उपभोक्ता मांग में कमी के कारण औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 1.2% घटी, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जारी किए आंकड़े
पिछले वर्ष इसी माह औद्योगिक उत्पादन वृद्धि 6.3% और इस वर्ष अप्रैल में 2.6% थी
देश में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर आधारित औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर मई 2025 में 1.2% रही जो गत वर्ष सितंबर के बाद का इसका न्यूनतम स्तर है।
नई दिल्ली। उपभोक्ता मांग में कमी के बीच देश में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर आधारित औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर मई 2025 में 1.2% रही जो गत वर्ष सितंबर के बाद का इसका न्यूनतम स्तर है। पिछले वर्ष इसी माह औद्योगिक उत्पादन वृद्धि 6.3% और इस वर्ष अप्रैल में 2.6% थी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी मई के आंकड़ों के अनुसार अखिल भारतीय आईआईपी मई , 2025 में 156.6 रहा जबकि एक साल पहले इसी माह यह 154.7 और एक माह पहले 151.8 अंक था।
इस वर्ष मई में खनन क्षेत्र का उत्पादन सालाना आधार पर 0.1% घट गया जबकि विनिर्माण क्षेत्र में 2.6% की वृद्धि दर्ज की गई। बिजली का उत्पादन मई में सालाना आधार पर 5.8 प्रतिशत कम रहा। चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में औद्योगिक वृद्धि दर 1.8% रही जबकि एक साल पहले इसी अवधि में औद्योगिक उत्पादन 5.7% बढ़ा था।
प्राथमिक वस्तु उद्योग उत्पादन घटा :
इस वर्ष मई में प्राथमिक वस्तु उद्योग के उत्पादन में सालाना आधार पर 0.2% की गिरावट रही जबकि पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में 14.1 प्रतिशत की वृद्धि रही। आलोच्य माह में माध्यमिक वस्तुओं का उत्पादन 3.5% बढ़ तथा निर्माण/अवसंरचना वस्तु उद्योग की वृद्धि 6.3 प्रतिशत रही।
विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर धीमी पड़ी : रजनी सिन्हा
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने मई के आईआईपी आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आंकड़े पूर्वनुमानों के अनुरूप हैं। मई में भारत के औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि 9 महीने के निचले स्तर 1.2% पर आ गई। विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर धीमी पड़ने के साथ-साथ खनन और बिजली दोनों क्षेत्रों के उत्पादन में गिरावट से समग्र आईआईपी वृद्धि को सीमित कर दिया।
अर्थव्यवस्था में मांग में नरमी का संकेत :
इसी दौरान टिकाऊ उपभोक्ता उद्योग का उत्पादन 0.7% कम रहा और गैर टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में सालाना आधार पर 2.4% की कमी दिखी जो अर्थव्यवस्था में मांग में नरमी का संकेत देती है। अप्रैल-मई की अवधि में गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में 2.6% की गिरावट रही।
वृद्धि नकारात्मक क्षेत्र में चली गई :
खपत के दृष्टिकोण से, उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन में कमजोरी बनी हुई है। इसके अलावा, पिछले महीनों में उत्साहजनक वृद्धि के बाद उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की वृद्धि नकारात्मक क्षेत्र में चली गई है।
शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मांग में सुधार महत्वपूर्ण बना :
खाद्य मुद्रास्फीति में कमी, नीतिगत दरों में कटौती और मानसून की अनुकूल संभावनाएं जैसे कई कारक खपत परिदृश्य के लिए सकारात्मक हैं जिससे अर्थव्यवस्था में समग्र मांग को मजबूत करने में मदद मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मांग में सुधार महत्वपूर्ण बना हुआ है।
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