फिलहाल नहीं बदलेगी ब्याज दरें, रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरें, रिवर्स रेपो दरें रखी यथावत, रेपो दर 4%, रिवर्स रेपो दर को 3.35%
नकद आरक्षी अनुपात चार प्रतिशत और एसएलआर 18 प्रतिशत पर बना रहेगा।
मुंबई। भारतीय रिजर्व की मौद्रिक नीति समिति ने आगे महंगाई के लक्षित दायरे में रहने तथा कोरोना की दूसरी लहर के बाद आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर लौटने का हवाला देते हुए नीतिगत दरों (रेपो दर) को यथावत बनाये रखने के साथ ही अपने रूख को समायोजन वाला बनाये रखेगा ताकि आवश्यकता पडऩे पर नीतिगत दरों में जरूरत के अनुरूप बदलाव किया जा सके। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समीति की बुधवार को तीन दिवसीय पांचवीं द्विमासिक समीक्षा बैठक में सभी नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया गया। रेपो दर को चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर को 4.25 प्रतिशत और बैंक दर को 4.25 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। नकद आरक्षी अनुपात चार प्रतिशत और एसएलआर 18 प्रतिशत पर बना रहेगा। पिछले वर्ष कोरोना के शुरू होने के बाद से यह मौद्रिक नीति की 13वीं घोषणा थी।
इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9.5 प्रतिशत की दर से बढऩे के अपने अनुमान को यथावत रखने के साथ ही मार्च 2022 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई के 5.3 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया गया है। महंगाई के जोखिम को संतुलित बताते हुये समिति ने दिसंबर में समाप्त होने वाली तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई के 5.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में इसके बढ़कर 5.4 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान जताया है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसमें कुछ सुधार होने की उम्मीद जताते हुये कहा गया है कि यह उतर कर पांच प्रतिशत पर आ सकती है और इसके बाद दूसरी तिमाही में भी इसी स्तर पर रह सकती है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद जारी बयान में यह अनुमान जताया है। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव कम होने और टीकाकरण में तेजी से घरेलू आर्थिक गतिविधिया कोरोना के पहले के स्तर पर पहुंच रही है। हालांकि कोरोना के नये वेरिएंट का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि इसके कारण नये मामलों में बढोतरी हुयी है जो ङ्क्षचता की बात है। उन्होंने कहा कि जो सूचनायें मिल रही हैं उसके अनुसार उपभोग की मांग बढ़ रही है। ग्रामीण मांग के साथ ही शहरी मांग में भी बढोतरी हुयी है और लोग यात्री और पर्यटन आदि पर व्यय करने लगे हैं। अक्टूबर नंबवर के दौरान रेलवे माल ढुलाई , बंरगाह पर माल परिवहन, जीएसटी राजस्व संग्रह, टॉल संग्रह, पेट्रोलयिम उपयोग और हवाई यात्रियों की संख्या में बढोतरी हुयी है। हाल ही में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क और वैट में कमी किये जाने के कारण क्रय शक्ति बढऩे से उपभोग की मांग में बढोतरी होगी। अगस्त से सरकारी उपभोग में बढोतरी हुयी है जिससे कुल मिलाकर मांग बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पूंजीगत वस्तओं का उत्पादन कोरोना से पहले स्तर पर बना हुआ। अक्टूूबर में इन उत्पादों के आयात में भी दहाई अंकों में बढोतरी हुयी है। उन्होंने हालांकि कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से प्रभावित अर्थव्यवस्था अब फिर से तीव्रता से बढ़ रही है लेकिन अर्थव्यवस्था अभी इतनी भी मजबूत नहीं हुयी है कि वह बाहरी झटकों को झेल सके और दीर्घकाल तक मजबूत रह सके। इसके मद्देनजर नीतिगत सहयोग का जारी रखने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि इनसभी बातों को ध्यान में रखते हुये चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 9.5 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है। इसके साथ ही तीसरी तिमाही में इसके 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में इसके 6.0 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 17.2 प्रतिशत पर और दूसरी तिमाही में 7.8 प्रतिशत पर रहने की संभावना है।
मौद्रिक नीति की मुख्य बातें
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय पांचवीं द्विमासिक बैठक में लिए गये निणर्याें की घोषणा की जिसकी मुख्य बातें निम्नलिखित हैं
1. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार नौंवी बार प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
2. इसके परिणामस्वरूप रिवर्स रेपो भी 3.35 प्रतिशत पर कायम।
3. बैंक दर 4.25 प्रतिशत पर बरकरार।
4. रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये मौद्रिक नीति के रुख को समायोजन वाला बनाये रखेगा।
5.चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 2021-22 में 5.3 प्रतिशत पर रहने का अनुमान, अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर 5 प्रतिशत पर आने की संभावना।
6. रिजर्व बैंक ने जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
7. बैंकों को विदेशी शाखाओं में निवेश की मिलेगी अनुमति, विदेशी लाभ को बगैर पूर्व अनुमति के स्वदेश लाने की होगी अनुमति
8. सरकारी प्रतिभूतियों और सार्वजनिक प्रारंभिक निगर्म (आईपीओ) के आवेदन के लिए यूपीआई से भुगतान की सीमा दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने को मंजूरी
9. फीचर फोन से यूपीआई भुगतान की मिलेगी सुविधा
10. मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 7 से 9 फरवरी 2022 को होगी।
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