मोदी सरकार के आठ साल काले अध्याय के रुप में याद किए जाएंगे: अशोक गहलोत
राहुल से तीसरे दिन भी ईडी दफ्तर में पूछताछ
नई दिल्ली। राहुल गांधी से बुधवार को तीसरे दिन भी ईडी दफ्तर में पूछताछ जारी है। वहीं कांग्रेस के इसके विरोध में सड़क तक विरोध-प्रदर्शन किए। तीसरे दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज यहां कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीते आठ साल इतिहास में काले अध्याय के रुप में याद किए जाएंगे।
नई दिल्ली। राहुल गांधी से बुधवार को तीसरे दिन भी ईडी दफ्तर में पूछताछ जारी है। वहीं कांग्रेसी नेता कार्यकर्ताओं की ओर से इसके विरोध में सड़क तक विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे हैं । वहीं कांग्रेस मुख्यालय में पूरे मामले को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्यसभा सांसद मुकुल वासनिक, राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला सहित कांग्रेसी नेताओं ने प्रेसवार्ता कर केंद्र की मोदी सरकार पर मौजूदा दौर को लेकर जमकर निशानी साधा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यहां कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीते आठ साल इतिहास में काले अध्याय के रुप में याद किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आज संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सरकार और जांच एजेंसियां हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है। जबकि कांग्रेस शासन में सबकी बात सुनी जाती थी। इससे देश का वातावरण ठीक नहीं है। सीएम गहलोत ने पीएम मोदी से मांग की कि वह शांति, भाईचारे के लिए देश को संबोधित करें। क्योंकि आज समाज का हर वर्ग इस सरकार में परेशान, भयग्रस्त और चिंतित है। इस माहौल में भी केवल राहुल गांधी ही ऐसे नेता और विपक्ष की आवाज हैं जो पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं। इसीलिए उन्हें ईडी की पूछताछ के बहाने तंग करने का काम किया जा रहा। लेकिन हम न डरेंगे, न दबेंगे।
गहलोत ने कहा कि एआईसीसी में हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं को आने से रोका जा रहा है। दिल्ली के एनडीएमसी इलाके को पुलिस छावनी बना दिया गया है। सरकार नेशनल हेराल्ड मामले में इतना पूछताछ कर रही है। ऐसे में सीएम गहलोत ने आशंका जताई कि आरएसएस के अख़बार पांचजन्य को भी कोई मदद कर रहा होगा। यदि कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड को मदद की है, तो क्या गलती कर दी। आज भी संपत्ति एजेएल की ही है। कानूनन उसको कोई खरीद या बेच नहीं सकता।
गहलोत ने दावा किया कि आज दिल्ली पुलिस के कमिश्नर भी हमें मिलने का समय नहीं दे रहे हैं।
सीबीडीटी, सीबीआई, ईडी के प्रमुख हमारी बात सुनना भी नहीं चाहते। जबकि हम उनसे मिलना चाहते हैं। क्या ऐसी बातें लोकतंत्र के लिए ठीक हैं? विपक्ष की आवाज को सरकार द्धारा सुना जाना चाहिए। कोई भी फैसला लेना तो सरकार का काम है। कांग्रेस शासन में विपक्षी जनसंघ और भाजपा की बात सुनी जाती थी और वह ज्ञापन भी देते थे। लेकिन आज भाजपा सरकार ऐसा नहीं कर रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
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