डब्ल्यूटीओ में कृषि वार्ता फिर से शुरू करने के लिए नियुक्त किए जाने वाले फैसिलिटेटर का 3 देश कर रहे विरोध

कृषि वार्ता फिर से शुरू करने का प्रस्ताव रखा है

डब्ल्यूटीओ में कृषि वार्ता फिर से शुरू करने के लिए नियुक्त किए जाने वाले फैसिलिटेटर का 3 देश कर रहे विरोध

फैसिलिटेटर विभिन्न विषयों पर चर्चा का मार्गदर्शन करेंगे। भारत का मानना है कि ऐसी प्रक्रिया मंत्रिस्तरीय आदेशों को कमजोर करती है।

नई दिल्ली। विश्व व्यापार संगठन में कृषि वार्ता पर गतिरोध बना हुआ है। भारत, श्रीलंका और पाकिस्तान ने फैसिलिटेटर की नियुक्ति का विरोध किया है। इन देशों का मानना है कि यह प्रक्रिया डब्ल्यूटीओ के सर्वसम्मति के सिद्धांत के खिलाफ है। उन्होंने पारदर्शी और समावेशी प्रक्रिया के तहत कृषि वार्ता फिर से शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। तीनों ही देशों ने डब्ल्यूटीओ में कृषि वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए नियुक्त किए जाने वाले फैसिलिटेटर पर चिंता जताई है। बुधवार को कृषि समिति की बैठक में भारत ने इस फैसिलिटेटर-आधारित प्रक्रिया को अस्वीकार कर दिया। यह डब्ल्यूटीओ के सर्वसम्मति के सिद्धांत के बजाय कन्वर्जेंस पर आधारित है। भारत का कहना है कि कृषि वार्ता आगे नहीं बढ़ने का मुख्य कारण भरोसे की कमी है। इस प्रक्रिया के तहत कृषि वार्ता के अध्यक्ष की ओर से नियुक्त फैसिलिटेटर विभिन्न विषयों पर चर्चा का मार्गदर्शन करेंगे। भारत का मानना है कि ऐसी प्रक्रिया मंत्रिस्तरीय आदेशों को कमजोर करती है।

तीनों देशों के एक सुर
संगठन के एक अधिकारी के अनुसार, भारत, श्रीलंका और पाकिस्तान ने सदस्यों के बीच स्पष्ट सहमति के अभाव का हवाला देते हुए फैसिलिटेटर-आधारित प्रक्रिया पर चिंता जताई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सदस्य औपचारिक बातचीत के माध्यमों का पालन करें। पिछले महीने डब्ल्यूटीओ को भेजे गए एक पत्र में तीनों देशों ने प्रस्ताव दिया कि स्थायी भंडारण, विशेष सुरक्षा तंत्र और कपास जैसे अनिवार्य मुद्दों पर कृषि वार्ता कृषि समिति में होनी चाहिए। यह एक खुली, समावेशी और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से जल्द निर्णय और अपनाने के लिए एक त्वरित समय सीमा में होनी चाहिए, जैसा कि आदेश में दिया गया है।

क्या है एशियाई देशों का कहना
तीनों देशों ने कहा है कि अक्टूबर में हुई अनौपचारिक प्रतिनिधिमंडल प्रमुखों या औपचारिक व्यापार वार्ता समिति की बैठकों में फैसिलिटेटर नियुक्त करने के प्रस्ताव पर कोई सहमति नहीं बनी थी। 22 अक्टूबर के डब्ल्यूटीओ के पत्र का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कृषि वार्ता में फैसिलिटेटर-आधारित प्रक्रिया शुरू करने से डब्ल्यूटीओ के कामकाज के लिए एक चिंताजनक मिसाल कायम होती है। सदस्यों से फैसिलिटेटर के लिए नामांकन मांगे गए थे। इससे पहले अफ्रीकी समूह ने कहा था कि कृषि वार्ता में फैसिलिटेटर-आधारित प्रक्रिया शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए डब्ल्यूटीओ के सदस्यों की आम सहमति आवश्यक है। यह मामला डब्ल्यूटीओ के भीतर चल रही बहस का हिस्सा है कि कैसे कृषि वार्ता को आगे बढ़ाया जाए, जो कई वर्षों से रुकी हुई है। विकासशील देशों का तर्क है कि उन्हें अपने किसानों की रक्षा के लिए खाद्य सुरक्षा के लिए स्थायी भंडारण जैसे उपायों की जरूरत है। जबकि विकसित देशों का कहना है कि ऐसे उपाय व्यापार को खराब करते हैं।

 

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