पहलगाम हमले से दुखी होकर शाहबुद्दीन बन गए श्यामलाल, दरगाह पर कव्वाली की जगह करवाया सुंदरकांड पाठ
दरगाह परिसर में सुंदरकांड का पाठ भी करवाया
यहां कुलकर्णी नगर के रहने वाले एक शख्स ने पहलगाम हादसे से दुखी होकर न केवल हिंदू धर्म में घर वापसी की, बल्कि दरगाह परिसर में सुंदरकांड का पाठ भी करवाया
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के इंदौर में एक अनोखी घटना सामने आई है। यहां कुलकर्णी नगर के रहने वाले एक शख्स ने पहलगाम हादसे से दुखी होकर न केवल हिंदू धर्म में घर वापसी की, बल्कि दरगाह परिसर में सुंदरकांड का पाठ भी करवाया। दरअसल, श्यामलाल निनोरी पिछले 40 सालों से सैयद निजामुद्दीन की दरगाह की सेवा करते थे, जो ग्वालियर ऑयल मिल की जमीन पर बनी है। इस दौरान स्थानीय लोगों ने उन्हें मुस्लिम मानकर उनका नाम शाहबुद्दीन रख दिया था और श्यामलाल भी खुद को शाहबुद्दीन मानने लगे थे। शाहबुद्दीन और उनका परिवार मुस्लिमों की तरह ही रोजा रखते, नमाज पढ़ते और इस्लाम की तमाम धार्मिक मान्यताओं को मानते थे। यही नहीं, दरगाह पर उर्स का आयोजन करवाते और आने वाले श्रद्धालुओं को खिचड़ा भी खिलाते। लोग भी उन्हें दरगाह वाले बाबा के नाम से जानते हैं। क्षेत्रीय पार्षद जीतू यादव ने बताया, पूर्व में निगम कर्मचारी होने के कारण श्यामलाल ने सरकारी दस्तावेजों में अपना नाम नहीं बदला, लेकिन लोग उन्हें करीब 40 साल से मुस्लिम ही मानने लगे थे।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई हिंदू परिवारों की मौत से श्यामलाल का हृदय परिवर्तन हुआ। क्षेत्रीय पार्षद जीतू यादव की पहल पर उन्होंने हिंदू धर्म अपनाने का फैसला किया। इसके बाद श्यामलाल ने दरगाह परिसर में कव्वाली की जगह सुंदरकांड का पाठ आयोजित करवाया और पहलगाम हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर पार्षद जीतू यादव सहित बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी मौजूद रहे।गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले इसी दरगाह को लेकर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें पार्षद जीतू यादव श्यामलाल को अवैध कब्जे और बिना अनुमति के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए फटकारते नजर आए थे। अब उसी पार्षद की समझाइश पर श्यामलाल ने हिंदू रीति-रिवाजों को अपनाते हुए धर्म परिवर्तन किया है। यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।
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