पोलो अब रफ्तार का खेल, हर तीसरे मिनट बदलना पड़ता है घोड़ा, सिर्फ एक मैच के लिए 8 से 10 घोड़े लेकर चलता है एक खिलाड़ी

हर खिलाड़ी के लिए आसान नहीं

पोलो अब रफ्तार का खेल, हर तीसरे मिनट बदलना पड़ता है घोड़ा, सिर्फ एक मैच के लिए 8 से 10 घोड़े लेकर चलता है एक खिलाड़ी

पोलो का खेल अब तकनीक से ज्यादा रफ्तार का खेल बन गया है।

जयपुर। पोलो का खेल अब तकनीक से ज्यादा रफ्तार का खेल बन गया है। तेज गति और लगातार प्रयासों के कारण घोड़े महज तीन-चार मिनट में थक जाते हैं, जिससे खिलाड़ियों को खेल के एक चक्कर के बीच में ही घोड़ा बदलने की जरूरत पड़ जाती है। ऐसे में पूरे मैच के लिए एक खिलाड़ी को कम से कम चार-पांच घोड़ों की जरूरत होती है और जो खिलाड़ी सक्षम हैं, वे तो एक मैच में 8 से 10 घोड़े साथ लेकर चलते हैं, ताकि खेल की गति बनी रहे। खेल के जानकारों का भी मानना है कि पोलो में रफ्तार और रणनीति की अहमियत पहले से कहीं ज्यादा हो गई है, जिससे घोड़ों की मांग भी बढ़ गई है।

हर खिलाड़ी के लिए आसान नहीं :

हालांकि हर खिलाड़ी के लिए इतने घोड़े रखना संभव नहीं होता। घोड़ों की खरीद, देखभाल और प्रशिक्षण पर भारी खर्च आता है, जो हर टीम और खिलाड़ी के बजट में नहीं होता। इस कारण केवल चुनिंदा पेशेवर और आर्थिक रूप से सक्षम खिलाड़ी ही ज्यादा घोड़े लेकर खेल सकते हैं। एक देशी घोड़ा ही जहां 20 से 25 लाख कीमत में आता है वहीं विदेशी घोड़े के लिए तो कम से कम 40 से 50 लाख और अच्छे घोड़े के लिए 70-80 लाख तक कीमत देनी पड़ती है।

बजाज के पास अकेले ही 50 से ज्यादा घोड़े :

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जयपुर पोलो सीजन के आखिरी हाईगोल टूर्नामेंट भवानी सिंह कप में अचीवर्स के लिए खेल रहे बजाज फेमेली के युवा विश्वरूप बजाज के पास अकेले ही 50 से ज्यादा घोड़े हैं। इन घोड़ों की देखभाल करने वाले पुष्पेन्द्र सिंह कहते हैं कि उनके पास 40 से ज्यादा तो विदेशी घोड़े हैं। पुष्पेन्द्र ने कहा कि इतने घोड़ों को पालना और ग्राउण्ड तक ट्रेवल करना कोई आसान काम नहीं है। 

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बॉडी एक्टिविटी से समझ लेते हैं घोड़े की जरूरत :

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पुष्पेन्द्र सिंह का कहना है कि वे करीब 30 साल से घोड़ों की देखभाल का काम कर रहे हैं। एक घोड़े की सार संभाल में उसके दाने-पानी का खयाल रखने के साथ ही गर्मी में तो कूलर और एसी भी लगाने पड़ते हैं। ये सब हम घोड़े की बॉडी एक्टिविटी को देखकर ही समझ लेते हैं कि वो क्या चाहता है। पुष्पेन्द्र का कहना है कि घोड़े के खान-पान का ध्यान सबसे ज्यादा जरूरी है। 

टीम उतारना चुनौतीपूर्ण : विक्रम

राजस्थान पोलो क्लब के पूर्व सचिव और अब पोलो प्रमोटर विक्रम राठौड़ का कहना है कि दर्शकों के लिए पोलो का खेल जितना रोचक और रोमांचक है वहीं एक प्रमोटर के लिए टीम उतारना उतना ही चुनौतीपूर्ण होता है। आपके पास कम से कम 20 से 25 घोड़े हैं, तब ही आप किसी टूर्नामेंट में टीम उतारने के बारे में सोच सकते हैं। प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गई है कि कई टीमें तो 50 से सौ-डेढ़ सौ तक घोड़े रख रही हैं। 

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