संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक का आयोजन, विपक्ष ने प्रमुखता से उठाया एसआईआर का मुद्दा
शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इन मुद्दों पर हुई चर्चा
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने एसआईआर, राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रदूषण और मतदाता सूची पुनरीक्षण जैसे मुद्दे उठाए। विपक्ष ने कहा कि केवल 15 दिन की चर्चा वाले इस छोटे सत्र में इन महत्वपूर्ण विषयों पर अवश्य बहस होनी चाहिए।
नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले सरकार ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें विपक्षी दलों ने एसआईआर, देश की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, प्रदूषण से सुरक्षा जैसे कई मुद्दे उठाये और कहा कि इन पर संसद में चर्चा होनी चाहिए।
सर्वदलीय बैठक के बाद लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक गौरव गोगोई ने कहा कि, यह पहला मौका है जब संसद सत्र केवल 19 दिनों का है और इसमें सिर्फ 15 दिन ही चर्चा होनी है। उनका कहना था कि बैठक में उनकी पार्टी ने दिल्ली विस्फोट के मद्देनजर नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया और कहा कि इस पर चर्चा होनी चाहिए। इसके साथ ही दिल्ली में वायु प्रदूषण के संकट को भी रखा, लोकतंत्र की सुरक्षा का मामला उठाया और कहा कि मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण- एसआईआर का गंभीर मामला है और इस पर चर्चा होनी चाहिए।
इसके आगे उन्होंने कहा कि, सरकार का व्यवहार संसद चलने को लेकर उत्साहजनक नहीं है। इतना छोटा सत्र बुलाकर सरकार खुद ही सन्देश दे रही है कि वह संसद चलने को लेकर बहुत गंभीर नहीं है। डीएमके के तिरुचि शिवा कहा कि, एसआईआर और देश की सुरक्षा इस समय महत्वपूर्ण मुद्दा है। मनरेगा को लगातार कमजोर किया जा रहा है और सरकार हर काम में मनमानी कर रही है। संसद का अब तक का सबसे छोटा शीतकालीन सत्र बुलाया जा रहा है।
इसमें बड़ी बात यह है कि 15 दिन का सत्र है और इसमें 14 विधेयक पारित होने हैं। तमिलनाडु की सरकार अनदेखी कर रही है और सरकार उनकी किसी भी मांग पर ध्यान नहीं दे रही है। उनका कहना था कि इन सब मुद्दों को उन्होंने सर्वदलीय बैठक में उठाया है।
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में एसआईआर महत्वपूर्ण मुद्दा था और सभी दलों के नेताओं ने कहा कि जनता के मतदान के अधिकार को छीना नहीं जाना चाहिए और इस पर संसद में चर्चा कराई जानी चाहिए। गौरतलब है कि सरकार की तरफ से रविवार को संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलायी गयी जिसमें विपक्ष ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण, दिल्ली में हुए विस्फोट, विदेश नीति आदि मामलों को संसद में विचार के लिए लाने की मांग रखी।

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