अमेरिकी टैरिफ के आर्थिक प्रभाव को रोकने के लिए श्रीलंका ने किया भारत का रुख, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने सात सहमति ज्ञापनों पर किए हस्ताक्षर 

500,000 धार्मिक संस्थानों को सौर ऊर्जा की आपूर्ति का भी वर्चुअल किया उद्घाटन

अमेरिकी टैरिफ के आर्थिक प्रभाव को रोकने के लिए श्रीलंका ने किया भारत का रुख, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने सात सहमति ज्ञापनों पर किए हस्ताक्षर 

श्रीलंका ने अमेरिका की ओर से लगाए गए नए टैरिफ के बीच देश की अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित प्रतिकूल असर को रोकने के लिए भारत का रुख किया है

नई दिल्ली। श्रीलंका ने अमेरिका की ओर से लगाए गए नए टैरिफ के बीच देश की अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित प्रतिकूल असर को रोकने के लिए भारत का रुख किया है। डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की बैक के दौरान इस मामले पर चर्चा की गई और भू-आर्थिक निहितार्थों के साथ ऐसी कार्रवाइयों के नतीजों से निपटने के लिए भारत के साथ श्रीलंका के आर्थिक सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया। 

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया को बताया कि मोदी और दिसानायके के बीच द्विपक्षीय चर्चा के दौरान इस पहलू का उल्लेख किया गया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने बातचीत के दौरान इस मामले पर जोर दिया और दोनों पक्ष ऐसी कार्रवाइयों के नतीजों से निपटने के लिए आर्थिक सहयोग को और बढ़ाने की कोशिश करेंगे। दोनों नेताओं ने सात सहमति ज्ञापनों (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए, जिनमें रक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग, ऊर्जा, डिजिटलीकरण और बिजली ग्रिडों के अंतर्संबंध तथा देश के त्रिंकोमाली क्षेत्र को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने जैसे क्षेत्र शामिल हैं। मोदी ने सामपुर सौर ऊर्जा परियोजना, दांबुला में तापमान नियंत्रित गोदाम और 500,000 धार्मिक संस्थानों को सौर ऊर्जा की आपूर्ति का भी वर्चुअल उद्घाटन किया। 

उन्होंने त्रिंकोमाली में थिरुकोनेश्वरम मंदिर, अनुराधापुरा के पवित्र शहर परिसर और नुवारा-एलिया में सीता मंदिर के विकास के लिए सहायता की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कल राष्ट्रपति के साथ दो रेलवे परियोजनाओं का उद्घाटन करने के लिए श्रद्धेय अनुराधापुरा का भी दौरा किया। रक्षा सहयोग के मुद्दे पर दिसानायके ने कहा कि हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन में यह आश्वासन दिया गया है कि श्रीलंका की धरती और जल का इस्तेमाल कभी भी भारत के हितों के खिलाफ नहीं किया जाएगा।

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