राजीव गांधी की पांच बड़ी उपलब्धियां, जिन्होंने बदल दी देश की तस्वीर
कम्प्यूटर और संचार क्रांति के जनक थे राजीव, खोली वैज्ञानिक प्रगति की राह
राजीव गांधी ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के चरणचिह्नों पर चलते हुए आधुनिकता को अपना मूल मंत्र बनाया और भारत को एक आधुनिक और प्रगतिशील राष्ट्र बनाने की राह की बाधाओं को हटाया।
नई दिल्ली। राजीव गांधी ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के चरणचिह्नों पर चलते हुए आधुनिकता को अपना मूल मंत्र बनाया और भारत को एक आधुनिक और प्रगतिशील राष्ट्र बनाने की राह की बाधाओं को हटाया। इस दिशा में उनके द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण फैसले यहां प्रस्तुत हैं।
पंचायती राज का अहम फैसला
राजीव गांधी ने प्रजातांत्रिक व्यवस्था को त्रिस्तरीय बनाया। साल 1985 में पंचायती राज अधिनियम के जरिए राजीव गांधी सरकार ने पंचायतों को वित्तीय और राजनीतिक अधिकार दिए। उनका मानना था कि देश के गांवों की उन्नति देश की उन्नति है। उन्होंने गांवों को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए। पंचायती राज का कदम भी इसी कड़ी में एक फैसला था। उन्होंने पूरे देश में ग्राम सरकार की अवधारणा लागू की और संविधान में संसोधन करके ग्राम पंचायतों को सशक्त किया। उन्होंने गांव की आबादी को अपना फैसला खुद करने की स्वतंत्रता दी।
भारत में कम्प्यूटर और दूरसंचार क्रांति
राजीव गांधी भारत में कम्प्यूटर और दूरसंचार क्रांति के जनक हैं। उन्होंने इसके द्वारा आधुनिक भारत की तस्वीर ही बदल दी। आज हम जिस दौर में जी रहे हैं, उसमें बिना कंप्यूटर और मोबाइल के जिंदगी की कल्पना करना बहुत मुश्किल है। कम्प्यूटर का भारत में प्रसार करने का श्रेय राजीव गांधी को ही जाता है। उनका मानना था कि युवा पीढ़ी कम्प्यूटर और विज्ञान के जरिए ही आगे जा सकती है। राजीव गांधी जब पीएम थे तो उन्होंने विज्ञान और टेक्नालॉजी के लिए सरकारी बजट को बढ़ाया और यह पहल की कि हर देशवासी कंप्यूटर का प्रयोग कर सके। दुनिया को पहला कंप्यूटर 1940 के आखिर में मिला और भारत ने पहली बार कम्प्यूटर 1956 में खरीदा था। राजीव गांधी के कदम से क्म्प्यूटर का प्रयोग प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में ही शुरू हो गया। शिक्षा के क्षेत्र में उठाया बड़ा कदम प्रधानमंत्री पद पर राजीव गांधी ने शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रभावी कदम उठाया। उन्होंने वर्ष 1986 में राष्टÑीय शिक्षा नीति का ऐलान किया था जिसके तहत पूरे देश में जवाहर नवोदय विद्यालय की स्थापना की गई थी। इस कार्यक्रम का मकसद था कि गांव में रहने वाले बच्चे भी अपनी पढ़ाई को एक नई दिशा दे सकें और एक शिक्षित समाज का निर्माण हो।
18 साल के युवकों को मताधिकार
राजीव गांधी के सत्ता की कमान सम्भालने के पूर्व वोट डालने के लिए उम्र सीमा 21 साल थी। राजीव गांधी ने ही वोटिंग के लिए 21 साल की उम्र घटाकर 18 करने का फैसला किया था। उनके इस फैसले से 5 करोड़ नए युवा वोटर्स बने थे। हालांकि उस दौरान राजीव गांधी के इस फैसले का बहुत विरोध हुआ था।
मुक्त अर्थव्यवस्था के जनक
राजीव गांधी ही भारत में मुक्त अर्थव्यवस्था के जनक थे। उन्होंने फरवरी 1985 में संसद में कहा था कि हम कभी अन्य देशों से होड़ नहीं कर सकते, जब हम 20 वर्ष पुरानी व्यवस्था में जकड़े रहेंगे। उन्होंने व्यापार करने में सुगमता की राह खोली और औद्योगिक विकास के लिए निजी उद्यमों को बढ़ावा दिया। उन्हीं की इन नीतियों को आगे बढ़ाते हुए मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान औद्योगिकीकरण में निजी और गैरसरकारी पहल को बढ़ाव दिया। जिसने देश के आर्थिक विकास की रप्तार बढ़ाई और कुछ ही समय में भारत विकसित देशों से होड़ करने लगा। इसी कारण करोड़ों लोग गरीबी रेखा से ऊपु उठे। देखते ही देखते देश की आर्थिक तस्वीर ही बदल गई।
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