विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष: आबादी के बोझ से कराहती धरती

भारत की आबादी विश्व जनसंख्या का 17.7%

विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष: आबादी के बोझ से कराहती धरती

वर्ष 2019 में जब कोरोना ने विश्व मेंअपना प्रकोप दिखाना आरंभ किया तो पूरी दुनिया को समझ में आया कि जनसंख्या का अधिक होना हमारे लिए कितना खतरनाक है।

वर्ष 2019 में जब कोरोना ने विश्व मेंअपना प्रकोप दिखाना आरंभ किया तो पूरी दुनिया को समझ में आया कि जनसंख्या का अधिक होना हमारे लिए कितना खतरनाक है।

चीन के बाद सर्वाधिक आबादी वाले देश भारत में तो यह कोरोना कहर बनकर आया। आक्सीजन और दवाओं के साथ ही अस्पतालों की कमी ने हमें बताया कि यदि हम अभी भी नहीं चेते तो हमारा भविष्य उज्जवल नहीं है। बाकी की पोल बढ़ती आबादी ने ग्लोबल वार्मिंग के रूप में हमारे सामने खोलकर रख दी है। इस वर्ष के अभी तक के मौसम चक्र में सर्दी और गर्मी दोनों ही हर वर्ष के मुकाबले अधिक रहीं और अब जब वर्षा ऋतु चल रही है तो वर्षा का प्रकोप पूरे देश में नजर आ रहा है।

यह सब बताता है कि आबादी का बोझ हमारे जीवन में भस्मासुर बन गया है। भारत तथा चीन दुनिया के सर्वाधिक आबादी वाले देश हैं। यहां की सरकारें आबादी नियंत्रण के लिए लंबे समय से प्रयासरत हैं। चीन ने 1979 में एक संतान की नीति लागू की थी। उसकी योजना थी कि इससे देश में जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण में आ जाएगी। भारत ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए हम दो हमारे दो की नीति के साथ ही परिवार नियोजन के विभिन्न साधन अपनाने पर भी जोर दिया।

सरकारी सेवाओं में भी इसी परिवार नियोजन को विभिन्न योजनाओं से जोड़ा गया। थोड़ा और विस्तार से देखें तो कोविड 19 के प्रसार के शुरुआती दौर में महानगरों से बड़ी संख्या में लोग गांवों की तरफ भाग चले थे। लेकिन यह बहुत कम समय तक होने वाली प्रक्रिया थी। तब लोगों ने समझा था कि गांव इस महामारी से ज्यादा सुरक्षित रहेंगे। शहरी क्षेत्र में संक्रमण के ज्यादा मामलों और महामारी के कारण हुई आर्थिक दिक्कत के बावजूद शहर फिर से अवसरों का केन्द्र बनते जा रहे हैं। वे रोजगार, शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसर मुहैया कराते हैं और गांवों में होने वाले अनेक संघर्षों से भी व्यक्ति की रक्षा करते हैं। शहरीकरण की प्रक्रिया में एकरूपता नहीं है फिर भी शहरों का विकास अब होता ही जाएगा और मानवता का भविष्य अब नगरों में ही निहित है। शहरों की जनसंख्या वृद्धि का एक कारण यह भी है।

जनसंख्या की दृष्टि से टॉप 8 देश
नाईजारिया 15,52,15,573
बांग्लादेश 15,85,70,535
पाकिस्तान 18,73,42,721
ब्राजील 20,34,26,773
इंडोनेशिया 24,56,13,043
संयु. अमेरिका 31,32,32, 044
भारत 15,85,70,535
चीन 1,33,67,18015

सर्वाधिक लोग एशिया में

महादेशों में सर्वाधिक जनसंख्या एशिया की है।  दूसरा स्थान अफ्रिका का है।  इनकी जनसंख्या 1.34 अरब है।  एशिया में जहां विश्व के 36% लोग रहते हैं,  वहीं अफ्रिका में 17.7 प्रतिशत। यूरोप की जनसंख्या 74.7 करोड़ है।  जहां दुनिया के 10 प्रतिशत लोग रहते है।

