भाजपा की केन्द्रीय चुनाव समिति की पहली बैठक, एक दर्जन प्रदेशों की सीटों पर चर्चा 

एक लाख से कम अंतर से जीती हुई सीटें शामिल हैं

भाजपा की केन्द्रीय चुनाव समिति की पहली बैठक, एक दर्जन प्रदेशों की सीटों पर चर्चा 

वह अपने पैमाने पर इन्हें ‘कमजोर’ मान रही है। सूत्रों के अनुसार इन सीटों में साल 2019 के आम चुनाव में एक लाख से कम अंतर से जीती हुई सीटें शामिल हैं।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में आम चुनाव के लिहाज से भाजपा की पहली केन्द्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक पार्टी कार्यालय में हुई। जिसमें राजस्थान समेत करीब एक दर्जन प्रदेशों की सीटों पर चर्चा हुई। देर रात करीब 2 बजे तक राजस्थान के उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हुई। सबसे पहले उत्तर प्रदेश के उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हुई। करीब 12.30 बजे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ बैठक से बाहर निकले। इसके बाद पश्चिम बंगाल के नामों पर चर्चा हुई। इसके बाद राजस्थान के उम्मीदवारों के नामों पर भी चर्चा शुरू हुई। हालांकि किन नामों पर चर्चा हुई उनका खुलासा नहीं किया गया। राजस्थान के बाद तेलंगाना और अन्य राज्यों उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा जारी रही। माना जा रहा है कि अब जल्द ही नामों की सूची जारी की जाएगी। सूत्रों के अनुसार राजस्थान में भाजपा का फोकस उन एक दर्जन संसदीय सीटों पर ज्यादा है। जहां वह अपने पैमाने पर इन्हें ‘कमजोर’ मान रही है। सूत्रों के अनुसार इन सीटों में साल 2019 के आम चुनाव में 

वहीं जिन सांसदों को विधानसभा चुनाव- 2023 में लड़वाया गया। लेकिन वह हार गए। साथ ही वह लोकसभा सीटें। जिनमें पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा पिछड़ गई थी। पार्टी नेतृत्व करीब एक दर्जन सीटों को ऐसी मानकर चल रहा है। जहां ज्यादा मेहनत करने की जरुरत है। इसीलिए करीब एक दर्जन सीटों पर पार्टी प्रत्याशी बदलने की भी चर्चा है। सूत्रों के अनुसार जालौर-सिरोही, झुंझुनूं, एवं अजमेर में पार्टी प्रत्याशी विधानसभा चुनाव हार गए थे। जो वर्तमान में सांसद भी हैं। ऐसे में यहां नए प्रत्याशी बनाए जाने की उम्मीद है। वहीं सांसद रहे दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ एवं राज्यवर्धन राठौड़ अब विधायक बन चुके हैं। उनकी सीटों पर नए चेहरे आएंगे। वहीं, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ को राजसमंद एवं उपनेता रहे सतीश पूनिया को अजमेर से प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा है।

वर्तमान विधायकों को टिकट नहीं
सूत्रों के अनुसार साल- 2023 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में विधायक बने किसी भी नेता को लोकसभा चुनाव में नहीं उतारा जाएगा। लेकिन विधायक प्रत्याशी रहे कुछ नेताओं को टिकट दिए जाने की संभावना है।

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