महिला कर्मचारी पेंशन के लिए बच्चे को कर सकेंगी नामित
मोदी सरकार का तोहफा: डीओपीपीडब्ल्यू ने नियमों में किया संशोधन
पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने नियमों में संशोधन किया है इसके अनुसार एक महिला कर्मचारी को पारिवारिक पेंशन के लिए अपने पति की तुलना में अपने बच्चे/बच्चों को नामित करने की अनुमति दी गई है।
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने सरकारी महिला कर्मचारियों को नए साल का तोहफा दिया है। अब एक महिला कर्मचारी वैवाहिक कलह की स्थिति में अपने पति के बजाय अपने बच्चे को पारिवारिक पेंशन के लिए नामांकित कर सकती है। पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने नियमों में संशोधन किया है इसके अनुसार एक महिला कर्मचारी को पारिवारिक पेंशन के लिए अपने पति की तुलना में अपने बच्चे/बच्चों को नामित करने की अनुमति दी गई है। डीओपीपीडब्ल्यू सचिव वी श्रीनिवास ने बताया कि यदि कोई महिला सरकारी कर्मचारी तलाक की याचिका, घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम के तहत याचिका या भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दायर करती है, तो उसकी पारिवारिक पेंशन उसके पति के बजाय किसी योग्य बच्चे को हस्तांतरित की जा सकती है।
महिला कर्मचारियों को सशक्त बनाना उद्देश्य
श्रीनिवास ने कहा कि संशोधन डीओपीपीडब्ल्यू द्वारा प्राप्त अभ्यावेदनों पर विचार करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के परामर्श से तैयार किया गया था। संशोधन का प्रकृति में प्रगतिशील है और पारिवारिक पेंशन मामलों में महिला कर्मचारियों को सशक्त बनाता है।
क्या था नियम
केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन/नियम) 2021 का नियम 50 सरकारी कर्मचारी या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन देने की अनुमति देता है। यदि किसी मृत सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी के जीवित पति या पत्नी हैं, तो पारिवारिक पेंशन सबसे पहले पति या पत्नी को दी जाती है। नियमों के अनुसार, मृत सरकारी कर्मचारी/पेंशनभोगी का जीवनसाथी पारिवारिक पेंशन के लिए अयोग्य हो जाने या उसकी मृत्यु हो जाने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य अपनी बारी पर पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र बनते हैं।

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