक आकर्षण हैं मूर्ति से बहती जलधारा।
कोटा । एक तरफ तो शहर को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित किया जा रहा है। जहां देश विदेश से पर्यटकों को लाकर यहां के पर्यटन स्थलों को दिखाने के दावे किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ यहां के पर्यटन स्थलों की सुध तक नहीं ली जा रही है। जिसका नजीता है चम्बल रिवर फ्रंट। रिवर फ्रंट पर बैराज साइड पर लगी चम्बल माता की विशाल मूर्ति से पिछले करीब 6 माह से जल धारा तक नहीं बह रही है। जिससे वहां आने वाले बाहरी पर्यटक ही नहीं स्थानीय लोग भी उस मनोरम दृश्य को देखने से वंचित हो रहे हैं। रिवर फ्रंट के आकर्षणों में से एक आकर्षण हैं मूर्ति से बहती जलधारा। लेकिन वहां आने वालों को काफी समय से यह जलधारा बहती हुई नजर ही नहीं आ रही है।रिवर फ्रंट घूमने गए लोगों का कहना है कि वीडियो व रील में तो चम्बल माता से जलधारा बहती हुई दिखती है। लेकिन जब वहां मौके पर गए तो जलधारा नजर ही नहीं आई। जिससे वहां जाकर भी निराशा ही मिली।
धीरे-धीरे गायब हो रहे व्यू कटर
रिवर फ्रंट बनने के बाद तत्कालीन नगर विकास न्यास की ओर से बैराज के समानांतर पुल पर रिवर फ्रंट व बैराज साइड दोनों तरफ व्यू कटर लगाए गए हैं। जिससे पुल से गुजरने वाले वाहन चालक अंदर की तरफ नहीं देख सके। साथ ही वाहन चालकों को वहां रूकने से जाम की स्थिति भी नहीं बने। जबकि जब व्यू कटर नहीं लगे थे तब वहां पुल पर जाम की स्थिति बनी रहती थी।लेकिन हालत यह है कि वर्तमान में बैराज साइड से व्यू कटर धीरे-धीरे गायब हो रहे है। बैराज से सकतपुरा की तरफ जाते समय कहीं एक-दो तो कहीं आधा दर्जन से अधिक व्यू कटर टुकड़ों में गायब हो रहे हैं। शुरूआत में यह एक दो जगह से गायब हुए थे वहीं अब इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
लोगों का कहना है कि कुछ लोगों ने बरसात के समय बैराज के गेट खुलने पर उनके पानी को देखने के लिए कुछ जगह से व्यू कटर तोड़े थे। लेकिन केडीए अधिकारियों की अनदेखी से उन्हें सही नहीं किया गया। जिससे अब यह अधिक जगह से गायब हो गए हैं। जिससे वहां काफी जगह हो गई है। ऐसे में वहां से किसी के झांकने पर गिरकर हादसा होने का खतरा बना हुआ है।
इधर होटल फैडरेशन आॅफ राजस्थान कोटा संभाग के अध्यक्ष अशोक माहेश्वरी ने बताया कि उन्होंने पर्यटन विभाग व केडीए अधिकारियों के साथ गत दिनों रिवर फ्रंट का अवलोकन किया था। इस दौरान वहां जो भी कमियां नजर आई उन्हें दुरुस्त करने के लिए कहा था। जिससे टूर एंड ट्रेवल मार्ट में आने वालों को अच्छा नजारा दिख सके। चम्बल माता की जलधारा को भी फिर से शुरू करने के लिए कहा है। अधिकारियों ने शीघ्र ही उसे चालू करने की बात कही है।
पानी बंद होने पर सही करवाए जा रहे पम्प
केडीए के सहायक अभियंता(विद्युत) ललित मीणा ने बताया कि चम्बल माता की मूर्ति में ऊपर तक पानी पहुंचाने के लिए जो मोटर व पम्प लगे हुए हैं वह चम्बल नदी में अंदर की तरफ है। हालांकि वहां चार दीवारी बनाई हुई है। लेकिन बरसात के समय में बैराज के गेट खोलने से पानी की आवक अधिक हो गई थी। जिससे वे पम्प पानी में अधिक डूब गए। पानी के साथ बहकर आई मिट्टी पम्प में जम गई थी। जिससे मोटर व पम्प बंद होने से मृूर्ति से जलधारा बंद हो गई थी। लेकिन अब गेट बंद होने व पानी कम होने से पम्प को निकालकर साफ कराया जा रहा है। शीघ्र ही फिर से जलधारा बहती नजर आएगी।

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