देश की एक ऐसी जनजाति, जिसके सूर्य-चंद्रमा ही सर्वोच्च देवता, यही लोग तय करते हैं अरुणाचल प्रदेश कि सत्ता का रास्ता

न्यिशी लोग मानते है मृत्यु के बाद आत्मा पूर्वजों के गाँव चली जाती है। 

देश की एक ऐसी जनजाति, जिसके सूर्य-चंद्रमा ही सर्वोच्च देवता, यही लोग तय करते हैं अरुणाचल प्रदेश कि सत्ता का रास्ता

न्यिशी जनजाति अरुणाचल प्रदेश की प्रमुख जनजातियों में से एक है। यह जनजाति मुख्य रूप से पापुम पारे, लोअर सुबनसिरी, कुरुंग कुमे, क्रा डाड़ी, ईस्ट कामेंग और कामले जिलों में निवास करती है। इनकी आबादी 5 लाख के करीब है।

ईटानगर। वैसे तो हर समाज ऒर वर्ग के लोगों की अलग अलग देवी देवताओं में आस्था रहती है, लेकिन अरुणाचल प्रदेश में न्यिशी जनजाति एक ऐसी है, जिसके सूर्य-चंद्रमा ही सर्वोच्च देवता है, इन लोगो का मानना है कि मृत्यु के बाद आत्मा पूर्वजों के गाँव चली जाती है। ईटानगर स्थित जवाहरलाल नेहरू म्यूजियम में इस जाति के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस जनजाति का अरुणाचल प्रदेश में भारी वर्चस्व है। न्यिशी  लोगों की कलात्मक क्षमता उनके उत्कृष्ट शिल्पों में स्पष्ट है, जिसमें बांस और बेंत का काम, मिट्टी के बर्तन और हाथ से बुने हुए वस्त्र शामिल हैं। पीढ़ियों से चली आ रही ये सदियों पुरानी तकनीकें जनजाति की सरलता और रचनात्मकता को दर्शाती हैं, जो पारंपरिक शिल्प कौशल में उनकी महारत को दर्शाती हैं।

न्यिशी जनजाति अरुणाचल प्रदेश की प्रमुख जनजातियों में से एक है। यह जनजाति मुख्य रूप से पापुम पारे, लोअर सुबनसिरी, कुरुंग कुमे, क्रा डाड़ी, ईस्ट कामेंग और कामले जिलों में निवास करती है। इनकी आबादी 5 लाख के करीब है।

अबोतानी" का वंशज मानते है। न्यिशी जनजाति खुद को पौराणिक पूर्वज "अबोतानी" का वंशज मानती है। इनके समाज में बहुपत्नी प्रथा आम है और संयुक्त परिवार प्रणाली प्रचलित है। इनकी पारंपरिक लकड़ी के घरों को 'पाइल हाउस' कहा जाता है, जिनमें प्रत्येक पत्नी के लिए अलग-अलग कमरे होते हैं।

कृषि और आहार
न्यिशी जनजाति का मुख्य व्यवसाय कृषि है। वे स्थायी और स्थानांतरित खेती दोनों करते हैं। धान इनका मुख्य खाद्य पदार्थ है। इनकी प्रमुख त्योहारों में न्योकुम यूलो और लॉंगटे शामिल हैं, जो फरवरी महीने में मनाए जाते हैं।

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कला और पहनावा
रिक्हम पाड़ा इस जनजाति का लोकप्रिय लोकनृत्य है। न्यिशी पुरुष अपने लंबे बालों को माथे के ऊपर बाँधते हैं और इसे धातु की पिन या कांटे से सजाते हैं। पुरुष और महिलाएँ दोनों मोतियों के हार पहनना पसंद करते हैं। न्यिशी जनजाति अपनी अनूठी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जानी जाती है, जो उनकी पहचान को अद्वितीय बनाती है।

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