आजम खान ने अखिलेश से की मुलाकात : राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज, बोले- अब भी जिंदा हैं पहाड़ से मजबूत लोग
इस दौरान उनके साथ बेटे अब्दुल्ला आजम भी मौजूद रहे
सपा नेता आजम खान ने लखनऊ में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की, जिसमें उनके बेटे अब्दुल्ला आजम भी मौजूद रहे। करीब 45 मिनट चली इस बैठक को राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है। आजम खान ने कहा- मैं यह बताने आया हूं कि इस धरती पर अब भी सहनशील लोग जिंदा हैं। मुलाकात से सियासी हलचल तेज हो गई है।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान ने लखनऊ में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के आवास पर पहुंच कर उनसे मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ बेटे अब्दुल्ला आजम भी मौजूद रहे। दोनों नेताओं के बीच करीब 45 मिनट तक चली यह बैठक राजनीतिक रूप से काफी अहम मानी जा रही है, जिससे राजधानी के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
आजम खान से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कहा- न जाने कितनी यादें संग ले आए, जब वो आज हमारे घर पर आए। यह जो मेलमिलाप है यही हमारी साझा विरासत है।
वहीं, बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में आजम खान ने कहा- आज मेरे आने का मकसद सिर्फ इतना था कि लोगों को बता सकूं कि आज भी इस धरती पर कुछ ऐसे लोग जिंदा हैं, जिनकी सहनशीलता किसी पहाड़ से ज्यादा मजबूत है। अपने सादे जीवन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा- मेरे घर में कल भी जनरेटर नहीं था, आज भी नहीं है और जब तक मेरे समाज के हर व्यक्ति के घर में जनरेटर नहीं लग जाएगा, मैं भी जनरेटर नहीं रखूंगा।
आजम खान ने कहा- आज ऐसा दौर है, जब लोग हजारों किलोमीटर चलकर मिलने आते हैं और गले लगते हैं, उनमें से कई मेरे धर्म के भी नहीं हैं। यही असली बदलाव है और यह बदलाव महसूस भी हो रहा है। जेल में बिताए समय को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा- अगर मुझे कभी इतना वक्त मिला कि मैं कुछ लिख सकूं, तो मैं दावा करता हूं कि आप उसे पढ़ नहीं सकेंगे।
बिहार के मौजूदा चुनावी माहौल पर तंज करते हुए आजम खान ने कहा- यहां बादशाह से लेकर वज़ीर तक कहते हैं कि बिहार में जंगलराज है, लेकिन जंगल में कौन रहता है, इंसान तो नहीं। अगर मैं उस जंगलराज में चला जाऊं, तो देख लेना, मैं अपना सिर रेल की पटरी पर नहीं रखूंगा।
आजम खान ने कहा- लोग कह रहे हैं कि बिहार में बदलाव आने वाला है और जब लोग कहते हैं तो शायद सही कहते हैं। अपने ऊपर दर्ज मामलों को लेकर उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा- अगर तनखइया कहने पर मेरी सदस्यता जा सकती है, मुर्गी चोरी पर 21 साल की सजा और 30 लाख का जुर्माना हो सकता है, तो फिर दूसरे लोग क्यों माहौल खराब करें।

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