भारत में रूस के फाइटर जेट एसयू-57 के निर्माण की पेशकश : टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए भी तैयार, मेक इन इंडिया को बढ़ावा
आधुनिकतम विमानों की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का भी ऑफर दिया है
भारत को अपने पांचवीं पीढ़ी के एसयू-57 स्टील्थ विमान की बिक्री के लिए अपनी बात फिर से दोहराई थी। रूस ने भारत को अपने आधुनिकतम विमानों की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का भी ऑफर दिया है।
मॉस्को। रूस ने कहा कि भारत अपने मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ ही फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट एसयू-57 का निर्माण शुरू कर सकता है। रूस ने प्रस्ताव दिया है कि जिन संसाधनों के साथ भारत सुखोई-30 लड़ाकू विमान का निर्माण करता है, उन्हीं संसाधनों के साथ एसयू-57 फाइटर जेट का निर्माण भी संभव है। रूस भारत को हर हाल में अपना फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट बेचना चाहता है। उसने एयरो इंडिया 2025 प्रदर्शनी से पहले फरवरी 2025 में भारत को अपने पांचवीं पीढ़ी के एसयू-57 स्टील्थ विमान की बिक्री के लिए अपनी बात फिर से दोहराई थी। रूस ने भारत को अपने आधुनिकतम विमानों की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का भी ऑफर दिया है।
यह भारत के लिए जबर्दस्त फायदे का सौदा है। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ इन विमानों के भारत में ही निर्माण की भी रूस पेशकश कर रहा है। और अब एक बार फिर से रूस की सरकारी हथियार बनाने वाली कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट ने भारतीय वायु सेना के लिए दिलचस्प ऑफर पेश किए हैं। रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के महानिदेशक अलेक्जेंडर मिखेव ने फरवरी में एसयू-57 प्रोजेक्ट के लिए शानदार प्रस्ताव रखा था। जिसमें रूस में पहले से ही बने एसयू-57 विमानों की आपूर्ति, भारत में ज्वाइंट प्रोडक्शन और भारतीय पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के डेवलपमेंट में मदद शामिल है। लेकिन अब एक बार फिर से रूसी मीडिया ने 7 मार्च को बताया है कि रोसोबोरोन एक्सपोर्ट ने संकेत दिया है कि वह भारत में एसयू-57 के स्थानीय उत्पादन के लिए मौजूदा सुखोई-30 के ढांचे का इस्तेमाल कर सकता है।
रोसोबोरोन एक्सपोर्ट ने कहा है कि अगर भारत इस सौदे के लिए तैयार हो जाता है तो रूसी सुखोई-30 लड़ाकू जेट बनाने वाली भारतीय कंपनियां जल्द ही पांचवीं पीढ़ी के एसयू-57 लड़ाकू विमान का उत्पादन शुरू कर सकती हैं। 7 मार्च को कंपनी की तरफ से जारी एक बयान में कहा अगर भारत तैयार होता है तो रूसी पांचवीं पीढ़ी के एसयू-57 लड़ाकू जेट का उत्पादन भारत में ही कर सकता है। विमान का उत्पादन भारत की फैक्ट्रियों में थोड़े समय के भीतर शुरू किया जा सकता है। आपको बता दें कि भारत के पास पहले से ही करीब 260 सुखोई-30लड़ाकू विमान हैं। जिनमें से 220 से ज्यादा विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने रूसी लाइसेंस के साथ भारत में ही किया है।
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