‘ऑस्कर 2026’ में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटिगरी में शॉर्टलिस्ट हुई करण जौहर की फिल्म ‘होमबाउंड’, फिल्म ने टॉप 15 फिल्मों में बनाई अपनी जगह
विशाल जेठला, ईशान खट्टर और जाह्नवी कपूर ने अहम भूमिका निभाई
फिल्म ‘होमबाउंड’ ऑस्कर 2026 की बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी में टॉप-15 में शॉर्टलिस्ट हुई है। नीरज घेवान निर्देशित इस फिल्म में ईशान खट्टर, जाह्नवी कपूर और विशाल जेठला हैं। ‘होमबाउंड’ का प्रीमियर कान्स में हुआ था और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है।
मुंबई। बॉलीवुड फिल्मकार करण जौहर की फिल्म ‘होमबाउंड’ ऑस्कर 2026 में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटिगरी में शॉर्टलिस्ट हो गई है। एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आट्र्स एंड साइंस ने फिल्म ‘होमबाउंड’ के ऑस्कर 2026 में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटिगरी में शॉर्टलिस्ट होने की जानकारी दी है। भारत की ओर से ‘ऑस्कर 2026’ के लिए आधिकारिक एंट्री ले रही ‘होमबाउंड’ ने इंटरनेशनल फीचर फिल्म की कैटेगरी में टॉप 15 फिल्मों में अपनी जगह बना ली है।
करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले बनी फिल्म ‘होमबाउंड’ का निर्देशन नीरज घेवान ने किया है। इस फिल्म में विशाल जेठला, ईशान खट्टर और जाह्नवी कपूर ने अहम भूमिका निभाई है। फिल्म ‘होमबाउंड’ पहले ही कई फेस्टिवल्स में धमाल मचा चुकी है। इस फिल्म का वल्र्ड प्रीमियर ‘कान्स फिल्म फेस्टिवल’ में हुआ था और इसे टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी सराहा गया है।
करण ने सोशल मीडिया पर अपनी खुशी जाहिर की है। उन्होंने लिखा- मैं बता नहीं सकता कि फिलहाल मैं कैसा महसूस कर रहा हूं। मुझे काफी गर्व है और मैं फिलहाल चांद पर हूं। हमारी फिल्मोग्राफी में ‘होमबाउंड’ का होना अपने आप में गर्व फील करवाता है। थैंक्यू नीरज हमारे सपने को सच करने के लिए। ‘कान्स’ से ऑस्कर शॉर्टलिस्ट तक यह जर्नी काफी शानदार रही है। पूरी कास्ट, क्रू और टीम को प्यार है इस स्पेशल फिल्म से।
नीरज घेवान ने भी इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि ‘होमबाउंड’ को दुनियाभर से जो प्यार मिला है, वही इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। उनके मुताबिक यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि उन अनगिनत युवाओं की कहानी है, जो सिस्टम और समाज की जटिलताओं से जूझते हुए अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं।
फिल्म ‘होमबाउंड’ दो बचपन के दोस्तों शोएब और चंदन की कहानी है, जो पुलिस अफसर बनने का सपना देखते हैं, लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं होता। सामाजिक भेदभाव, आर्थिक दबाव और सिस्टम की सख्ती उनके रास्ते में बार-बार रुकावट बनती है। फिल्म दोस्ती, कर्तव्य और युवा वर्ग पर पड़ने वाले सामाजिक दबावों को बेहद संवेदनशील तरीके से पेश करती है।

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