पोलो के खेल में घोड़ों की बड़ी भूमिका, महंगे घोड़े रखना हर किसी के बस में नहीं : शमशीर
खिलाड़ियों को हर महीने 50 से 60 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं
भारतीय घोड़ों पर भी 25-30 हजार रुपए प्रतिमाह खर्च करना पड़ता है।
जयपुर। देश के मशहूर पोलो खिलाड़ियों में शुमार हैदराबाद के शमशीर अली का कहना है कि पोलो के खेल में खिलाड़ियों की काबिलियत जितनी मायने रखती है, उतनी ही अहमियत उनके घोड़े की भी होती है। बेहतरीन घोड़ा न सिर्फ खेल का स्तर ऊंचा करता है, बल्कि खिलाड़ी की परफॉर्मेंस को भी प्रभावित करता है। लेकिन हर पोलो खिलाड़ी महंगे घोड़े खरीदने और और उनका खर्च उठाने में सक्षम नहीं है। खासतौर पर अच्छे विदेशी घोड़े रखने के लिए खिलाड़ियों को हर महीने 50 से 60 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं, जो हर किसी के लिए आसान नहीं है। भारतीय घोड़ों पर भी 25-30 हजार रुपए प्रतिमाह खर्च करना पड़ता है।
सिर्फ अमीर खिलाड़ी ही खरीद पा रहे अच्छे घोड़े :
गुलाबी नगर के पोलो प्रेमियों के चहेते रहे शमशीर का मानना है कि भारत में पोलो खेलने वाले कई युवा खिलाड़ी अच्छे घोड़ों की कमी से जूझते हैं। दूसरी ओर आर्थिक रूप से मजबूत कई ऐसे युवा खिलाड़ी भी हैं, जो विदेशों से बेहतरीन घोड़े मंगा रहे हैं। इन घोड़ों की स्पीड, ट्रेनिंग और परफॉर्मेंस बेहतर होती है, जिससे खेल में उनका प्रदर्शन भी प्रभावी हो जाता है। शमशीर ने सिरमौर कप के फाइनल में अचीवर्स की ओर से खेले विश्वरूप बजाज का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि विश्वरूप युवा है और अच्छा खेल रहा है। परिवार से उन्हें पूरी मदद मिलती है। उनके पास अच्छे विदेशी घोड़े हैं।
घोड़ों की ट्रेनिंग और रखरखाव महंगा सौदा :
शमशीर ने कहा कि पोलो में सिर्फ घोड़ा खरीदना ही काफी नहीं होता, बल्कि उसकी ट्रेनिंग, खानपान और स्वास्थ्य देखभाल पर भी मोटा खर्च आता है। एक अच्छे पोलो घोड़े के रखरखाव में हर महीने हजारों रुपए खर्च होते हैं, जिसमें उसका दाना-पानी, मेडिकल चेकअप, ट्रेनिंग और गाइडेंस शामिल है। ये खर्चा 50 से 60 हजार रुपए प्रतिमाह तक बैठता है, जबकि एक युवा खिलाड़ी के लिए सीजन में इतनी कमाई नहीं हो पाती। शमशीर ने कहा कि विदेशी खिलाड़ियों के लिए दाना भी विदेश से मंगाना पड़ता है और अब तो उस पर जीएसटी भी देना पड़ता है।
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