उत्तर अमेरिका में दुनिया 5% लोग
उत्तर अमेरिका महादेश में वर्ष 2020 के अंत तक 36.6 करोड़ लोग रहते थे।  जो पूरी दुनिया की जनसंख्या का लगभग पांच प्रतिशत है।

दक्षिण अमेरिका में दुनिया के 8% लोग
दक्षिण अमेरिका और कैरीबियन की जनसंख्या इस समय अर्थात वर्ष 2020 तक 65.3 करोड़ थी। जो विश्व आबादी का आठ प्रतिशत है।

एक अनुमान के अनुसार 10 हजार ई. पूर्व कृषि कार्य की शुरुआत होने तक दुनिया की आबादी दस लाख से एक करोड़ के बीच थी। कृषि कार्य शुरू होने पर अन्न की प्रचुरता हुई और दुनिया की जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी।

शहरीकरण और चुनौतियां
पिछले दो दशक में एशिया में भारत और चीन में बहुत तेज आर्थिक वृद्धि हुई और शहरीकरण भी खूब हुआ। वर्ष 2035 तक चीन की शहरी आबादी के 1.05 अरब हो जाने की सम्भावना है। जबकि एशिया महादेश की शहरी जनसंख्या 2.99 अरब। तब तक दक्षिण एशिया की शहरी जनसंख्या 98,75,92,000 तक पहुंच जाएगी। भारत और चीन जैसी बहुत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में विश्व जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग निवास करता है, इसलिए उनके विकास के अनुचित रास्ते विश्व में असमानता बढ़ाते हैं। वर्तमान शहरी जनसंख्या अधिक जन्मदर के कारण लगातार बढ़ रही है। निम्नआय वाले देशों में तो ऐसा हो ही रहा है।

जन्मदर और वृद्धि का कारण
वर्ष 2021 के नवम्बर में विश्व की जनसंख्या 7.9 अरब पहुंच गई।  मानव इतिहास में जनसंख्या के एक अरब तक पहुंचने में 20 लाख वर्ष लगे।  वर्ष 1814 से लेकर 2021 तक के 207 वर्ष में ही विश्व जनसंख्या  7.9 अरब हो गई। जन्म दर में वृद्धि का कारण माना जा रहा है कि  हमने तमाम बीमारियों पर काबू कर लिया है ।

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महामारियों ने कम की आबादी
रोमन सम्राट जस्टीनियन के शासन काल में यूरोप में प्लेग फैला था। जिससे वहां की आधी आबादी मौत के मुंह में चली गई। यह रोग भारत में भी फैला, यहां भी भारी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई। कोरोना जैसी महामारी ने भी विश्व की आबादी कम करने में अपनी अह्म भूमिका निभाई है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार 6 जुलाई 2022 को
भारत की जनसंख्या एक अरब 40 करोड़ 71 लाख 99 हजार 129 थी।
संयुक्त राष्ट्र का सांख्यिकी कर्मी चीन की जनसंख्या अब भारत से अधिक नहीं मानते। उनका कहना है कि अनेक वर्षों तक एक बच्चा नीति के कारण चीन की आबादी कम हो गई है। लेकिन वह आंकड़ों में हेर फेर कर अपने को विश्व का सबसे बड़े देश दिखा रहा है। वर्ष 2020 में भारत की जनसंख्या एक अरब 38 करोड़ थी। यह आंकड़ा भी संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ही है।

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ये वो देश हैं जो जनसंख्या की दृष्टि से हमारे राज्य के बराबर
आंध्र प्रदेश जर्मनी
अरुणाचल प्रदेश मॉरीशियस
असम पेरु
छत्तीसगढ़ नेपाल
दिल्ली बेलारूस
गोवा एस्टोनिया
गुजरात इटली
हरियाणा यमन
हिमाचल प्रदेश हॉंगकांग
जम्मू और कश्मीर जिम्बाब्वे
झारखंड इराक
कर्नाटक फ्रांस
केरल कनाड़ा
मध्यप्रदेश इरान
महाराष्ट्र जापान
मणिपुर मंगोलिया
मेघालय ओमान
मिजोरम बहरीन
नागालैंड स्लोबोनिया
ओडिशा अर्जेंटीना
पंजाब मलेशिया
राजस्थान थाइलैंड

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