सरकार ने तय की वैक्सीन की कीमतें, निजी अस्पतालों में कोवैक्सीन 1410 और कोविशील्ड 780 रुपए में दी जाएगी

सरकार ने तय की वैक्सीन की कीमतें, निजी अस्पतालों में कोवैक्सीन 1410 और कोविशील्ड 780 रुपए में दी जाएगी

केंद्र सरकार ने निजी कंपनियों (अस्पतालों) के लिए वैक्सीन की कीमतें तय कर दी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, निजी अस्पतालों में कोविशील्ड सबसे सस्ती दरों पर मिलेगी। सरकार ने इसकी कीमत 780 रुपए तय की है। सबसे महंगी कोवैक्सीन है, जो निजी अस्पतालों में 1410 रुपए में दी जाएगी। स्पूतनिक-वी की कीमत 1145 रुपए होगी।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने निजी कंपनियों (अस्पतालों) के लिए वैक्सीन की कीमतें तय कर दी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, निजी अस्पतालों में कोविशील्ड सबसे सस्ती दरों पर मिलेगी। सरकार ने इसकी कीमत 780 रुपए तय की है। सबसे महंगी कोवैक्सीन है, जो निजी अस्पतालों में 1410 रुपए में दी जाएगी। स्पूतनिक-वी की कीमत 1145 रुपए होगी। सरकार ने वैक्सीन प्रोडक्शन कंपनियों की कीमतों के बाद इसमें 5 फीसदी जीएसटी के अलावा 150 रुपए सर्विस चार्ज भी जोड़ा है।

ज्यादा कीमत वसूली तो होगी कार्रवाई
इसके साथ ही केंद्र सरकार स्टेट बॉडी के साथ मिलकर रेट की हर रोज निगरानी करेगी। ज्यादा कीमत वसूलने पर प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर्स या निजी अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। केंद्र ने राज्यों से कहा है कि 150 रुपए सर्विस चार्ज से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल न लें।

कीमतें इस तरह तय
वैक्सीन         कंपनी रेट    जीएसटी    सर्विस चार्ज      कुल कीमत
कोविशील्ड         600           30            150            780 रुपए
कोवैक्सीन        1200          60             150          1410 रुपए
स्पूतनिक-वी      947           47             150          1145 रुपए

 

कोविशील्ड की 25 करोड़ और कोवैक्सीन की 19 करोड़ खुराक का ऑर्डर
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि निजी क्षेत्रों (अस्पतालों) के लिए टीकों की कीमत वैक्सीन निर्माताओं द्वारा तय की जाएगी। राज्य निजी क्षेत्र की कुल मांग करेंगे, जिसका अर्थ है कि वे देखेंगे कि उसके पास सुविधाओं का कितना नेटवर्क है और उसे कितनी खुराक की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोविशील्ड की 25 करोड़ खुराक और कोवैक्सिन की 19 करोड़ खुराक खरीदने का आदेश दिया है। सरकार ने बायोलॉजिकल ई टीके की 30 करोड़ खुराक खरीदने का भी आदेश दिया है, जो सितंबर तक उपलब्ध होगा। डॉ वीके पॉल से जब पूछा गया कि क्या भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टीकाकरण के लिए नए दिशा-निर्देश पेश किए तो उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट की की चिंता का सम्मान करते हैं, लेकिन भारत सरकार 1 मई से विकेन्द्रीकृत मॉडल के कार्यान्वयन का मूल्यांकन कर रही थी। ऐसे फैसले विश्लेषण और परामर्श के आधार पर समय की अवधि में लिए जाते हैं।

अगली लहर में बच्चों में ज्यादा गंभीर संक्रमण का सबूत नहीं
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत का या विश्व का डेटा देखें तो अब तक ऐसा कोई डेटा नहीं आया, जिसमें दिखाया गया है कि बच्चों में अब ज्यादा गंभीर संक्रमण है। बच्चों में अभी हल्का संक्रमण रहा है। अभी कोई सबूत नहीं है कि अगर कोविड की अगली लहर आएगी तो बच्चों में ज्यादा गंभीर संक्रमण होगा।

गंभीर बीमारियों के कारण नहीं घट रहा मौतों का अनुपात
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोरोना के नए संक्रमित मामलों में लगातार कमी आने के बावजूद उसी अनुपात में मरीजों की मौत में कमी नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन इनमें से करीब 70 फीसदी मरीज ऐसे हैं। जिनको कोविड-19 संक्रमण होने से पहले ही अन्य बीमारियां भी थीं। जैसे- कैंसर, डाइबीटिज या शुगर, टीबी, टायफाइड, निमोनिया, किडनी, बीपी एवं हृदयरोग आदि। इसी कारण मौतों का आंकड़ा नए संक्रमित मामलों में कमी आने के बावजूद उसी अनुपात में कम नहीं दिखता है। वैसे भी अब वही मरीज भर्ती हो रहे हैं। जिनकी हालत गंभीर है। और इनको अन्य गंभीर किस्म की असाध्य बीमारी होने के कारण मौतें का यह आंकड़ा उतना कम नहीं हो रहा। जितना अपेक्षा की जा रही है।

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