सावधान!‘खेल-खेल’ में कहीं पहुंच न जाएं ‘जेल’, खेल कानून की पालना के लिए खेल परिषद ने जिला प्रभारियों को भी दिए निर्देश
जिलों को दिए निर्देश
राजस्थान में खेल संघों को अब प्रदेश में लागू खेल कानून का कड़ाई से पालन करना होगा।
जयपुर। राजस्थान में खेल संघों को अब प्रदेश में लागू खेल कानून का कड़ाई से पालन करना होगा। यदि किसी संघ ने इस कानून को हल्के में लिया, तो खेल-खेल में जेल भी हो सकती है। राजस्थान क्रीड़ा अधिनियम 2005 में पहले से ही उल्लंघन पर दंड का प्रावधान था, लेकिन हाल ही में हॉकी राजस्थान से जुड़े एक मामले में उच्च न्यायालय के फैसले के बाद राजस्थान खेल परिषद ने इसे सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने हाल ही 12 फरवरी को दिए एक फैसले में हॉकी राजस्थान को राजस्थान खेल कानून के तहत अपंजीकृत संस्था करार देते हुए राजस्थान शब्द का उपयोग नहीं करने के निर्देश दिए।
जिलों को दिए निर्देश :
राजस्थान उच्च न्यायालय के इस अहम फैसले के बाद खेल परिषद ने अपने जिला खेल अधिकारियों और प्रभारियों को खेल कानून की पालना सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। खेल परिषद की ओर से मंगलवार को यहां जारी एक बयान में परिषद के अध्यक्ष डॉ. नीरज कुमार पवन ने कहा है कि राज्य के सभी खेल अधिकारियों एवं प्रभारियों को राजस्थान क्रीड़ा अधिनियम 2005 की धारा 25 (1)(2) के प्रावधानों की सख्ती से पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
हॉकी कोच को हटाया :
हॉकी राजस्थान के मामले में पहली कार्रवाई करते हुए राजस्थान खेल परिषद ने मंगलवार को कॉन्ट्रेक्ट पर नियुक्त एक महिला हॉकी कोच को हटा दिया। आरोप है कि ये महिला हॉकी कोच परिषद की चेतावनी के बावजूद अपंजीकृत संस्था हॉकी राजस्थान की टीम के साथ राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गई है।
क्या है अधिनियम में प्रावधान :
इस अधिनियम के तहत, कोई भी राज्य स्तरीय या जिला स्तरीय खेल संघ, यदि वह राज्य खेल संघ या जिला खेल संघ के रूप में पंजीकृत नहीं है, तो वह "राजस्थान" या जिले के नाम का उपयोग नहीं कर सकता। यदि कोई संघ इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसे अधिकतम 6 माह के कारावास, जुमार्ना या दोनों की सजा हो सकती है।
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