ग्रामीण महिला दिवस पर विशेष: बीकानेर के ढींगसरी गांव की लड़कियां बनीं फुटबाल में चैंपियन
लड़कियां बेहद साधारण परिवार से हैं
खेती-बाड़ी, मजदूरी और मवेशी चराने वालों की बेटियां सामाजिक बंधनों को तोड़ खेलों में कर रही हैं नाम रोशन
जयपुर। बाल विवाह, पर्दाप्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों में जकड़ी ग्रामीण महिलाएं अब इन सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए खेलों में भी पुरुषों की तरह अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं। इसकी एक मिसाल बीकानेर जिले की नोखा तहसील के छोटे से गांव ढींगसरी में देखी जा सकती है।
पूर्व भारतीय फुटबाल कप्तान और अर्जुन अवार्डी मगन सिंह राजवी के इस गांव में मात्र चार साल के भीतर जो बदलाव आया है, वह खेलों में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी की एक मिसाल बन रहा है। मगन सिंह ने गांव में फुटबाल की ऐसी अलख जगाई है कि खेती-बाड़ी, मजदूरी और मवेशी चराकर आजीविका चलाने वाले लोगों की बेटियां आज फुटबाल में राष्ट्रीय स्तर पर चैंपियन बनकर उभरी हैं। इस गांव में फुटबाल का ऐसा माहौल बना है कि दो सौ से ज्यादा बच्चियां सुबह-शाम यहां प्रैक्टिस करती नजर आती हैं।
साधारण परिवार की हैं सभी लड़कियां
ढींगसरी गांव की इस एकेडमी में अधिकांश लड़कियां ऐसी हैं, जिनका परिवार खेती-बाड़ी, मजदूरी और मवेशी चराकर आजीविका चला रहा है। यही नहीं ये लड़कियां भी परिवार के खेती, मजदूरी और बकरियां चराने के काम में मदद करती रही हैं। सभी लड़कियां बेहद साधारण परिवार से हैं।
एकेडमी के कोच और मगन सिंह के बेटे विक्रम राजवी ने बताया कि संजू कंवर की मां नहीं है। पिता छोटा-मोटा काम करते हैं, वहीं पिता का साया उठने के बाद हंसा और किरण कंवर की मां दोनों बेटियों का पालन कर रही है। मंजू और दुर्गा हों या भावना, दसु कंवर और मुन्नी भांभू, किसी के पिता खेती कर रहे हैं तो किसी के पिता बकरी चराकर गुजारा कर रहे हैं।
जन सहयोग से चल रहा है ग्राउण्ड का काम
विक्रम ने बताया कि पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ग्राउण्ड तैयार कराने में एकेडमी की मदद कर रहे हैं। देवी सिंह भाटी ने जन सहयोग से 18 लाख रुपए की राशि एकेडमी को दी है, जिससे ग्राउण्ड पर नई घास लगाने और ट्यूबवैल लगाने का कार्य चल रहा है।
ढींगसरी से बनती है बीकानेर की पूरी टीम
एकेडमी की शुरुआत कोरोना काल में हुई। गांव की गोचर भूमि को समतल कर ग्राउण्ड तैयार किया गया। गांव के रीतिरिवाज और सामाजिक दबाव के चलते लड़कियों को जोड़ना बेहद कठिन था। लड़कियों ने शार्ट्स पहनकर खेलना शुरू किया तो गांव के लोगों ने ही विरोध कर दिया। तब पूर्व भारतीय कप्तान मगन सिंह राजवी और राजस्थान फुटबाल संघ के सचिव दिलीप सिंह शेखावत ने लोगों को समझाया।
विक्रम ने बताया कि 2022 में भीलवाड़ा में हुई अंडर-14 स्टेट चैंपियनशिप में बीकानेर की पूरी टीम ढींगसरी की बच्चियों की थी और ये टीम 2023 में बीकानेर में स्टेट चैंपियन बनी। इसी साल झुंझुनूं में अंडर-17 में बीकानेर विजेता रही और 2024 में तो खेलो इंडिया की अंडर-13, अंडर-15 और अंडर-17 तीनों वर्गों में ढींगसरी एकेडमी की टीम चैंपियन बनी। विक्रम ने बताया कि 2023 में जयपुर में हुई अंडर-17 नेशनल में कप्तान संजू कंवर समेत राजस्थान की 9 खिलाड़ी ढींगसरी की थीं, वहीं इसी साल वेलगांव (कर्नाटक) में हुई जूनियर नेशनल में चैंपियन बनी राजस्थान टीम में इस गांव की 12 खिलाड़ी शामिल थीं।
खुद फुटबालर रहे हैं विक्रम
रेलवे में कार्यरत विक्रम राजवी खुद राष्ट्रीय स्तर के फुटबालर रहे हैं। विक्रम राष्ट्रीय स्तर पर जेसीटी फगवाड़ा से खेले और इसी लिए गांव छोड़कर पंजाब चले गए। विक्रम ने 1990 से 2000 तक डूरंड कप और डीसीएम फुटबाल जैसे बड़े टूर्नामेंटों में खेला और संतोष ट्रॉफी राष्ट्रीय फुटबाल में हमेशा राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। विक्रम ने होमगार्ड बीकानेर के लिए भी फुटबाल खेली।
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