एमबीएस, जेकेलोन व रामपुरा अस्पताल के पास 65 डेसिबल से ज्यादा शोर
मरीजों के आराम में पड़ रहा खलल
अस्पताल की 100 मीटर की परिधि में साइलेंस जोन होने के बाद शोर कम नहीं हो रहा।
कोटा। शहर में तेज आवाज के डीजे पर प्रतिबंध होने बावजूद शहर में इसका उपयोग हो रहा है। खासतौर पर नो साइलेंस जोन में भी लोग तेज आवाज में डीज और हॉर्न बजा रहे इनको रोकने के संकेत तक गायब हो चुके है। शहर में ध्वनि प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात यह है कि कोटा के सरकारी अस्पताल के साइलेंस जोन भी ध्वनि प्रदूषण की चपेट में आ चुके हैं। अस्पताल की 100 मीटर की परिधि में साइलेंस जोन होता है। लेकिन यहां भी कानफोडू शोरगुल हैं, जो दिन के साथ रात में भी मरीजों को चैन नहीं लेने देता है। एमबीएस में स्ट्रोक, हार्ट, और गंभीर बीमारियों के मरीज भर्ती है लेकिन रोड पर वाहनों के शोर के साथ हार्न और डीजे का शोर मरीजों की परेशानी का सबब बन रहा है। जबकि इन क्षेत्रों में ध्वनी प्रदूषण की मॉनिटरिंग होने के बावजूद शोर रूक नहीं रहा है।
एमबीएस अस्पताल व नयापुरा क्षेत्र में दिन में 67.6 डेसिबल व रात में 60 डेसिलब ध्वनी प्रदूषण हो रहा है। जबकि इसको साइलेंस जोन घोषित कर रखा उसके बावजूद यहां शोर बढ रहा है। राजस्थान के प्रमुख शहरों में राजकीय अस्पताल क्षेत्रों में लगातार 24 घंटे ध्वनि प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जा रही है। उसके बावजूद यहां शोर नहीं रूक रहा है। राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से यहां पर अस्पतालों के साइलेंस जोन में दिन में 50 और रात में 40 डेसिबल ध्वनि स्टैंडर्ड मानक है। इससे ज्यादा होने पर प्रदूषण की निगरानी के लिए सिस्टम लगाया गया है, जो डेटा संग्रहण करता है, जिससे अस्पताल के आस-पास रात और दिन में शोर के स्तर का पता चलता है। अक्टूबर की रिपोर्ट में कोटा में 67.6 डेसिबल आया है जो ज्यादा है।
अक्टूबर में इन अस्पतालों के बाहर रहा ध्वनि प्रदूषण डेसिबल में
अस्पताल क्षेत्र दिन में रात में
एमबीएस नयापुरा 67.6 60.3
जेकेलोन नयापुरा 68.3 59.6
रामपुरा रामपुरा 62.5. 54.4
मेडिकल रंगबाडी 62.2 54.8
(स्रोत: आरएसपीसीबी (आंकड़े अक्टूबर 2024 की रिपोर्ट)
इन शहरों में हो रही मॉनिटरिंग
राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से 33 जिलो के सरकारी अस्पतालों में ध्वनी प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जा रही लेकिन उसके कम करने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अस्पतालों में कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां, अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, बीकानेर, चित्तौड़गढ़, दौसा, धौलपुर, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जालोर, झुंझुनू, जोधपुर, करौली, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाईमाधोपुर, सीकर, सिरोही, श्रीगंगानगर, तिजारा सिटी, टोंक व उदयपुर शहर में राजकीय अस्पतालों के आस-पास ध्वनि प्रदूषण स्वर की मॉनिटरिंग होती है।
साइलेंस जोन से मरीजों को शीघ्र मिलता है स्वास्थ्य लाभ
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विजय सरदाना ने बताया कि अस्पताल क्षेत्र साइलेंस जोन की रेंज में आता है। यहां गंभीर बीमारियों के मरीज भर्ती होते जिनको शांत वातावरण की आश्यकता होती है। शांत क्षेत्र में ही व्यक्ति को आराम मिलता है और तनाव मुक्त रहता है। अस्पताल का क्षेत्र मरीजों के स्वास्थ्य के चलते साइलेंस जोन होता है। साइलेंस जोन में दिन में 50 व रात में 40 डिसेबल ध्वनी स्टैंडर्ड नानक है। इससे ज्यादा होने पर प्रदूषण ही रेंज में आता है एमबीएस अस्पताल के पास अक्टूबर माह में ध्वनि प्रदूषण का स्तर दिन में 67.8 व रात में 60.3 डेसिबल रेकॉर्ड हुआ है। जिससे अस्पताल के मरीजों को दिन और रात में भी राहत नहीं है।
कानफोडू शोरगुल से मरीज हो रहे परेशान
अस्पताल में मरीज शीघ्र स्वस्थ के लिए आता है। एमबीएस व जेकेलोन अस्पताल को साइलेंस जोन घोषित कर रखा उसके बावजूद यहां शोर थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां वाहनों की तेज आवाज प्रेशर हॉर्न, डीजे की आवाजे मरीजों को सोने नहीं देती है। वाहनों की आवाजाही और प्रेशर हॉर्न के उपयोग से साइलेंस जोन में शोरगुल बढ़ता जा रहा है। तेज आवाज तनाव और चिंता के स्तर को बढा रहा है। निंद पूरी नहीं होने से मरीज अवसाद आ रहे है।
- उपाध्याय, तीमारदार
तेज ध्वनी प्रदूषण से मरीज के स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ता है अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बनता है। वहीं तेज आवाज के कारण हम दूसरों की बात स्पष्ट रूप से नहीं सुन पाते हैं। कुछ स्टडी से यह भी सामने आया है कि लंबे समय तक तेज शोर के संपर्क में रहने से उच्च रक्तचाप, दिल की धड़कन बढ़ता और हृदय रोग के खतरे की आशंका भी बढ सकती है।
- डॉ. संजय सायर, चिकित्सा प्रभारी कोटा
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